एक बूंद इंसानियत की : विश्व रक्तदान दिवस पर रक्सौल में मानवता का उत्सव अगर हम एक-दूसरे के लिए नहीं, तो फिर किसके लिए !

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जय प्रकाश गुप्ता, रक्सौल
दोपहर की धूप में जब आम लोग छांव की तलाश में होते हैं, उस वक्त कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो किसी अनजान की जिंदगी बचाने के लिए अपनी बांहे आगे बढ़ाते हैं और दे जाते हैं रक्त की नहीं, उम्मीद की बूंदें !
आज विश्व रक्तदान दिवस के मौके पर रक्सौल के एसआरपी हॉस्पिटल परिसर में कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला। स्वच्छ रक्सौल के सहयोग से आयोजित इस स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में न कोई जाति थी, न धर्म सिर्फ एक विचार था: अगर हम एक-दूसरे के लिए नहीं, तो फिर किसके लिए।
शिविर की शुरुआत जिले के प्रशासनिक और चिकित्सा अधिकारियों अनुमंडल पदाधिकारी मनीष कुमार, पुलिस उपाधीक्षक धीरेन्द्र कुमार, अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी डॉ. राजीव रंजन कुमार, स्वच्छ रक्सौल अभियान के संरक्षक रणजीत सिंह और एसआरपी हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. सुजीत कुमार द्वारा संयुक्त रूप से की गई। फीता काटने की औपचारिकता से कहीं अधिक इस दिन की अहमियत उन रक्तदाताओं के चेहरे पर चमकती दिखी जो मौन सेवा की सबसे बड़ी मिसाल थे।
शिविर में जमीयत उलमा-ए-हिन्द ने भी भरपूर सहभागिता निभाई यह साबित करते हुए कि मानवता के कामों में कोई मजहबी सरहद नहीं होती। मोतिहारी ब्लड बैंक की टीम, जो रक्त संग्रहण में जुटी थी, अपने अनुभव और तत्परता से यह सुनिश्चित कर रही थी कि हर रक्तदाताओं की सुरक्षा और गरिमा बनी रहे।
साबरा खातून जो कहती हैं, यह मेरा खून नहीं, किसी माँ की सांसों का सहारा है। अनिल गुप्ता जो हर साल रक्तदान करते हैं और इस बार अपने बेटे को साथ लाए। आशीष, आकाश और बबलू युवा जोश, जो जीवन बचाने की भावना से ओतप्रोत था।
वहीं शिविर के संचालन में अभिमन्यु कुमार सिंह, सौरभ कुमार, संजय मिश्रा, नवीउल्लाह, और रजनीश कुमार जैसे कई नायक परदे के पीछे रहकर इसे सफल बना रहे थे। अपने वक्तव्यों में सभी अतिथियों ने एक स्वर में कहा रक्तदान कोई परोपकार नहीं, बल्कि यह समाज के प्रति हमारा मानवीय दायित्व है। उन्होंने यह भी अपील की कि हर स्वस्थ नागरिक नियमित रक्तदान करे ताकि किसी अनजाने के लिए वह जीवन रेखा बन सके। यह कोई शिविर नहीं था यह था एक मानव धर्म का उत्सव जहां न जात देखी गई, न वेश सिर्फ एक सोच थी – रक्त इंसान का है, इंसान के काम आए।

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