बिहार में भूमि सुधार के लिए पिछले कई साल से काम चल रहा है। इस काम में अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ा रहा है, लेकिन अब भूमि सुधार के लिए सर्वे के काम में काफी आसानी होने वाली है। अभिलेखों के कैथी लिपि में होने की वजह से काफी परेशानी हो रही थी, अब कैथी लिपि का अनुवाद देवनागरी लिपि में होने जा रहा है।
यही वजह है कि इस व्यावहारिक परेशानी को दूर करने के लिए राज्य सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत डिजिटल इंडिया भाषिणी डिवीजन (डीआईबीडी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। अब भूमि सर्वे में किसी तरह का कोई परेशानी नहीं होगी।
इसके तहत कैथी लिपि में दर्ज भूमि संबंधी दस्तावेजों का देवनागरी में अनुवाद कराया जाएगा. इस करार पर भाषिणी प्रमंडल के सीईओ अमिताभ नाग और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने हस्ताक्षर किया है. इस करार का मकसद समृद्ध विरासत को आधुनिक तकनीक से जोड़ना है. भाषिणी का सहयोग बिहार सरकार के कई विभागों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है. इसकी सहायता से प्रशासनिक व अन्य समस्याओं का तकनीकी समाधान निकाला जा सकेगा।
जानकारी के अनुसार कैथी लिपि में कई ऐसे दस्तावेज हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए सेवानिवृत्त कर्मियों पर निर्भर रहना पड़ता है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह के अनुसार यह पहल विशेष सर्वेक्षण की वर्तमान प्रक्रिया में भी सहायक साबित होगी. इसकी वजह है कि अधिकांश पुराने कैडस्ट्रल व रिविजन सर्वेक्षण अभिलेख कैथी लिपि में हैं, जिन्हें पढ़ना काफी कठिन साबित होता है।
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