गया: बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी द्वारा जहानाबाद में बीते दिनों भूमिहारों के खिलाफ दिए गए कथित बयान से प्रदेश की राजनीति में भूचाल की स्थिति बनी हुई है। दूसरी तरफ जहानाबाद के भूमिहार समाज के लोग अशोक चौधरी के पक्ष में मजबूती के साथ खड़े हैं।
गांधी मैदान में मीडिया से बात करते हुए लोगों ने कहा कि अशोक चौधरी ने भूमिहार समाज को कहीं कुछ भी नहीं कहा है। उन्होंने एक विशेष व्यक्ति को कहा है, जो जहानाबाद से टिकट के लिए संघर्षरत थे। ये विवाद उन्होंने ने ही खड़ा किया है। अशोक चौधरी का कहना बस इतना है कि जो जैसा बोएगा, वैसा काटेगा।
जहानाबाद संसदीय क्षेत्र के विभिन्न जिलों से आए भूमिहार समाज को लोगों ने मामले को लेकर आगे बताया कि इसमें कुछ गलत नहीं है। जिसके बारे में अशोक चौधरी ने कहा है, वो जदयू के कार्यकर्ता हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी हित में कोई काम नहीं किया था। जिस तरह से वह जदयू प्रत्याशी के विरोध में था उस स्थिति में अशोक चौधरी नहीं होते तो हमारा प्रत्याशी डेढ़ लाख से नहीं बल्कि 3 से 4 लाख से चुनाव हारता। अशोक चौधरी का ही देन है कि उन्होंने भूमिहारों के गांवों में घूम-घूमकर और हाथ-पैर जोड़ कर बहुत हद तक नाराजगी को दूर किया था।
कुर्था थाना क्षेत्र के लारी गांव से आए प्रेम कुमार झूलन ने कहा कि अशोक चौधरी ने समाज के मान मर्यादा प्रतिष्ठा को कहीं से ठेस पहुंचाने का दुस्साहस नहीं किया है। उन्होंने व्यक्ति विशेष को कहा है। वह भी बड़े ही सलीके और इशारों में कहा है। उसे ही वह व्यक्ति विशेष मुद्दा बना रहे हैं। यह गलत है। चुनाव के दौरान अशोक चौधरी ने जिस तरीके से भूमिहारों का सम्मान दिया है वह अविस्मरणीय है। इस बात के गवाह भूमिहार समाज के कई गांव हैं।
अतरी विधानसभा, मोहरा प्रखंड केशवपुर गांव से सुबोध सिंह पूर्व पैक्स अध्यक्ष, सह 20 सूत्री सदस्य ने कहा कि अशोक चौधरी को बदनाम करने के लिए भूमिहार समाज का ही एक व्यक्ति जाति के नाम पर षड्यंत्र रच रहा है। ऐसा इसलिए कि उन्हें चुनाव में टिकट नहीं मिला। इसी बात का खुन्नस वह व्यक्ति जाति का कार्ड खेलकर निकाल रहे हैं। अशोक चौधरी कहीं गलत नहीं है।
टेकारी, संडा गांव से आए पिंटू शर्मा ने कहा कि अशोक चौधरी भूमिहार विरोधी नहीं हैं। जहानाबाद का भूमिहार उनसे दुखी नहीं है बल्कि वे दुखी हैं जो संसदीय क्षेत्र जहानाबाद में खुद को भूमिहारों का नेता मानते हैं। इस बात के गवाह हम नहीं बल्कि जहानाबाद का हर एक गांव है। जब भूमिहारों पर कहर बरपाया जा रहा था तो उस समय ये नेता कहां थे। यदि अशोक चौधरी भूमिहार विरोधी होते तो उनकी बेटी शाम्भवी चौधरी चुनाव नहीं जीततीं। इस बात की जानकारी समस्तीपुर के हर उस बूथ से ली जा सकती है जहां भमिहार मतदाता थे। इस सारा खेल के पीछे एक व्यक्ति विशेष की नाराजगी है और कुछ नहीं।