Bihar Vidhansabha Session 2025: बिहार में नई सरकार के गठन के बाद 18वीं विधानसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हुआ। पहले दिन सदन में शपथ ग्रहण की कार्यवाही के दौरान एक दिलचस्प और अप्रत्याशित क्षण देखने को मिला, जब बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी अचानक अपनी सीट से उठे और प्रोटेम स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव द्वारा कही गई बात को सुधार दिया। यह दृश्य कुछ क्षणों के लिए सदन के केंद्र में था और सभी की निगाहें इसी ओर टिक गईं।
- कैसे शुरू हुआ मामला: लॉन्च ब्रेक और शपथ प्रक्रिया को लेकर उठी बात
- विवाद कहां हुआ? प्रोटेम स्पीकर बोले—‘सदन दो बजे तक चलेगा’
- प्रोटेम स्पीकर ने खुद को किया सुधार—सदन में दिखा शिष्टाचार और प्रक्रियागत पारदर्शिता
- पहले दिन विधानसभा का माहौल: राजनीतिक गर्मी के बीच दिखा सौहार्द
- शपथ ग्रहण प्रक्रिया जारी—सदन शाम तक चलने के संकेत
- प्रक्रियागत सटीकता और शिष्टाचार का मिला-जुला दिन
कैसे शुरू हुआ मामला: लॉन्च ब्रेक और शपथ प्रक्रिया को लेकर उठी बात
सोमवार की सुबह से ही विधानसभा परिसर राजनीतिक हलचल से भरा रहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा का विधानसभा पोर्टिको में औपचारिक स्वागत किया गया।
विपक्षी विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का भी गर्मजोशी से स्वागत किया।
शपथ ग्रहण की प्रक्रिया सुबह 11 बजे शुरू हुई। प्रोटेम स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव इसकी पूरी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
पहले मंत्रियों ने शपथ ली, उसके बाद क्षेत्रवार क्रम में अन्य नव निर्वाचित विधायक शपथ ले रहे थे।
सदन का निर्धारित लंच ब्रेक 1 बजे से 2 बजे तक तय है, लेकिन चूंकि शपथ प्रक्रिया तेजी से चल रही थी, कई विधायकों की शपथ अभी बाकी थी।
तभी मंत्री विजय चौधरी ने प्रोटेम स्पीकर की ओर एक प्रस्ताव रखा—
“सदस्यों की अनुमति हो तो लंच ब्रेक को स्थगित कर दिया जाए और शपथ प्रक्रिया बिना रुके जारी रहे।”
प्रोटेम स्पीकर ने प्रस्ताव सदन के सामने रखा और सभी सदस्यों ने सहमति दे दी।
विवाद कहां हुआ? प्रोटेम स्पीकर बोले—‘सदन दो बजे तक चलेगा’
सहमति मिलने के बाद प्रोटेम स्पीकर ने घोषणा की—
“सदन अब दो बजे तक चलेगा।”
यही वह क्षण था जिसने पूरे सदन का ध्यान खींचा।
जैसे ही यह घोषणा हुई, सदन में मौजूद अधिकारियों ने तुरंत प्रोटेम स्पीकर को संकेत दिया कि उनकी बात सही व्याख्या नहीं थी। प्रस्ताव यह नहीं था कि सदन केवल 2 बजे तक चलेगा, बल्कि यह था कि सभी सदस्यों के शपथ ग्रहण होने तक कार्यवाही बढ़ाई जाए — चाहे वह दो बजे से आगे क्यों न चली जाए।
इसी दौरान मंत्री अशोक चौधरी अपनी सीट से उठे और प्रोटेम स्पीकर को स्पष्ट किया—
“सदन को दो बजे तक नहीं, बल्कि सभी सदस्यों के शपथ ग्रहण होने तक बढ़ाया गया है।”
सदन में कुछ क्षणों के लिए हल्की फुसफुसाहट और मुस्कानें दिखीं।
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प्रोटेम स्पीकर ने खुद को किया सुधार—सदन में दिखा शिष्टाचार और प्रक्रियागत पारदर्शिता

अशोक चौधरी और अधिकारियों द्वारा सुधार किए जाने के बाद प्रोटेम स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव ने तुरंत अपनी घोषणा को सही करते हुए कहा—
“सदन की कार्यवाही सभी सदस्यों के शपथ ग्रहण होने तक जारी रहेगी।”
यह क्षण न केवल प्रक्रियागत स्पष्टता का उदाहरण था, बल्कि यह दिखाता है कि सदन के भीतर शिष्टाचार, सहयोग और लोकतांत्रिक मर्यादाओं का सम्मान बरकरार है।
पहले दिन विधानसभा का माहौल: राजनीतिक गर्मी के बीच दिखा सौहार्द
पहले दिन विधानसभा में सत्ता और विपक्ष दोनों की मौजूदगी के बीच राजनीतिक माहौल गर्म भी रहा और शालीन भी।
विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सदन पहुंचे, जहां राजद और महागठबंधन के विधायकों ने उनका स्वागत किया।
शपथ ग्रहण के दौरान कई महत्वपूर्ण चेहरे सदन में उपस्थित रहे।
कुछ दृश्य सौहार्दपूर्ण रहे, तो कुछ क्षण प्रक्रियागत सतर्कता के कारण चर्चा में आ गए — जैसे कि प्रोटेम स्पीकर और मंत्री विजय चौधरी का यह मामला।
यह घटना दिखाती है कि सदन की हर घोषणा, हर प्रक्रिया और हर शब्द का कितना महत्व होता है।
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शपथ ग्रहण प्रक्रिया जारी—सदन शाम तक चलने के संकेत
चूंकि सभी विधायकों की शपथ पूरी होने में समय लग रहा था, संभावना थी कि सदन की कार्यवाही लंच ब्रेक को छोड़कर लगातार जारी रहेगी।
प्रोटेम स्पीकर द्वारा सुधार किए जाने के बाद सदन की दिशा पूरी तरह स्पष्ट हो गई—
सभी विधायकों के शपथ लेने तक सदन चलता रहेगा।
प्रक्रियागत सटीकता और शिष्टाचार का मिला-जुला दिन
Bihar Vidhansabha Session के पहले दिन की इस घटना ने यह साफ कर दिया कि—
• सदन में छोटे से छोटे शब्द का भी महत्व होता है,
• प्रक्रियागत सटीकता सर्वोपरि है,
• मंत्री और अधिकारी तुरंत सही जानकारी देकर सदन को सही दिशा में ले जाते हैं,
• और सबसे बड़ी बात — सदन में सौहार्द और लोकतांत्रिक मर्यादा बनी रहती है।
दिन भर की हलचल के बीच मंत्री विजय चौधरी का उठना, अधिकारियों द्वारा तुरंत संकेत देना, और प्रोटेम स्पीकर का खुद को तुरंत सही करना — यह सब मिलकर पहले दिन की कार्यवाही को यादगार बनाते हैं।
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