बांग्लादेश की राजनीति में उस्मान हादी की हत्या के बाद एक बार फिर बड़ा और ऐतिहासिक मोड़ देखने को मिला है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक चेयरमैन तारिक रहमान 17 वर्षों के लंबे निर्वासन के बाद गुरुवार को लंदन से स्वदेश लौट आए हैं। बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों के बीच उनकी वापसी को बांग्लादेश की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत माना जा रहा है। समर्थक उन्हें देश का अगला “क्राउन प्रिंस” बता रहे हैं, जबकि राजनीतिक विश्लेषक इसे सत्ता परिवर्तन की मजबूत आहट मान रहे हैं।
Bangladesh Politics: कौन हैं तारिक रहमान
तारिक रहमान बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान और तीन बार प्रधानमंत्री रहीं खालिदा जिया के बड़े बेटे हैं। उनका जन्म 20 नवंबर 1965 को हुआ था। जियाउर रहमान बांग्लादेश के संस्थापक नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने 1971 के मुक्ति संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। 1981 में उनकी हत्या कर दी गई, उस समय तारिक सिर्फ 15 साल के थे।
पिता की हत्या के बाद खालिदा जिया ने बीएनपी की कमान संभाली और बाद में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। तारिक रहमान ने ढाका विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में शिक्षा प्राप्त की और 23 वर्ष की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया। 2000 के दशक में वे बीएनपी के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाने लगे और पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बने। तभी से उन्हें खालिदा जिया का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाने लगा।
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Bangladesh Politics: 17 साल का निर्वासन और अब वापसी

तारिक रहमान 2008 से लंदन में निर्वासन में थे। इस दौरान उन पर भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और 2004 के ग्रेनेड हमले सहित कई गंभीर आरोप लगाए गए। लेकिन 2024–2025 के बीच बांग्लादेश की अदालतों ने उन्हें सभी 84 मामलों में बरी कर दिया। इसके बाद उनकी वापसी का रास्ता साफ हो गया।
वैसे तो उनकी वापसी फरवरी 2026 में होने वाले संसदीय चुनावों के आसपास मानी जा रही थी, लेकिन देश की बदली परिस्थितियों और अवामी लीग पर प्रतिबंध के बाद वे 25 दिसंबर को ही बांग्लादेश लौट आए। बीएनपी का दावा है कि लाखों समर्थक उनकी अगवानी के लिए सड़कों पर उतरे।
Bangladesh Politics: बीएनपी के सत्ता में आने की प्रबल संभावना
छात्र आंदोलन के बाद 2024 में शेख हसीना की सरकार गिर गई और वे भारत चली गईं। इसके बाद अंतरिम सरकार के तहत आवामी लीग पर आतंकवाद विरोधी कानून के तहत प्रतिबंध लगा दिया गया। इस घटनाक्रम ने बांग्लादेश की राजनीति को पूरी तरह पलट दिया।
खालिदा जिया लंबे समय से गंभीर रूप से बीमार हैं, इसलिए पार्टी की पूरी जिम्मेदारी तारिक रहमान पर आ गई है। वे 2018 से ही बीएनपी के कार्यवाहक चेयरमैन हैं। मौजूदा हालात में बीएनपी को सबसे मजबूत राजनीतिक दल माना जा रहा है और तारिक रहमान को अगला प्रधानमंत्री बनने का सबसे बड़ा दावेदार बताया जा रहा है।
Bangladesh Politics: बांग्लादेश के लिए तारिक रहमान क्यों हैं अहम
बांग्लादेश की राजनीति दशकों से दो दलों—बीएनपी और अवामी लीग—के बीच घूमती रही है। अवामी लीग के चुनाव से बाहर होने के बाद सत्ता का संतुलन पूरी तरह बदल गया है। ऐसे में तारिक रहमान की वापसी बीएनपी को न केवल नेतृत्व देती है, बल्कि पार्टी को नई ऊर्जा भी प्रदान करती है।
विश्लेषकों का मानना है कि युवा और उदारवादी छवि के कारण तारिक रहमान युवा मतदाताओं को आकर्षित कर सकते हैं। उनकी मौजूदगी 2026 के चुनाव में बीएनपी को स्पष्ट बहुमत दिला सकती है।
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Bangladesh Politics: भारत को लेकर तारिक रहमान की सोच
भारत-बांग्लादेश संबंध हमेशा संवेदनशील रहे हैं। अब तक अवामी लीग को भारत समर्थक माना जाता रहा है, जबकि बीएनपी के साथ संबंधों में तनाव रहा है। तारिक रहमान ने हाल के साक्षात्कारों में साफ कहा है कि उनकी विदेश नीति “बांग्लादेश फर्स्ट” होगी।
उन्होंने नारा दिया—
“न दिल्ली, न पिंडी, बांग्लादेश सबसे पहले।”
उनका कहना है कि वे न भारत और न पाकिस्तान के साथ अंधाधुंध गठबंधन चाहते हैं। उन्होंने तीस्ता जल बंटवारे जैसे मुद्दों पर बांग्लादेश के अधिकारों की बात भी खुलकर कही है। हालांकि हालिया संकेत बताते हैं कि बीएनपी भारत के साथ संतुलित और व्यावहारिक रिश्ते बनाए रखना चाहती है।
Bangladesh Politics: क्या भारत के प्रति बीएनपी की सोच बदलेगी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा खालिदा जिया के स्वास्थ्य को लेकर जताई गई चिंता और मदद की पेशकश के बाद बीएनपी ने आभार व्यक्त किया है। इससे संकेत मिलते हैं कि भविष्य में भारत-बीएनपी संबंधों में नरमी आ सकती है।
हालांकि चुनौतियां भी कम नहीं हैं। जमात-ए-इस्लामी जैसे इस्लामी दल, राजनीतिक अस्थिरता और चुनाव सुधार—ये सभी तारिक रहमान के सामने बड़ी परीक्षाएं हैं। फिर भी उनकी वापसी को बांग्लादेश की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है।
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