आइसा (AISA) का एकदिवसीय विरोध प्रदर्शन करने के दौरान मौलाना मजहरुल हक अरबी एंव फारसी यूनिवर्सिटी प्रशासन का छात्र विरोधी रवैया सामने आया है। इसके विरोध में 20 सूत्री मांगों के साथ मुख्य दौर पर सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर सभा का संचालन आइसा नेता ऋषि कुमार ने किया। राज्य अध्यक्ष प्रीति कुमारी ने कहा कि मौलाना मजहरुल हक अरबी व फारसी यूनिवर्सिटी के प्रशासन का तानाशाही रवैया चरम सीमा पर है। मैं वहां की छात्रा हूं इसके बावजूद भी मुझे कैम्पस में नही जाने दिया गया।
आइसा राज्य अध्यक्ष ने कहा कि छात्रों के प्रति यह असंवेदनशील रवैया विश्वविद्यालय के कुलसचिव के तानाशही को दर्शाता है। छात्रहित के सवालों और कुलपति कैम्पस में भ्रष्ट कुलसचिव कामेश कुमार के व्याप्त भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसके विरोध में आइसा का आंदोलन तबतक जारी रहेगा जबतक भ्रष्ट कुलसचिव को बर्खास्त कर उच्च स्तरीय जांच नहीं होगा।
इस मौके पर राज्य सचिव सबीर कुमार ने कहा कि आरोपित कुलसचिव के खिलाफ CAG ने पूर्व में ही अपनी रिपोर्ट दी है जिसके अनुसार सत्र 2017-22 कार्यकाल की उच्च स्तरीय जांच का आदेश कुलपति को दिया गया था। लेकिन उस जांच के आदेश को कहां गायब कर दिया गया यह किसी को भी नहीं पता है। कुलसचिव की मनमानी कारण अंग्रेजी विभाग के सहायक प्रो. नौशाद आलम को निलंबित कर दिया गया है।
क्योंकि उन्होंने विश्वविद्यालय के दो तल को किसी निजी संस्था को बेचने का विरोध किया था। इस प्रकरण में यह भी प्रकाश में आया है कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने राजभवन को भी गुमराह किया है। उर्दू में उत्तर देने पर विकास अधिकारी ईनाम जफर का वेतन रोक दिया गया और उन्हे कई रुपों में प्रतिदिन प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसे में कुलसचिव पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन कुलपति संरक्षण दे रहे हैं। छात्र-शोधार्थियों के लिए प्रयोगशाला, लैब-स्टूडियों, नई किताबे इत्यादि किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। कुलसचिव अपने दो बार के कार्यकाल में अनेक सामग्री खरीद की है, जिसमें घोर वित्तीय अनियमितता हुई है।
मालूम हो कि कैग (CAG) की रिपोर्ट में सत्र 2017-22 में आर्थिक अपराध के लिस्ट में विवि. को चिन्हित किया गया है। आरोपित कुलसचिव पर अब तक किसी प्रकार से उच्च स्तरीय जांच नही की गई। इनका कार्यकाल नौ माह पूर्व ही समाप्त हो चुका है। इसके बाद भी वह अपने पद पर बने हुए हैं। गैर शैक्षणिक कर्मचारियों और अधिकारियों का मार्च का वेतन दिया जा चुका है, लेकिन शिक्षकों को प्रताड़ित करने के लिए केवल इनका वेतन नहीं दिया गया है।
जो भी कुलसचिव के गलत कार्यों का विरोध करता है उसे वह लक्षित करके प्रताड़ित करते हैं। कुलसचिव ने विश्वविद्यालय परिसर को तानाशाही का अड्डा बना दिया है। अनेक मौकों पर यह बिहार सरकार के नियमों की भी अवहेलना करते हैं। आने वाले दिनो में मौलाना मजहरुल हक़ अरबी और फारसी विश्वविद्यालय के छात्र विरोधी, कर्मचारी विरोधी और शिक्षक विरोधी नीतियों के खिलाफ निर्णायक संघर्ष तेज किया जाएगा।
इस विरोध प्रदर्शन में आइसा नेता जानवी, आसना, विवि. कोडिनेशन सदस्य गोलू, रौनक, मनीष, फहद, धर्मेंद्र, आसना, धर्मेंद्र कुमार यादव, दीपक कुमार यादव, अभिषेक कुमार, गौतम कुमार, सुधांशु कुमार, किट्टू उर्फ एसके सम्राट दर्जनों आइसा सदस्य शामिल थे।
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