बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल अब पूरी तरह गर्म हो चुका है। जन सुराज की रैलियों से लेकर जदयू और भाजपा के सीट बंटवारे तक, अब हर दल अपनी चुनावी तैयारी में पूरी ताकत झोंक चुका है। इसी क्रम में लोजपा (रामविलास) ने भी चुनावी बिगुल बजा दिया है।
पार्टी प्रमुख चिराग पासवान ने चार सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जिसमें पार्टी के कई वरिष्ठ और भरोसेमंद चेहरों को टिकट दिया गया है।
NDA में तालमेल के बीच लोजपा (रामविलास) का अलग दमखम
एनडीए (NDA) के भीतर चल रही सीट बंटवारे की चर्चाओं के बीच चिराग पासवान ने यह कदम उठाकर यह संकेत दे दिया है कि लोजपा (रामविलास) किसी भी स्थिति में अपने संगठन को पीछे नहीं रखना चाहती।
बिहार चुनाव 2025 लोजपा उम्मीदवार की घोषणा खुद चिराग पासवान ने की, जिसमें चार प्रमुख नामों को पार्टी का सिंबल सौंपा गया।
इन चार प्रत्याशियों में —
1️⃣ राजू तिवारी (गोविंदगंज) – लोजपा (रामविलास) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष
2️⃣ हुलास पांडेय (ब्रह्मपुर) – बिहार संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष
3️⃣ संजय पासवान (बखरी – सुरक्षित) – बिहार प्रदेश के प्रधान महासचिव
4️⃣ सीमांत मृणाल (गरखा – सुरक्षित) – छात्र प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष
ये सभी नाम पार्टी संगठन में मजबूत माने जाते हैं और इनकी उम्मीदवारी से लोजपा (रामविलास) ने अपने कार्यकर्ताओं में जबरदस्त जोश भर दिया है।
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चिराग पासवान का रणनीतिक कदम – युवाओं और संगठन को प्राथमिकता

चिराग पासवान का यह निर्णय एक रणनीतिक दांव माना जा रहा है। उन्होंने पार्टी संगठन के पदाधिकारियों को टिकट देकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि लोजपा (रामविलास) में मेहनत और संगठन को प्राथमिकता दी जाती है, न कि सिर्फ बाहरी नेताओं को।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम पार्टी के आंतरिक एकजुटता को भी मजबूत करेगा।
साथ ही, चिराग ने चुनावी सिंबल बांटने के दौरान कहा,
“लोजपा (रामविलास) बिहार के हर उस वर्ग के लिए खड़ी है जो विकास चाहता है। हम दलित, पिछड़े और युवाओं की आवाज बनकर बिहार में नया अध्याय शुरू करेंगे।”
उनका यह बयान साफ संकेत देता है कि लोजपा (रामविलास) इस बार ‘बदलाव और विकास’ दोनों को अपना मुख्य एजेंडा बना रही है।
NDA के भीतर बढ़ रही टेंशन या रणनीतिक तालमेल?
बिहार एनडीए के भीतर हाल के दिनों में सीट बंटवारे को लेकर मतभेद की खबरें आती रही हैं।
जदयू और बीजेपी के बीच सीटों की संख्या को लेकर खींचतान जारी है, वहीं उपेन्द्र कुशवाहा भी खुलकर नाराज़ी जता चुके हैं।
ऐसे में चिराग पासवान का यह कदम NDA में नई समीकरणों को जन्म दे सकता है।
पॉलिटिकल गलियारों में चर्चा है कि चिराग पासवान NDA के भीतर अपनी पार्टी की “निर्णायक भूमिका” को साबित करने में जुटे हैं, और 4 उम्मीदवारों की इस लिस्ट के जरिए उन्होंने ये दिखा दिया कि लोजपा अब केवल “सहयोगी दल” नहीं बल्कि एक “स्वतंत्र ताकत” के रूप में उभर रही है।
चुनावी समीकरण पर असर और जनता का मूड
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, जिन सीटों पर लोजपा ने प्रत्याशी उतारे हैं, वहां जातीय समीकरण और स्थानीय संगठन दोनों ही मजबूत हैं।
राजू तिवारी और हुलास पांडे जैसे नाम न सिर्फ पार्टी के कद्दावर नेता हैं बल्कि लोजपा वोट बैंक को भी सक्रिय करने की क्षमता रखते हैं।
अगर बिहार चुनाव 2025 लोजपा उम्मीदवार सही रणनीति से प्रचार करते हैं, तो यह NDA के अंदर और बाहर दोनों जगह प्रभाव छोड़ सकता है।
लोजपा का यह कदम NDA की सीट शेयरिंग को भी प्रभावित कर सकता है।
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आगे की रणनीति और संकेत
अब सवाल उठता है कि क्या लोजपा (रामविलास) आगे भी ऐसी ही किस्तों में बाकी सीटों की घोषणा करेगी या बीजेपी-जदयू से अंतिम तालमेल का इंतजार करेगी?
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक पार्टी अगली लिस्ट पर भी काम कर रही है और जल्द ही दूसरी सूची जारी हो सकती है।
चिराग पासवान ने यह साबित कर दिया है कि लोजपा (रामविलास) अब बिहार की राजनीति में “निर्णायक शक्ति” बनने की ओर अग्रसर है।
चार सीटों पर उम्मीदवार उतारकर पार्टी ने दिखा दिया है कि वह न केवल तैयार है बल्कि जनता के बीच जाने को पूरी तरह “कॉन्फिडेंट और कॉम्बैटिव” मूड में है।
बिहार चुनाव 2025 की लड़ाई में अब लोजपा (रामविलास) भी पूरी मजबूती के साथ मैदान में उतर चुकी है।
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