महागठबंधन की राजनीति में बुधवार-रात का ड्रामा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की बिसात बिछ चुकी है, और महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर 24×7 चर्चा जारी है। इसी राजनीतिक तनाव के बीच गुरुवार की रात एक चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया — बाहुबली नेता अशोक महतो राबड़ी आवास पहुँचे, लेकिन उन्हें अंदर जाने की इजाज़त नहीं मिली। इस घटना ने गठबंधन के भीतर अंतःकलह की ताज़ा और तेज तस्वीर पेश कर दी है।
जानकारी के अनुसार, अशोक महतो तेजस्वी यादव से मुलाकात करना चाहते थे — संभवतः टिकट की मांग को लेकर — लेकिन राबड़ी आवास में उनकी एंट्री रोक दी गई। तेजस्वी के सुरक्षा गार्ड ने उन्हें दरवाजे से ही लौटने को कहा। खड़खड़ाते दिल की उम्मीदें वहीं ठहरा दीं, और चर्चाएँ फिर गहरी हो गईं कि क्या यह महागठबंधन में किसी तरह की दरार की शुरुआत है।

नंबर और पृष्ठभूमि से समझें क्यों है यह मामला अहम
1. 2024 लोकसभा चुनाव: अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी आरजेडी की ओर से मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी थीं।
2. अशोक महतो की राजनीतिक महत्वाकांक्षा: वे स्पष्ट करना चाह रहे हैं कि इस बार खुद चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं — जिसे वे तेजस्वी यादव के समक्ष प्रस्तुत करना चाहते थे।
3. पक्षपात या संदेश? गार्ड द्वारा उनकी एंट्री न देना एक नकारात्मक संकेत माना जा रहा है — क्या तेजस्वी या उनके दल में किसी को यह स्वीकृति नहीं थी कि महतो उनसे खुलकर संपर्क करें?
इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों और सोशल मीडिया दोनों में उत्तेजना फैला दी है — समर्थक कुछ इसे गठबंधन के अंदरूनी मतभेद कह रहे हैं, जबकि विरोधी इसे कमज़ोर इशारा मान रहे हैं।
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क्यों है यह घटना अहम
• बाहुबली नेता को सार्वजनिक ठुकराया जाना, गठबंधन की छवि को जख्मी कर सकता है।
• क्या यह एक चेतावनी है कि किसी भी टिकट की बातचीत बिना राजनयिक कुशलता के संभव नहीं है?
• जब भीतर ही मतभेद सार्वजनिक हो जाएँ, गठबंधन की साख और भरोसे पर आघात पहुँच सकता है।
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इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार के राजनीतिक गलियारों में अब ड्रामेबाजी और शक्ति संकेत दोनों ही अब दिन की कहानी बन चुके हैं। महागठबंधन को जितना शोर-गुल और समर्थन चाहिए था, उतना ही उसे सुरक्षित भीतर की एकता भी चाहिए। अगर आज किसी को दरवाजे पर रुकना पड़ सकता है, तो आने वाले दिनों में गठबंधन की हर राजनीतिक चाल सार्वजनिक परीक्षा से गुज़र सकती है।
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