Ritu Jaiswal Political Party: RJD से निष्कासन के बाद सियासी तूफान
बिहार की राजनीति में इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा में एक नाम है — रितु जायसवाल। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी से निकाले जाने के बाद, अब रितु जायसवाल ने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाने के संकेत दे दिए हैं। यह संकेत उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए दिया है, जिस पर पूरे बिहार की सियासत की नजर टिक गई है।
- Ritu Jaiswal Political Party: RJD से निष्कासन के बाद सियासी तूफान
- सोशल मीडिया पोस्ट से बढ़ी राजनीतिक हलचल
- Ritu Jaiswal: परिहार विधानसभा सीट से जुड़ा पूरा विवाद
- टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव और कड़ी टक्कर
- RJD से निष्कासन का आधिकारिक फैसला
- महिलाओं और युवाओं पर सियासी दांव
- अब सबकी नजर रितु जायसवाल के अगले कदम पर
- Bihar Politics में एक नए अध्याय की आहट
रितु जायसवाल ने अपने पोस्ट में साफ शब्दों में लिखा है कि
“अगले कुछ महीनों में मैं बिहार के युवाओं से और खासकर महिलाओं से बातचीत करूंगी।”
उन्होंने आगे यह भी कहा कि
“इस संवाद के आधार पर मैं एक राजनीतिक पार्टी बनाने पर विचार करूंगी।”
यानी अब यह लगभग साफ होता जा रहा है कि आरजेडी से बाहर होने के बाद रितु जायसवाल अपने लिए एक नया राजनीतिक रास्ता तलाशने में जुट गई हैं।
सोशल मीडिया पोस्ट से बढ़ी राजनीतिक हलचल

रितु जायसवाल का यह पोस्ट सिर्फ एक सामान्य बयान नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे एक बड़े राजनीतिक इशारे के रूप में देखा जा रहा है। अपने पोस्ट में उन्होंने यह भी लिखा कि वे ऐसी राजनीतिक पार्टी बनाना चाहती हैं —
• जहां महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व मिले
• जहां युवाओं को आगे बढ़ने का मौका मिले
• जहां टिकटों की खरीद-फरोख्त न होती हो
• और जहां परिवारवाद के लिए कोई जगह न हो
इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि
“आपके सुझाव और आपकी आलोचना, दोनों का ही स्वागत रहेगा।”
हालांकि उन्होंने अपने इस बयान में किसी पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे सीधे-सीधे आरजेडी पर तंज माना जा रहा है।
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Ritu Jaiswal: परिहार विधानसभा सीट से जुड़ा पूरा विवाद
रितु जायसवाल का आरजेडी से टकराव अचानक नहीं हुआ। यह पूरा मामला परिहार विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा है। विधानसभा चुनाव को लेकर रितु जायसवाल लंबे समय तक इसी क्षेत्र में एक्टिव रही थीं। वे लगातार गांव-गांव जाकर लोगों से बातचीत कर रही थीं और अपने लिए समर्थन भी जुटा रही थीं।
लेकिन जब आरजेडी ने परिहार सीट से स्मिता गुप्ता को टिकट दे दिया, तब से ही रितु जायसवाल की नाराजगी खुलकर सामने आने लगी थी। उन्हें साफ तौर पर यह महसूस हुआ कि पार्टी ने उनके राजनीतिक दावे को नजरअंदाज किया है।
टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव और कड़ी टक्कर
आरजेडी से टिकट नहीं मिलने के बाद रितु जायसवाल ने एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने परिहार विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय किया।
इस चुनाव में उन्होंने —
• भाजपा की प्रत्याशी गायत्री देवी को कड़ी टक्कर दी
• और साथ-साथ आरजेडी की प्रत्याशी को भी पीछे छोड़ दिया
यह चुनावी नतीजा यह दिखाने के लिए काफी था कि रितु जायसवाल का क्षेत्र में अपना अलग राजनीतिक प्रभाव और जनसमर्थन मौजूद है।
RJD से निष्कासन का आधिकारिक फैसला
निर्दलीय चुनाव लड़ने और पार्टी लाइन से हटकर गतिविधियां करने के बाद आखिरकार आरजेडी ने रितु जायसवाल के खिलाफ सख्त कदम उठाया।
आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल की ओर से एक आधिकारिक पत्र जारी किया गया, जिसके जरिए रितु जायसवाल को पार्टी से बाहर निकालने की जानकारी दी गई।
इस निष्कासन के बाद ही रितु जायसवाल का नया राजनीतिक रुख सामने आता है, जिसमें वे अब खुद की पार्टी बनाने की संभावनाओं पर खुलकर बात कर रही हैं।
महिलाओं और युवाओं पर सियासी दांव
रितु जायसवाल अपने संभावित नए राजनीतिक मंच को पूरी तरह से महिलाओं और युवाओं से जोड़कर देख रही हैं। उन्होंने साफ कहा है कि वे ऐसी पार्टी चाहती हैं —
• जो महिलाओं को सम्मान और प्रतिनिधित्व दे
• जहां युवाओं को आगे बढ़ने के अवसर मिलें
• और जहां टिकट बिकने जैसी राजनीति से दूरी हो
यही वजह है कि उनका यह बयान केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक नए सियासी प्रयोग की शुरुआत माना जा रहा है।
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अब सबकी नजर रितु जायसवाल के अगले कदम पर
अब बिहार की राजनीति में सबसे बड़ा सवाल यह बन चुका है —
• क्या रितु जायसवाल वाकई में नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगी?
• अगर पार्टी बनती है तो उसका नाम क्या होगा?
• और क्या यह पार्टी बिहार की राजनीति में कोई बड़ा असर डाल पाएगी?
फिलहाल रितु जायसवाल ने यह जरूर साफ कर दिया है कि वे आने वाले कुछ महीनों तक युवाओं और महिलाओं से सीधा संवाद करेंगी और उसी के आधार पर आगे का फैसला लेंगी।
Bihar Politics में एक नए अध्याय की आहट
आरजेडी से निष्कासन, निर्दलीय चुनाव, सोशल मीडिया पर तीखा बयान और अब नई पार्टी के संकेत — इन सभी घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि रितु जायसवाल अब पीछे हटने के मूड में नहीं हैं।
उनका यह कदम बिहार की राजनीति में एक नए राजनीतिक प्रयोग की शुरुआत बन सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह प्रयोग सिर्फ चर्चा तक सीमित रहता है या वाकई में बिहार को एक नई राजनीतिक पार्टी देखने को मिलती है।
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