नेपाल के गढ़ी माई मंदिर में चैत्र नवरात्रि की दशमी पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब भारत के कोने-कोने से पहुंचे भक्त,पांच वर्ष पर एक बार लगने वाला विशेष मेला भी अत्यंत प्रसिद्ध

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रक्सौल
नेपाल के बारह जिलों की सीमा पर स्थित प्राचीन गढ़ी माई मंदिर में चैत्र नवरात्र की दशमी के दिन लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। नेपाल और भारत की साझा सांस्कृतिक विरासत के इस ऐतिहासिक मंदिर में श्रद्धा, भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम दिखाई देता है।
गढ़ी माई मंदिर को नेपाल और भारत के सीमावर्ती इलाकों में अत्यंत पवित्र और चमत्कारी मंदिर माना जाता है। मान्यता है कि यह मंदिर इतना शक्तिशाली है कि यहां मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। इसी आस्था के चलते यहां भारत के हर राज्य से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। खासकर चैत्र और शारदीय नवरात्रि में यहाँ भक्तों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है।
चैत्र नवरात्रि की दशमी के दिन यहां विशेष पूजा का आयोजन होता है, जिसे भाव पूजा कहा जाता है। इस दिन गढ़ी माई को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु न केवल फल-फूल चढ़ाते हैं, बल्कि बलि की परंपरा का भी पालन करते हैं। यहां पांच वर्ष पर एक बार लगने वाला विशेष मेला भी अत्यंत प्रसिद्ध है, जिसमें लाखों की संख्या में बकरों, मुर्गों और कबूतरों की बलि दी जाती है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा आयोजन माना जाता है जहां इतनी बड़ी संख्या में बलि दी जाती है।
गढ़ी माई मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा है जिसे स्थानीय लोग पीढ़ी दर पीढ़ी संजोते आ रहे हैं। गांव के लोग यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा में लगे रहते हैं। भोजन, ठहरने और पूजा की व्यवस्था में गांव का हर व्यक्ति अपना योगदान देता है। यही कारण है कि यहां आने वाले भक्तों को घर जैसा माहौल मिलता है।
गढ़ी माई मंदिर में केवल पूजा नहीं होती, बल्कि यहां की पूरी संस्कृति जीवंत हो उठती है। यहां लोक गीत, पारंपरिक नृत्य और क्षेत्रीय व्यंजन इस धार्मिक मेले को एक सांस्कृतिक उत्सव का रूप देते हैं। यहां की मिट्टी, यहां का वातावरण और यहां की परंपरा हर भक्त को एक अद्भुत आध्यात्मिक एवं आत्मिक अनुभव प्रदान करती है

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