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मुजफ्फरपुर: बिहार की बेटियों की पढ़ाई अब शादी के बाद भी नहीं छूटेगी। वे आसानी से अपना ग्रेजुएशन पूरा कर सकेंगी। ग्रेजुएशन में एडमिशन के बाद शादी होने पर वे जब चाहें एकेडमिक ईयर पूरा करने के बाद पढ़ाई छोड़ सकती हैं।
पति या ससुराल वाले देश के दूसरे स्टेट में भी रहते होंगे तो वहां से शेष पढ़ाई पूरी होगी। राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में स्नातक व पीजी में सीबीसीएस के साथ नई शिक्षा नीति के तहत मल्टीपल एंट्री और मल्टीपल एग्जिट की सुविधा शुरू हो गई है।

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में स्टूडेंट्स का एबीसी आईडी और डिजि लॉकर भी तैयार किया रहा है। परीक्षा बोर्ड से इसकी मंजूरी के बाद काम में तेजी आ गई है। इसका ज्यादा फायदा बेटियों को ही मिलेगा।
दरअसल, इंटरमीडिएट के बाद ग्रेजुएशन में दाखिला लेते ही लड़कियों की उम्र 18 साल पूरी हो जाती है। वह आगे अपना भविष्य देखकर पढ़ना चाहती हैं, जबकि घरवाले वर की तलाश में जुट जाते हैं।

नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा को लचीला बनाया गया है। यानी, मल्टीपल इंट्री और मल्टीपल एग्जिट का ऑप्शन दिया गया है। पहले, दूसरे या तीसरे साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्राएं चाहेंगी तो दूसरे यूनिवर्सिटी या कॉलेज में शिफ्ट हो सकेंगी। वह कॉलेज या यूनिवर्सिटी बिहार सहित देश के अन्य राज्य में भी हो सकता है। वे जितनी पढ़ाई यहां पर करेंगी, उसका क्रेडिट उनके एकेडमिक बैंक में ट्रांसफर हो जाएगा। उसके आधार पर अगले सेमेस्टर से दूसरे संस्थान में एडमिशन मिलेने अ प्रावधान है।

राधिका ने पिछले साल इंटरमीडिएट के बाद शहर के एक कॉलेज में ग्रेजुएशन में एडमिशन लिया। इस बीच घरवालों ने शादी तय कर दी। इस साल मई में शादी हुई। तबतक ग्रेजुएशन के एक सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी हुई थी। जून में वह पति के साथ गुजरात चली गई। सेकेंड सेमेस्टर की परीक्षा में वह शामिल नहीं हो सकी। मायके वाले परेशान थे कि किसी तरह बुलाकर परीक्षा दिला दें। लेकिन, पति को छुट्टी नहीं मिली और इतनी दूर से वह अकेले आ नहीं सकती थी। यह केवल बानगी है।

हर साल मुजफ्फरपुर सहित बिहार की हजारों बेटियों के सपने टूट जाते हैं। 18 की उम्र पूरी करते ही घरवाले शादी के लिए परेशान हो जाते हैं। कहा जाता है कि ससुराल में जाकर भी पढ़ाई पूरी कर लेगी। लेकिन, ऐसा कम बेटियों को ही नसीब होता है।

इसकी वजह भी स्पष्ट है। 33% लड़कियां घरों में घरेलू कार्य करती हैं। 25% लड़कियों की पढ़ाई शादी के कारण छूट जाती है। कई जगहों पर यह भी पाया जाता है कि लड़कियों ने स्कूल छोड़ने के बाद परिजनों के साथ मजदूरी या लोगों के घरों में सफाई करने का काम शुरू कर दिया। घर में किसी बच्चे का जन्म होने के बाद उसे संभालने के लिए लड़की को पढ़ाई छोड़नी पड़ी, क्योंकि माता-पिता दोनों मजदूरी के लिए बाहर जाते हैं। ऐसे भी मामले हैं, जिनमें लड़की की बढ़ती उम्र के कारण माता-पिता ने उसकी पढ़ाई बीच में छुड़वा दी।

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