- Advertisement -

पटनाः शिक्षा विभग के अपर सचिव केके पाठक को लेकर हुए विवाद के बाद बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इस क्रम में नीतीश सरकार ने अपने मंत्रियों के प्राइवेट पीए को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। अब मंत्रियों के आप्त सचिव किसी भी सरकारी कार्य में बेवजह दखल नहीं दे सकेंगे। प्रदेश के मुख्य सचिव ने आप्त सचिवों के पर कतरते हुए साफ कर दिया है कि प्राइवेट आप्त सचिव किसी भी सरकारी कामकाज में पत्राचार नहीं करेंगे। मौखिक आदेश भी नहीं देंगे। बाहरी आप्त सचिव मंत्री के निजी कार्यों में पत्राचार कर सकेंगे।

मुख्य सचिव अमीर सुबहानी ने इसको लेकर सभी विभाग के सचिव, प्रधान सचिव, अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया है। जारी निर्देश के अनुसार निजी आप्त सचिव का पूर्वानुभव एवं ज्ञान सरकारी आप्त सचिव से भिन्न होने के कारण वे मंत्री की यात्रा, भ्रमण कार्यक्रम से संबंधित कार्य, गैर-सरकारी महानुभावों और सामान्य जन से साक्षात्कार के लिए समय निर्धारण आदि संबंधी कार्य के साथ मंत्री द्वारा सौंपे गए अन्य गैर-सरकारी कार्य करेंगे। लेकिन, आप्त सचिव किसी विभागीय अधिकारी के साथ विभागीय कार्य से संबंधित अपने स्तर पर मौखिक विमर्श, समीक्षा, दिशा निर्देश अथवा लिखित पत्राचार नहीं करेंगे। 

सरकारी आप्त सचिव प्रशासनिक सेवाओं के पदाधिकारी होते हैं। उन्हें सरकारी नियमों, प्रक्रियाओं आदि की विस्तृत जानकारी और कार्यानुभव होता है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि मंत्री के आप्त सचिव सरकार के द्वारा सरकारी संचिकाओं से संबंधी कार्य, मंत्री के आदेशानुसार सरकार के पदाधिकारियों से पत्राचार संबंधी कार्य एवं मंत्री द्वारा सौंपे गये अन्य सरकारी काम करेंगे।

दरअसल, लगभग दो माह पहले शिक्षा मंत्री प्रो.चंद्रशेखर के आप्त सचिव और अपर मुख्य सचिव के पाठक के बीच पीत पत्र लिखे जा रहे थे। शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के बाहरी आप्त सचिव डॉ. कृष्ण नंदन यादव ने शिक्षा अपर मुख्य सचिव को पीत पत्र लिख दिया था। जिसमें उन्होंने शिक्षा विभाग के काम पर सवाल उठाए थे। और लिखा था कि इससे मंत्री जी नाराज हैं। इसके जवाब में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने तीखा पलटवार किया था और आप्त सचिव को कार्यालय में प्रवेश करने पर रोक लगा दिया था।

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here