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पटना: यूनिसेफ, बिहार और एमिटी यूनिवर्सिटी, पटना की साझेदारी में आज मीडिया कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया, जिसमें मीडिया पेशेवरों, सरकारी अधिकारियों और छात्रों के एक विशिष्ट समूह ने बच्चों के अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका का अन्वेषण किया। बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक रवि भूषण सहाय इस कॉन्क्लेव के मुख्य अतिथि थे। मीडिया कनक्लेव का उद्देश्य मीडिया को बच्चों और किशोरों की विविध चुनौतियों से जोड़ना था। यूनिसेफ के कार्यक्रम प्रबंधक शिवेंद्र ने पैनल चर्चा का संचालन किया।

चर्चा के दौरान, स्वास्थ्य और शिक्षा में असमानताएँ, बाल श्रम और बाल विवाह जैसी प्रमुख समस्याओं पर ध्यान दिया गया। पैनल के सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि ये समस्याएँ, जो सामाजिक-आर्थिक असमानताओं में गहराई से निहित हैं, मीडिया के तत्काल और निरंतर ध्यान की मांग करती हैं।

उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि पत्रकारिता एक शक्तिशाली उपकरण है, जो सार्वजनिक विमर्श को आकार देने, संवाद को प्रज्वलित करने और सामुदायिक कार्रवाई और नीति सुधारों को प्रभावित करने में सक्षम है, जो बच्चों और किशोरों के लिए स्थायी परिवर्तन ला सकते हैं। यह भी बताया गया कि रिपोर्टिंग के दौरान यदि लैंगिक-संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया जाए, तो यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सभी बच्चों को, चाहे उनका लिंग कोई भी हो, उन्हें देखा जाए, सुना जाए और उनकी सुरक्षा की जाए।

पैनल ने इस बात पर भी जोर दिया कि बच्चों का शोषण और उपेक्षा से बचाने के लिए कानूनों का निर्माण किया गया है, लेकिन इन कानूनों का कार्यान्वयन अक्सर कमज़ोर पड़ जाता है। यहां मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। मीडिया लगातार उन कमियों की रिपोर्ट कर बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करवा सकता है।

पैनल चर्चा का समापन मीडिया, सरकार और नागरिक समाज के बीच मजबूत सहयोग के लिए एक जोरदार आह्वान के साथ हुआ, ताकि इन बहुआयामी चुनौतियों का समाधान किया जा सके। कॉन्क्लेव में हिंदुस्तान टाइम्स, हिंदुस्तान, कौमी तंज़ीम, दूरदर्शन बिहार , रेड एफएम, देशप्राण डिजिटल अख़बार और लाइव बिहार डिजिटल चैनल के वरिष्ठ पत्रकारों ने भाग लिया।

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