Bihar Chhath 2025: गंगा स्नान के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़, ट्रेन में पैर रखने तक की जगह नहीं — रेलवे पर नाराज यात्रियों ने जताई शिकायत

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छठ पूजा यात्रा भीड़ 2025 के दौरान जमुई स्टेशन पर श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए ट्रेन में सवार होते हुए
Highlights
  • • गंगा स्नान के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड भीड़ • जमुई स्टेशन पर पैर रखने की जगह नहीं बची • महिलाएं ट्रेन के पायदान पर सफर करती दिखीं • यात्रियों ने रेलवे प्रशासन पर जताई नाराजगी • छठ पर्व के दौरान अतिरिक्त लोकल ट्रेनों की मांग

छठ पूजा यात्रा भीड़ 2025 — श्रद्धालुओं की आस्था ने तोड़ी सीमाएं, जमुई स्टेशन से गंगा घाटों तक अफरातफरी का माहौल

जमुई (बिहार): दीपावली के समापन के साथ ही बिहार में आस्था के महापर्व छठ पूजा की तैयारियां चरम पर हैं। बुधवार को जमुई रेलवे स्टेशन पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। गंगा स्नान के लिए हाथीदह, सिमरिया और मोकामा घाट की ओर जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों की इतनी भीड़ थी कि ट्रेन के डिब्बों में पैर रखने की जगह तक नहीं बची।

छठ पूजा की इस भीड़ ने न केवल रेलवे प्रशासन को चुनौती दी है, बल्कि यात्रियों के धैर्य की भी परीक्षा ले ली है। सुबह की पहली ईएमयू ट्रेन से लेकर दोपहर तक हर ट्रेन खचाखच भरी रही। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग — सभी गंगा स्नान की आस्था में डूबे हुए, किसी भी तरह घाट तक पहुंचने की कोशिश में थे।

श्रद्धालुओं की बाढ़ — “गंगा मैया के दर्शन” के लिए स्टेशन पर उमड़ा जनसैलाब

Bihar Chhath 2025: गंगा स्नान के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़, ट्रेन में पैर रखने तक की जगह नहीं — रेलवे पर नाराज यात्रियों ने जताई शिकायत 1

सुबह की पहली ट्रेन छूटते ही जमुई स्टेशन पर अफरातफरी का माहौल बन गया। महिलाएं पायदान पर लटकीं, बच्चे गोद में, और सिर पर पूजा की टोकरी — हर तरफ सिर्फ एक ही आवाज़ थी — “गंगा मैया की जय!”

ट्रेन के भीतर इतनी भीड़ थी कि कई श्रद्धालु बीच रास्ते में ही सांस लेने को मजबूर थे। कई व्रतियों ने बताया कि उन्होंने छठ घाट पर समय से पहुंचने के लिए सुबह 4 बजे से स्टेशन पर डेरा डाल रखा था, लेकिन भीड़ के कारण ट्रेन में चढ़ना ही मुश्किल हो गया।

कुछ लोग तो इस भीड़ में छूट गए और उन्हें अगली ट्रेन का इंतजार करना पड़ा। रेलवे प्लेटफॉर्म पर महिलाओं और बुजुर्गों की भीड़ ने सुरक्षा व्यवस्था की कमी को उजागर कर दिया।

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रेलवे पर उमड़ा गुस्सा — “आदर्श स्टेशन” जमुई में सुविधाओं का अभाव

छठ पूजा यात्रा भीड़ 2025 के बीच यात्रियों का रेलवे प्रशासन के प्रति गुस्सा फूट पड़ा। कई यात्रियों ने कहा कि “छठ जैसे महापर्व में रेलवे को पहले से तैयारी करनी चाहिए थी। कुछ अतिरिक्त लोकल ट्रेनें चला दी जातीं तो इतनी परेशानी नहीं होती।”

यात्रियों का कहना है कि जमुई स्टेशन को ‘आदर्श स्टेशन’ कहा जाता है, लेकिन यहां की स्थिति बहुत खराब है — ना पर्याप्त बैठने की जगह, ना पीने का साफ पानी, ना भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था।

रेलवे ने भले ही कुछ विशेष ट्रेनें चलाई हों, लेकिन वो नाकाफी साबित हो रही हैं। हर ट्रेन के आने से पहले ही प्लेटफॉर्म पर भारी भीड़ इकट्ठा हो जाती है, जिससे चढ़ने-उतरने में अफरातफरी मच जाती है।

यात्रियों की पीड़ा — “खड़े होकर सफर, बच्चों के साथ कठिन यात्रा”

बोगियों की कम संख्या के कारण यात्रियों को लंबी दूरी तक खड़े होकर सफर करना पड़ रहा है। कई श्रद्धालुओं ने बताया कि भीड़ में बच्चों और बुजुर्गों को संभालना बेहद मुश्किल हो गया है।

एक छठव्रती महिला ने कहा, “हम लोग गंगा स्नान के लिए निकलते हैं तो बस यही सोचते हैं कि मां गंगा का आशीर्वाद मिलेगा, लेकिन इतनी भीड़ में जान पर बन आती है।”

कई श्रद्धालु ट्रेन के पायदान पर लटके हुए सफर करने को मजबूर दिखे। प्लेटफॉर्म पर लगातार भगदड़ जैसी स्थिति बन रही थी, लेकिन रेलवे के अधिकारी मौके पर नजर नहीं आए।

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श्रद्धालुओं की मांग — “छठ पर्व पर अतिरिक्त लोकल ट्रेनें चलाएं”

छठ पूजा यात्रा भीड़ 2025 के बढ़ते दबाव को देखते हुए श्रद्धालुओं ने रेलवे से एक ही मांग की है — छठ पर्व पर अतिरिक्त लोकल ट्रेनें चलाएं।

उन्होंने कहा कि हर साल की तरह इस बार भी भीड़ का अनुमान रेलवे ने कम लगाया। जमुई, कीमा, लखीसराय, और पटना रूट पर गंगा घाटों की ओर जाने वाले यात्रियों की संख्या लाखों में पहुंच चुकी है।

श्रद्धालुओं का कहना है कि जब तक भीड़ नियंत्रण और ट्रेनों की संख्या में वृद्धि नहीं होती, तब तक ऐसी अव्यवस्था हर साल देखने को मिलेगी।

आस्था और अव्यवस्था के बीच फंसी जनता

छठ सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि बिहार की पहचान और आस्था का उत्सव है। लेकिन इस उत्सव में बार-बार प्रशासनिक कमियों का साया दिख जाता है।

छठ पूजा यात्रा भीड़ 2025 ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब जनता आस्था में डूबती है, तो व्यवस्था उसकी बराबरी नहीं कर पाती।

रेलवे को इस बात पर गंभीरता से विचार करना होगा कि छठ जैसे अवसरों पर सिर्फ विशेष ट्रेनों की घोषणा नहीं, बल्कि उनका सही संचालन ही यात्रियों को राहत दे सकता है।

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