Indigo Flight Crisis : सस्ती उड़ानों का सच और स्टाफ पर बढ़ता बोझ आखिर कैसे बना महाअराजकता की वजह?

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Indigo Flight Crisis के कारण यात्रियों की भारी परेशानी और एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी।

भारत की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो आज अपने इतिहास के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है। जिस कंपनी ने यात्रियों को सस्ती उड़ानों का सपना दिखाया था, वही अब अचानक हजार से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द करके देशभर के एयरपोर्ट्स पर अफरा-तफरी मचा चुकी है। लेकिन इस संकट की जड़ें बेहद गहरी हैं—और सीधे तौर पर इंडिगो की कार्यप्रणाली, स्टाफ पॉलिसियों और एफडीटीएल नियमों की अनदेखी से जुड़ी हैं।

Indigo Flight Crisis: सस्ती फ्लाइट का मॉडल और स्टाफ पर असहनीय दबाव

फिल्म इंग्लिश-विंग्लिश के एक दृश्य में एयर होस्टेस को “देवी जी” कहकर बुलाने का मज़ाकिया संदर्भ इस बात का प्रतीक है कि यात्रियों की सुविधा के लिए एयर होस्टेस हमेशा मुस्कुराते हुए तैयार रहती हैं। लेकिन वास्तविकता बेहद अलग है।

इंडिगो ने लागत कम करने की आड़ में अपने क्रू स्टाफ को लगभग मशीन बना दिया—कम स्टाफ, ज्यादा उड़ानें, लंबे ड्यूटी आवर्स और न्यूनतम आराम।

150 यात्रियों वाली उड़ान में सिर्फ 3–4 एयर होस्टेस।
हर बुलावे पर तुरंत पहुंचने का दबाव।
1 दिन में 14–15 घंटे की थकाने वाली ड्यूटी।
और बदले में सिर्फ 40,000 रुपये मासिक वेतन।

सबसे चौंकाने वाली बात—स्टाफ को सिर्फ आसमान में बिताए गए घंटों का ही भुगतान मिलता है।
जैसे:
• दिल्ली से किसी शहर तक 3 घंटे
• और वापसी में 3 घंटे
यानी 15 घंटे की मेहनत, लेकिन पेमेंट सिर्फ 6 घंटे का।

Indigo Flight Crisis: कंपनी की शुरुआत और लागत घटाने की आक्रामक रणनीति

2006 में राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने इंडिगो की शुरुआत की।
उनका मॉडल बेहद चतुर था:
• पेरिस एयर शो से 100 प्लेन खरीदे
• 40% डिस्काउंट
• उन जहाज़ों को 10% लाभ पर बेच दिया
• फिर उन्हीं विमान को किराए पर लेकर उड़ाने लगे

इंडिगो ने हर संभव जगह खर्च घटाए:
• क्रू स्टाफ घटाया
• विमान में वज़न कम किया
• पानी की बोतल, स्नैक्स मशीनें हटाईं
• कम ईंधन में लंबी दूरी तय करने वाले डिज़ाइन अपनाए

परिणाम—भारत के छोटे से छोटे शहर में भी सीधे इंडिगो की फ्लाइट शुरू हो गई।

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Indigo Flight Crisis: यात्री सुविधाएँ कम, छिपा हुआ किराया ज्यादा

इंडिगो ने आते ही मुफ्त जलपान खत्म किया—अब पानी भी खरीदना पड़ता है।
सीट चुनने में पैसा, बैग में पैसा, लगभग हर सुविधा में अतिरिक्त शुल्क।
यानी “सस्ती उड़ान” एक भ्रम साबित हुआ।

आज हालत यह है कि इंडिगो की कई उड़ानें एयर इंडिया से भी महंगी पड़ती हैं।

Indigo Flight Crisis: फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) विवाद: असली बम यहीं फटा

एफडीटीएल एक सरकारी नियम है, जिसके तहत पायलट और क्रू मेंबर की अधिकतम ड्यूटी तय होती है, ताकि थकान के कारण सुरक्षा खतरे में न पड़े।

सालों से इंडिगो इन नियमों का पालन नहीं कर रहा था।
डीजीसीए ने भी कभी कड़ा कदम नहीं उठाया।

जब नियमों के पालन पर दबाव बढ़ा—
इंडिगो ने 2 दिसंबर से अचानक फ्लाइट्स रद्द करनी शुरू कर दीं,
जिसके बाद हजार से ज्यादा उड़ानें रद्द हो गईं।

देशभर के एयरपोर्ट्स पर हजारों यात्री बिना भोजन, बिना सहायता, बिना छत के फंसे रहे।

सबसे बड़ा सवाल:
एक निजी कंपनी के दबाव में सरकार ने FDTL नियमों को वापस कैसे ले लिया?

Indigo Flight Crisis: अन्य फ्लाइट कंपनियों ने टिकट कीमतों में आग लगा दी

इंडिगो की उड़ानों के रद्द होते ही—एयर इंडिया, विस्तारा और स्पाइसजेट ने जमकर किराया बढ़ाया।
दिल्ली–मुंबई का किराया 35,000 से 45,000 रुपये तक पहुंच गया।

6 दिसंबर को सरकार ने दखल दिया और 1500 किमी से अधिक दूरी पर अधिकतम किराया 18,000 रुपये तय कर दिया।

Indigo Flight Crisis: इंडिगो के पास पायलटों की भारी कमी

2200 दैनिक उड़ानों वाली इंडिगो के पास पर्याप्त पायलट नहीं हैं।
एक फर्स्ट ऑफिसर जरूर होता है, लेकिन पायलटों की संख्या बढ़ाने पर कभी जोर नहीं दिया गया।
स्टाफ की भारी कमी का सीधा असर—
• थकावट
• तनाव
• सुरक्षा जोखिम
• और अब हजारों फ्लाइट्स की रद्दीकरण

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सरकारी जांच—सवाल ज्यादा, जवाब कम

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने डीजीसीए को जांच का आदेश तो दिया है,
लेकिन यह सिर्फ औपचारिकता लग रही है।

क्योंकि—
• इंडिगो की एफडीटीएल उल्लंघन पर पहले कभी कार्रवाई नहीं हुई
• हजारों यात्रियों की परेशानी के बाद भी कंपनी के मालिक राहुल भाटिया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई
• सरकार ने उलटे एफडीटीएल नियम ही वापस ले लिए

यह स्थिति साफ संकेत देती है कि इंडिगो की सरकारी गलियारों में गहरी पहुंच है।

आज की स्थिति: इंडिगो संकट सिर्फ फ्लाइट रद्द होने की कहानी नहीं

यह संकट भारत की विमानन व्यवस्था की सबसे बड़ी कमज़ोरियों से पर्दा उठाता है—
• अधिक मुनाफे के लिए स्टाफ का अत्यधिक शोषण
• सुरक्षा नियमों की अनदेखी
• यात्रियों से छिपे हुए शुल्क की वसूली
• सरकारी ढील और पारदर्शिता की कमी
• और एक कंपनी का दबदबा इतना बढ़ जाना कि वह पूरे सिस्टम को प्रभावित कर सके

इंडिगो ने वर्षों तक अपने कम खर्च वाले मॉडल को “सफलता” की कहानी बताया,
लेकिन आज का संकट साबित करता है—
सिर्फ लागत घटाने से विमानन उद्योग नहीं चलता।
यह लोगों की सुरक्षा, सम्मान और भरोसे से चलता है।

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