बिहार में शिक्षकों के ट्रांस्फर-पोस्टिंग के लिए नया रोस्टर बनाया गया है। इसको काम भी तेज के साथ हो रहा, लेकिन इसको समझने के लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने फोन DEO ऑफिस से लगाकर जानन चाहा। इसके बाद जो खुलासा हुआ, उसने अचंभित कर दिया है।
दरअसल निर्णय का जायजा खुद एसीएस एस सिद्धार्थ ने लिया है। एसीएस एस सिद्धार्थ ने डीईओ के क्लर्क को फोन मिलाया और तबादले के लिए जारी किए गए आदेश को लेकर क्लर्क से पूछताछ की। इस दौरान क्लर्क ने एसीएस सिद्धार्थ को कई जानकारी दी। जिसका ऑडियो भी सामने आया है। वायरल ऑडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि इसमें एस सिद्धार्थ ने तबादला के नाम पर होने वाले लेन-देन का राज जानने के लिए फोन किया था।
ऑडियो में डीईओ का क्लर्क कह रहा है कि, सबका हालात खराब है। किसी को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। पहले सबका अच्छा कमाई हो जाता था। एस सिद्धार्थ ने पूछा कि किसका डीईओ का ? तो सामने से जवाब मिला हां। क्लर्क ने आगे कहा कि इतना सख्ती कर दिया गया है कि पहले जैसा व्यवस्था नहीं है। अब है कि काम करता है तो ये लोग करता है..ऊपरी कुछ नहीं हो पाएगा।
इसके बाद एसीएस एस. सिद्धार्थ ने पूछा कि लॉगिंग आईडी से कुछ पता नहीं चल रहा है तो क्लर्क ने कहा कि, हां लॉगिंग आईडी में ना नाम पता चल रहा है ना आईडी पता चल रहा है, मोबाइल नंबर भी पता नहीं चल रहा है कि कोई किसी के बारे में जानकारी ले सके। जिसके बाद एस सिद्धार्थ ने पूछा कि..इसलिए सब डीईओ का मुंह उतर गया है? तो एस सिद्धार्थ ने कहा कि, सबका मुंह उतर गया है। आगे क्लर्क कहता है कि खबर यही है..सब परेशान हैं… सबका परेशानी और बढ़ गया जब स्वतः विरमण शुरु हो गया है। यहां से कोई इधर उधर करता तो एक मोटा टर्नओवर हो जाता तो अब वो भी खत्म हो गया।
क्लर्क ने आगे कहा कि, बड़का साहब बुद्धि लगाकर सब बंद कर दिए है, ट्रांसफर किसका हो जा रहा है पता ही नहीं है चल रहा है। देखिए 15 तक क्या होता है? सब डीईओ तो परेशान है। जिसके बाद एस सिद्धार्थ कहते हैं कि चलिए क्या करिएगा सबका वक्त आता है। तो क्लर्क कहता है कि डीईओ साहब वर्मा जी जेल चले गए।
वहीं इसके बाद एस सिद्धार्थ कहते हैं कि कितनी बड़ी संख्या में ट्रांसफर साफ सफाई से संभव नहीं था, लेकिन देखिए कितनी सफाई से ट्रांसफर हो रहा है। क्लर्क कहता है कि अगली परीक्षा यही है कि 15 तक हो जाए और 23 तक देखिए क्या होता है।
डीईओ के पास शिक्षकों से जुड़ा कोई भी जानकारी नहीं आ रहा है बल्कि एक कोड के आधार पर वो ट्रांसफर किया जाएगा। एक बार में एक शिक्षक की जानकारी ही दिखाई जाएगी, और जब तक उसके आवेदन का निपटारा नहीं होगा, अगला आवेदन नहीं खुलेगा। हर शिक्षक ने 10 पंचायत विकल्प चुने हैं। डीईओ उन्हीं पंचायतों में रिक्त पदों के अनुसार आवंटन करेंगे। अगर विकल्प में रिक्ति न हो तो निकटतम पंचायत का विद्यालय आवंटित किया जाएगा। डीईओ आवेदन को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं इसलिए हर आवेदन पर निर्णय अनिवार्य है।
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