Jitan Ram Manjhi on Liquor Ban—बिहार की राजनीति में फिर उबाल आ गया है। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने शराबबंदी की नीति पर जिस तरह सवाल उठाए हैं, उसने सत्ता गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने साफ कहा कि नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति मंशा के स्तर पर बेहतरीन है लेकिन इसका लागू होना पूरी तरह सिस्टम पर निर्भर है—और सिस्टम “बे-लगाम” हो चुका है। मांझी ने अपने बयान में शराबबंदी के लाभ भी गिनाए, लेकिन साथ ही उन खामियों को उजागर किया, जिनके चलते गरीब जेल में जा रहे हैं और तस्कर मज़बूत होकर सत्ता-समीकरणों में दखल देने लगे हैं।
- Jitan Ram Manjhi on Liquor Ban: नीति नेक, लेकिन जमीनी स्थिति चिंताजनक
- Jitan Ram Manjhi on Liquor Ban: गरीब जेल में, तस्कर सिंहासन पर?
- Jitan Ram Manjhi on Liquor Ban: तस्करों-अफसरों की मिलीभगत पर सीधा आरोप
- Jitan Ram Manjhi on Liquor Ban: “शराबबंदी की सांस प्रशासन है, न कि नीतीश कुमार”
- Jitan Ram Manjhi on Liquor Ban: क्यों बढ़ी सियासत?
Jitan Ram Manjhi on Liquor Ban: नीति नेक, लेकिन जमीनी स्थिति चिंताजनक
आपके दिए गए कंटेंट के मुताबिक, जीतन राम मांझी ने स्वीकार किया कि:
• शराबबंदी से घरों में झगड़े कम हुए
• घरेलू हिंसा में कमी आई
• शराबखोरी की वजह से होने वाली मानसिक और सामाजिक तबाही में गिरावट आई
यह माँझी का समर्थन था कि नीतीश कुमार ने इसे अच्छे इरादों के साथ लागू किया। लेकिन इसके बाद उन्होंने जो सवाल उठाए, उसने पूरी बहस को नई दिशा दे दी।
मांझी का कहना है कि शराबबंदी की तीसरी समीक्षा भी उन्हीं के दबाव पर हुई थी। उस समीक्षा में साफ निर्देश दिया गया था:
“धंधेबाज़ पर कार्रवाई करो, मज़दूर को मत सताओ।”
लेकिन आज स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत दिख रही है। उनके अनुसार, सिस्टम गरीबों को अपराधी बना रहा है जबकि असली तस्कर बच निकलते हैं।
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Jitan Ram Manjhi on Liquor Ban: गरीब जेल में, तस्कर सिंहासन पर?

मांझी के बयान का सबसे सख़्त और तीखा हिस्सा यह था कि शराबबंदी का बोझ गरीबों पर आ गिरा है।
उनके अनुसार:
• 6 लाख केसों में 4 लाख लोग पहली बार पकड़े गए
• इनमें अधिकांश रिक्शावाले, दिहाड़ी मजदूर, रोज़ कमाकर खाने वाले
• कई लोग दवा के नाम पर भी कुछ शराब ले जा रहे थे, उन्हें भी जेल भेज दिया गया
मांझी ने कहा कि यह पूरा सिस्टम गरीब को अपराधी और तस्कर को ‘मालिक’ बना देता है।
उन्होंने चौंकाने वाला दावा किया कि शराब तस्करी से बने पैसे से अब लोग 5 से 10 करोड़ रुपये खर्च कर चुनाव भी लड़ रहे हैं और जीत भी रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वह ऐसे कई लोगों को जानते हैं जो इस अवैध पैसे पर अपनी राजनीति खड़ी कर चुके हैं।
यह सवाल गंभीर है—अगर शराबबंदी है, तो फिर तस्करों के पास इतनी दौलत कहां से आ रही है?
Jitan Ram Manjhi on Liquor Ban: तस्करों-अफसरों की मिलीभगत पर सीधा आरोप
मांझी ने सिस्टम पर सीधा वार करते हुए कहा कि बिहार के:
• पहाड़
• नदी किनारे
• जंगल
• खेत
इन इलाकों में रोज़ाना हजारों लीटर शराब तैयार होती है, लेकिन कार्रवाई बहुत कम होती है।
उनका आरोप है कि असली तस्कर इसलिए नहीं पकड़े जाते क्योंकि “अफसरों और विभागीय कर्मियों की मिलीभगत से पूरा खेल चलता है।”
यह बयान सिर्फ शराबबंदी पर टिप्पणी नहीं, बल्कि प्रशासनिक ईमानदारी पर बड़ा सवाल है।
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Jitan Ram Manjhi on Liquor Ban: “शराबबंदी की सांस प्रशासन है, न कि नीतीश कुमार”
मांझी ने यह कहते हुए बहस को और तेज़ कर दिया कि शराबबंदी लागू करना मुख्यमंत्री का अकेला काम नहीं।
उन्होंने कहा:
• कानून अच्छा है
• नीति बेहतरीन है
• मंशा साफ है
लेकिन जब तक प्रशासन ईमानदार और पारदर्शी नहीं होगा, शराबबंदी अधूरी रहेगी।
उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि सिस्टम उसी समय सुधरेगा जब तस्करों पर कड़ी कार्रवाई होगी और गरीबों को जेल भेजना बंद किया जाएगा।
Jitan Ram Manjhi on Liquor Ban: क्यों बढ़ी सियासत?
मांझी के इस बयान ने बिहार की राजनीति में नया हलचल पैदा कर दिया है क्योंकि:
• वो केंद्र में मंत्री हैं
• नीतीश सरकार का हिस्सा हैं
• और सरकार की ही सबसे चर्चित नीति पर तीखी टिप्पणी कर रहे हैं
उनके आरोपों के बाद अब राजनीतिक हलकों में यह बहस तेज हो गई है कि क्या शराबबंदी प्रणालीगत विफलताओं के कारण अपना मूल लक्ष्य खो रही है?
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