Bangladesh Hindu Safety Crisis 2025: स्वतंत्रता सेनानी जोगेश चंद्र रॉय और उनकी पत्नी की हत्या ने हिला दिया बांग्लादेश
बांग्लादेश के रांगपुर में 1971 के मुक्ति संग्राम के वीर योद्धा जोगेश चंद्र रॉय और उनकी पत्नी सुबर्णा रॉय की गला रेतकर निर्मम हत्या ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। यह मामला केवल एक अपराध नहीं, बल्कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की लगातार बिगड़ती सुरक्षा स्थिति का गंभीर संकेत है।
75 वर्ष के एक स्वतंत्रता सेनानी और उनकी पत्नी की उनके ही घर में हत्या न केवल दर्दनाक है, बल्कि यह बांग्लादेश की वर्तमान सामाजिक और प्रशासनिक विकृति पर गहरा सवाल खड़ा करती है।
- Bangladesh Hindu Safety Crisis 2025: स्वतंत्रता सेनानी जोगेश चंद्र रॉय और उनकी पत्नी की हत्या ने हिला दिया बांग्लादेश
- Bangladesh Hindu Safety Crisis 2025: शेख हसीना के जाने के बाद बदला माहौल, बढ़ती हिंसा
- Bangladesh Hindu Safety Crisis 2025: कट्टरपंथी संगठनों की बढ़ती सक्रियता
- Bangladesh Hindu Safety Crisis 2025: पुलिस तंत्र पूरी तरह कमजोर—कौन सुरक्षित है?
- Bangladesh Hindu Safety Crisis 2025: भारत ने 3,582 मामले उठाए, लेकिन ढाका अनसुना कर रहा
- Bangladesh Hindu Safety Crisis 2025: क्या बांग्लादेश अल्पसंख्यकों की रक्षा कर भी सकता है?
सुबह जब पड़ोसियों ने दरवाज़ा खटखटाया और कोई जवाब नहीं मिला, तो वे सीढ़ी लगाकर ऊपर पहुंचे। घर के अंदर का दृश्य भयावह था—
डाइनिंग रूम में जोगेश रॉय का शव,
रसोई में उनकी पत्नी का शव,
दोनों के गले बेरहमी से काटे गए।
यहां कोई लूटपाट नहीं हुई, न कोई झगड़े के निशान थे। पुलिस के पास न कोई सुराग, न कोई संदिग्ध।
यह पूरी घटना बताती है कि बांग्लादेश का प्रशासन आज किस हद तक असहाय और कमजोर हो चुका है।
Bangladesh Hindu Safety Crisis 2025: शेख हसीना के जाने के बाद बदला माहौल, बढ़ती हिंसा
शेख हसीना के पद से हटने के बाद बांग्लादेश में स्थिति तेजी से बदली है।
अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले बढ़े,
मंदिर जलाए गए,
घरों पर भीड़ ने धावा बोला,
डरे-सहमे परिवारों ने रातों-रात पलायन किया।
और अब—एक स्वतंत्रता सेनानी और उनकी पत्नी की हत्या।
इस तरह की घटनाएँ स्पष्ट करती हैं कि बांग्लादेश में असहिष्णुता और कट्टरपंथ किस हद तक बढ़ चुका है।
अंतरिम शासक मुहम्मद यूनुस की चुप्पी पूरे संकट को और गहरा कर रही है।
प्रश्न यह है—क्या सरकार स्थिति को संभालने में असमर्थ है या फिर वह इन घटनाओं को महत्व ही नहीं देना चाहती?
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Bangladesh Hindu Safety Crisis 2025: कट्टरपंथी संगठनों की बढ़ती सक्रियता

शेख हसीना सरकार के पतन के बाद उन संगठनों का उभार हुआ है जिन्हें हमेशा से अल्पसंख्यक-विरोधी माना जाता रहा है।
कट्टरपंथी समूहों की बढ़ती गतिविधियाँ सीधे-सीधे हिंदुओं के खिलाफ हिंसा बढ़ाने में योगदान दे रही हैं।
हर तरफ से एक ही संदेश मिल रहा है:
अल्पसंख्यक अब बांग्लादेश में सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं।
Bangladesh Hindu Safety Crisis 2025: पुलिस तंत्र पूरी तरह कमजोर—कौन सुरक्षित है?
2024 के आंदोलन के दौरान बांग्लादेश के पुलिस बल को अभूतपूर्व हिंसा का सामना करना पड़ा।
कई पुलिसकर्मी मारे गए,
कई घायल हुए,
और कई अभी तक ड्यूटी पर नहीं लौटे हैं।
स्थिति यह है कि बांग्लादेश की पुलिस अपने ही ढांचे को संभालने में सक्षम नहीं दिख रही।
और सबसे दुखद तथ्य—
स्वतंत्रता सेनानी जोगेश रॉय के दो बेटे स्वयं पुलिस में हैं, फिर भी वे अपने माता-पिता की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सके।
जब देश के एक पूर्व सेनानी का परिवार सुरक्षित नहीं है, तो एक आम हिंदू परिवार किससे सुरक्षा की उम्मीद करे?
Bangladesh Hindu Safety Crisis 2025: भारत ने 3,582 मामले उठाए, लेकिन ढाका अनसुना कर रहा
भारत ने 2021 से अब तक 3,582 मामले बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा के संदर्भ में आधिकारिक रूप से उठाए हैं।
मानवाधिकार संगठनों ने कई गंभीर चेतावनियाँ जारी की हैं।
लेकिन बांग्लादेश सरकार की प्रतिक्रिया हमेशा एक ही रहती है—
“यह सब प्रोपेगेंडा है।”
जबकि सच्चाई यह है कि—
हिंदू जनसंख्या लगातार घट रही है।
हर वर्ष हजारों परिवार पलायन कर रहे हैं।
और अब एक स्वतंत्रता सेनानी की हत्या ने यह साफ कर दिया है कि स्थिति गंभीर रूप से नियंत्रण से बाहर है।
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Bangladesh Hindu Safety Crisis 2025: क्या बांग्लादेश अल्पसंख्यकों की रक्षा कर भी सकता है?
इस घटना ने बांग्लादेश के नागरिक ढांचे को लेकर बड़े प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
क्या सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा देना चाहती है?
क्या उसके पास ऐसा करने की क्षमता बची है?
क्या देश अपनी बहुलतावादी पहचान को बचा पाएगा?
यदि स्वतंत्रता सेनानी भी सुरक्षित नहीं,
यदि उनके बेटे भी सुरक्षा नहीं दे सके,
यदि पुलिस असहाय है—
तो फिर बांग्लादेश के सामान्य हिंदू नागरिकों की स्थिति का अंदाज़ा सहज लगाया जा सकता है।
जोगेश चंद्र रॉय और उनकी पत्नी की हत्या एक चेतावनी है—
यदि इसे अनदेखा किया गया तो बांग्लादेश और गहरे संकट में जाएगा।
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