Shashi Tharoor Controversy: जब मुझे शशि थरूर का पक्ष लेने से रोका गया-कांग्रेस के भीतर की कहानी पर शकील अहमद का खुलासा

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शशि थरूर पर कांग्रेस के भीतर उठते सवाल
Highlights
  • • शकील अहमद ने कांग्रेस के भीतर की राजनीति पर उठाए सवाल • शशि थरूर को भाजपा समर्थक बताने की कोशिश पर तीखी टिप्पणी • IPL विवाद से लेकर अध्यक्ष चुनाव तक की अंदरूनी कहानी • राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व से सीधी अपील • वायरल फेसबुक पोस्ट का पूरा विश्लेषण

डॉ. शकील अहमद, पूर्व केंद्रीय मंत्री और लंबे समय तक कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे वरिष्ठ नेता, अब कांग्रेस से अलग हो चुके हैं। पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन से जुड़े अनुभवों को सोशल मीडिया के ज़रिये सामने लाने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में फेसबुक पर की गई उनकी एक पोस्ट इन दिनों देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है।

यह पोस्ट केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद और अंतरराष्ट्रीय पहचान रखने वाले कांग्रेस नेता शशि थरूर को लेकर है। डॉ. शकील अहमद ने इस पोस्ट में कांग्रेस के भीतर चल रही उस राजनीति की परतें खोली हैं, जिसमें वरिष्ठ, लोकप्रिय और स्वतंत्र सोच वाले नेताओं को धीरे-धीरे हाशिये पर धकेलने की कोशिश की जाती है।

Shashi Tharoor Controversy और भाजपा समर्थक बताए जाने की कोशिश

पिछले कुछ समय से शशि थरूर पर यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि वे भारतीय जनता पार्टी के समर्थक हैं या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं। डॉ. शकील अहमद लिखते हैं कि शुरुआत में यह आरोप उन्हें हैरान करने वाले लगे, लेकिन समय के साथ कई पुरानी घटनाएं याद आईं, जिनसे पूरी तस्वीर साफ होती चली गई।

उनका मानना है कि कांग्रेस के भीतर कुछ प्रभावशाली लोग न केवल ज़मीन से जुड़े नेताओं को बल्कि पार्टी के बौद्धिक और लोकप्रिय चेहरों को भी निशाना बना रहे हैं, ताकि वे नेतृत्व के लिए चुनौती न बन सकें।

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Shashi Tharoor Controversy की पहली बड़ी घटना – IPL विवाद

डॉ. शकील अहमद पहली घटना का ज़िक्र वर्ष 2010 से करते हैं, जब शशि थरूर के केंद्रीय मंत्री रहते हुए केरल में आईपीएल टीम लाने के प्रयास किए जा रहे थे। इस दौरान उनके एक करीबी पर आरोप लगे और वह मामला राजनीतिक रूप से काफी उछाला गया।

उस समय डॉ. शकील अहमद कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता थे। मीडिया में बहस शुरू होते ही उन्होंने शशि थरूर के पक्ष में बयान दिया। उन्होंने तर्क रखा कि दक्षिण भारत के अन्य राज्यों की तरह केरल को भी आईपीएल टीम मिलनी चाहिए।

उनके बयान के प्रसारण के करीब एक घंटे बाद पार्टी की ओर से निर्देश आया कि शशि थरूर का बचाव नहीं करना है। निर्देश का पालन किया गया और कुछ ही दिनों में शशि थरूर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

कांग्रेस में प्रवक्ता रहते हुए मिले सीमित निर्देश

डॉ. शकील अहमद बताते हैं कि 12 वर्षों के प्रवक्ता कार्यकाल में उन्हें केवल दो बार पार्टी नेताओं का बचाव न करने का निर्देश मिला।
पहला मामला शशि थरूर का था और दूसरा एक अन्य वरिष्ठ नेता से जुड़ा हुआ, जिसकी कहानी वे भविष्य के लिए छोड़ते हैं।

यह प्रसंग कांग्रेस की आंतरिक कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

Shashi Tharoor Controversy और “Why I Am a Hindu” पुस्तक विमोचन

दूसरी घटना वर्ष 2018 की है, जब दिल्ली में शशि थरूर की चर्चित पुस्तक “Why I Am a Hindu” का विमोचन हुआ। इस कार्यक्रम में डॉ. शकील अहमद स्वयं उपस्थित थे।

हैरानी की बात यह रही कि इतने बड़े कार्यक्रम में कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा मौजूद नहीं था। केवल राहुल गांधी कार्यालय से जुड़े एक गैर-राजनीतिक सहयोगी ही नजर आए। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद शशि थरूर स्वयं मंच से उतरकर डॉ. शकील अहमद के पास आए और उनका आभार जताया।

आज डॉ. शकील अहमद को उस दिन कांग्रेस नेताओं की अनुपस्थिति का कारण समझ में आता है।

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कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव और शशि थरूर की चुनौती

तीसरी अहम घटना कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से जुड़ी है। जैसे ही शशि थरूर ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया, मल्लिकार्जुन खड़गे को गांधी परिवार समर्थित उम्मीदवार माना जाने लगा।

डॉ. शकील अहमद स्वीकार करते हैं कि वे व्यक्तिगत रूप से शशि थरूर को वोट देना चाहते थे, लेकिन राजनीतिक समीकरण देखते हुए उन्होंने खड़गे को वोट दिया। हालांकि, वे यह भी स्पष्ट करते हैं कि खड़गे ने अब तक कोई ऐसा कार्य नहीं किया है जिस पर सवाल उठे।

केरल राजनीति और शशि थरूर को सीमित करने की रणनीति

डॉ. शकील अहमद का मानना है कि केरल के कुछ नेताओं को जानबूझकर अधिक महत्व दिया जा रहा है ताकि शशि थरूर का प्रभाव सीमित रहे। पहले उन्हें लगता था कि वायनाड से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने के सुझाव के कारण ऐसा हुआ, लेकिन अब उन्हें यह रणनीति और व्यापक नजर आती है।

कांग्रेस नेतृत्व से अंतिम अपील

पोस्ट के अंत में डॉ. शकील अहमद एक शुभचिंतक के रूप में कांग्रेस नेतृत्व, विशेषकर राहुल गांधी से अपील करते हैं कि शशि थरूर को पार्टी छोड़ने की स्थिति में न धकेला जाए।
उनके अनुसार, शशि थरूर जैसे नेता कांग्रेस की ताकत हैं, कमजोरी नहीं।

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