भागलपुर: भागलपुर के शाहकुंड प्रखंड के कसवा खेरही वली नगर के सपेरी टोला में आजादी के बाद से बसे लगभग 200 परिवारों के सामने संकट खड़ा हो गया है। वन विभाग द्वारा इन परिवारों को जमीन खाली करने का नोटिस जारी किया गया है। इससे स्थानीय बंजारन समुदाय में चिंता और आक्रोश फैल गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि वे पिछले 50 सालों से इस भूमि पर रह रहे हैं। इस दौरान उन्होंने सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ भी उठाया है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि उनके बच्चे स्थानीय स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं। गांव में बिजली, पानी, शौचालय और कुएं जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। ऐसे में अचानक से उन्हें उजाड़ने का नोटिस जारी करना उनके लिए एक बड़ा झटका है।
उन्होंने सवाल उठाया कि यदि यह भूमि वन विभाग की थी, तो उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ क्यों दिया गया? संरक्षक जन संसद के अजीत कुमार ने कहा कि यह मामला केवल भूमि के अधिकारों का नहीं, बल्कि मौलिक अधिकारों का भी है। उन्होंने कहा,’सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, उजाड़ने से पहले बसाने की प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में भी वन विभाग के द्वारा नोटिस दिया गया था तो पूर्व विधायक सुबोध राय ने चिट्ठी देकर इस पर रोक लगाया था’।
अजीत कुमार ने चेतावनी दी कि अगर पत्थर माफिया और वन विभाग की टीम ने उन्हें हटाने का प्रयास किया, तो वे इसके खिलाफ पटना तक आवाज उठाने के लिए तैयार हैं। ग्रामीणों ने अपने नेताओं से अपील की है कि वे सरकार पर दबाव डालकर इस नोटिस को वापस लें। इस मामले में काफी संख्या में ग्रामीण एकजुट होकर अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है।