![अमित शाह ने नीतीश कुमार को डरा दिया! - प्रियरंजन भारती 2 priyaranjan bharti](https://livebihar.com/wp-content/uploads/2024/08/priyaranjan-bharti-300x284.jpeg)
संसद में अमित शाह के डॉ भीमराव आंबेडकर को लेकर दिए गए वक्तव्य के बाद कांग्रेस और विपक्षी दलों के हंगामे से बदले राजनीतिक परिदृश्य के बीच आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड अध्यक्ष नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कहा है कि अब वक्त आ गया है।
उन्होंने पत्र में नीतीश कुमार से एनडीए छोड़ आइएनडीआइए में चले आने की अपील की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुक्रवार को अचानक अस्वस्थ हो गये। अस्वस्थता के कारण राजधानी पटना में आयोजित बिजनेस समिट में जाने का महत्वपूर्ण और बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम रद्द हो गया। बिहार बिजनेस कनेक्ट की तैयारियां दो साल से सरकार कर रही थी। पटना के ज्ञान भवन में हुए इस समारोह में मुख्यमंत्री जाने वाले थे। राजगीर में जरासंध स्मारक का उद्घाटन और मूर्ति अनावरण का कार्यक्रम था। दोनों ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम स्वास्थ्य खराब होने के चलते रद्द हो गये। इसके साथ ही कयासों का दौर चल पड़ा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य खराब होने की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई। आशंकित करने वाले ये कयास बड़ी ही तेजी से लगाए जाने लगे। इसे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान से जोड़ कर देखा जाने लगा। नीतीश कुमार को लेकर अमित शाह ने पिछले दिनों एक चैनल पर पूछे जाने पर कहा था कि बिहार विधानसभा के बाद नेता कौन होगा यह पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करेगा।इस पर जदयू और प्रदेश भाजपा के रिश्तों में अचानक गर्मी आ गई। दोनों ही दलों में तल्खी बढ़ गई। जदयू के नाक नक्श चढ़ गये जबकि भाजपा नेताओं को सफाई देने के मुद्रा में देखा गया। इसके सटीक कारण भी हैं। भाजपा नेतृत्व ने नीतीश कुमार को ही अगला मुख्यमंत्री पहले ही घोषित कर रखा है। कह रखा है कि एनडीए 2025 का विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेगा। यानी चुनाव परिणाम आने के बाद एनडीए यदि फिर सत्ता में आया तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही सीएम बनेंगे।
सवाल वाजिब उठे कि जब नेता घोषित कर रखा ही है तब फिर नये नेता का चुनाव पार्लियामेंट्री बोर्ड क्या तय करेगा ? तल्खी इस बयान पर इसलिए बढ़ी कि महाराष्ट्र के प्रयोग की पुनरावृत्ति भाजपा बिहार में भी तो नहीं करना चाहती? संसदीय चुनावों के पहले अमित शाह यह अनेक मर्तबा कह चुके थे कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं। लेकिन परिस्थितियां एकदम से पलट गई और नीतीश कुमार को एनडीए में वापस लाने का तिकड़म चला। चला ही नहीं बल्कि आइएनडीआइए को तिलांजलि देकर वह एनडीए में आए और एनडीए की सरकार बनी।आज बिहार में नीतीश कुमार एनडीए सरकार के मुख्यमंत्री हैं।अब जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान भी एनडीए का हिस्सा हैं।और जिस चिराग पासवान से चाचा नीतीश कुमार की तल्खी थी वह अब उनके मुरीद हो गये हैं।
अब अमित शाह फिर से सुर्खियों में हैं। उनके वक्तव्य बिहार में भी राजनीतिक वातावरण को गरमा गये हैं। जब अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं और सत्तापक्ष के साथ विपक्ष इसकी हर तरह की तैयारियां कर रहा है तब इस बयान से गरमाई राजनीति बेमतलब भी नहीं कही जा सकती।फिर नीतीश कुमार का अचानक स्वास्थ्य बिगड़ जाना भी अगर कयासों को जन्म देने वाला बनता है तो इसके निहितार्थ और भी हैं। हालांकि नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर चर्चा बार बार उठती रही है।वह कई बार असहज हो उठते हैं। अचानक से कुछ भी बोल बैठते हैं और बेमतलब किसी के पैर छू लेते हैं। प्रधानमंत्री की सभाओं से लेकर अनेक मौकों पर वह बिन बात के कह बैठते हैं पहले इधर उधर हो चुके हैं लेकिन अब कहीं और नहीं जाएंगे,यहीं रहेंगे। ऐसा दल दर्जनों बार वह कह चुके हैं।इस पर खूब चुटकियां भी ली गईं और चर्चाएं भी गर्म हुईं कि आखिर बिन बात वह ऐसा क्यों कहते रहते हैं।ये भी कहा जाने लगा कि नीतीश कुमार के मन में कुछ ज़रूर चल रहा है।वह फिर पाला बदल सकते हैं।
ताजा प्रकरण ने इन बातों को और भी हवा दे दी है। उपचुनावों में चिराग पासवान के प्रचार न करने तथा विधान परिषद की तिरहुत स्नातक क्षेत्र में अघोषित तौर पर जदयू को हरवाने की भूमिका निभाने के लिए चर्चा में आए चिराग पासवान के रुख को लेकर भी सियासी संशय बढ़ा।वह हाल में यह कह गए कि विधानसभा चुनाव वह भी लड़ सकते हैं। लिहाज़ा यह बात कानों-कान फैलने लगी कि मुख्यमंत्री बनने की लालसा चिराग को फिर 2020 के विधानसभा चुनाव वाली भूमिका में ला सकता है और केंद्रीय गृहमंत्री के बयान के बाद इसे बल भी मिला कि नेता का चुनाव पार्लियामेंट्री बोर्ड करेगा।इन हालात में नीतीश कुमार के अगले क़दम का इंतजार हर कोई करने लगा है।और अरविंद केजरीवाल के पत्र तथा नीतीश कुमार के बिगड़े स्वास्थ्य ने आग में घी डालने का काम किया है।अब देखना होगा कि नीतीश आगे एनडीए के मुख्यमंत्री बने रहते हुए चुनाव की तैयारी जारी रखते हैं या उनका रुख फिर पलटता है?
हालांकि नीतीश कुमार के बदले रुख को देखते हुए भाजपा ने डैमेज कंट्रोल करना शुरू कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री तक सभी यह दोहरा रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में नीतीश ही हमारे नेता होंगे। चुनाव के बाद उन्हीं के नेतृत्व में सरकार बनाएंगे।