Bihar Election 2025: 440 वोल्ट का झटका! अनंत सिंह के जेल जाते ही मोकामा में ललन सिंह की धमाकेदार एंट्री, बदला सियासी समीकरण

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Bihar Election 2025 में अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद ललन सिंह ने मोकामा की कमान संभाली — तेजस्वी यादव को 440 वोल्ट का झटका।
Highlights
  • • Bihar Election 2025 में मोकामा सीट बनी सबसे हॉट सीट • अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद ललन सिंह ने संभाली कमान • ललन सिंह बोले — “मोकामा के हर व्यक्ति को अनंत सिंह बनकर लड़ना है” • दुलारचंद यादव हत्याकांड से मोकामा की राजनीति में आया भूचाल • राजनीतिक जानकारों के मुताबिक तेजस्वी यादव के लिए 440 वोल्ट का झटका • भूमिहार वर्सेस भूमिहार और बाहुबली बनाम बाहुबली की लड़ाई • मोकामा में एनडीए और राजद आमने-सामने, 6 नवंबर को मतदान • अनंत सिंह को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया • ललन सिंह ने कहा — “अनंत सिंह को षड्यंत्र के तहत फंसाया गया” • एनडीए को मजबूत करने के लिए ललन सिंह मोकामा में कैंप कर रहे हैं

मोकामा की राजनीति में बड़ा मोड़ — अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद ललन सिंह ने संभाली कमान

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच मोकामा की राजनीति में अचानक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। दुलारचंद यादव की मौत और बाहुबली विधायक अनंत सिंह के जेल जाने के बाद अब इस सीट पर राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद केंद्रीय मंत्री और मुंगेर के सांसद ललन सिंह ने मोकामा की चुनावी कमान अपने हाथ में ले ली है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा — “आज से मोकामा की कमान मैंने संभाल ली है।”

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, ललन सिंह का यह कदम तेजस्वी यादव और राजद के लिए “440 वोल्ट का झटका” साबित हुआ है। अब मोकामा की जंग सिर्फ स्थानीय उम्मीदवारों की नहीं रही, बल्कि यह ललन सिंह बनाम सूरजभान सिंह की सियासी लड़ाई बन चुकी है।

दुलारचंद यादव हत्याकांड से मोकामा की सियासत में आया तूफान

Bihar Election 2025: 440 वोल्ट का झटका! अनंत सिंह के जेल जाते ही मोकामा में ललन सिंह की धमाकेदार एंट्री, बदला सियासी समीकरण 1

मामला 30 अक्टूबर का है, जब मोकामा के बसावन चक इलाके में अनंत सिंह और जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हो गई। दोनों काफिले आमने-सामने आए और देखते ही देखते नारेबाजी, पथराव और अफरातफरी का माहौल बन गया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस दौरान गोली चली और हाथापाई के बीच 75 वर्षीय दुलारचंद यादव पर एक थार गाड़ी चढ़ा दी गई, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना के बाद पटना पुलिस ने अनंत सिंह सहित कई लोगों पर हत्या और आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया।

कोर्ट ने अनंत सिंह को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है और वे फिलहाल बेऊर जेल में हैं। इस गिरफ्तारी के बाद मोकामा की राजनीति में भूचाल आ गया है।

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ललन सिंह की एंट्री ने बदला समीकरण, विपक्ष को झटका

अनंत सिंह की गैरमौजूदगी के बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा थी कि जदयू की स्थिति कमजोर हो सकती है। लेकिन ललन सिंह की सक्रियता ने यह धारणा बदल दी। मोकामा पहुंचकर ललन सिंह ने कहा —

“मोकामा के एक-एक व्यक्ति को चुनाव अनंत सिंह बनकर लड़ना है। जब तक अनंत सिंह थे, मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं थी, लेकिन अब मैंने कमान संभाल ली है।”

उन्होंने दावा किया कि अनंत सिंह की जीत निश्चित है और बिहार में एनडीए की सरकार एक बार फिर बनेगी।
ललन सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि अनंत सिंह को षड्यंत्र के तहत फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि “कई वीडियो सामने आ रहे हैं, जो इस षड्यंत्र का पर्दाफाश करेंगे। जो भी दोषी हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।”

मोकामा बनी हॉट सीट — बाहुबली बनाम बाहुबली की जंग

2025 के विधानसभा चुनाव में मोकामा सीट को इस बार “भूमिहार वर्सेस भूमिहार” और “बाहुबली बनाम बाहुबली” की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है।
एक तरफ हैं अनंत सिंह, जो लंबे समय से क्षेत्र में भूमिहारों के बड़े नेता माने जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ सूरजभान सिंह की पत्नी मैदान में हैं।

अनंत सिंह और सूरजभान सिंह दोनों की छवि बिहार की राजनीति में “दबंग नेताओं” की रही है। यही वजह है कि मोकामा की यह सीट लगातार चर्चा में है।
ललन सिंह के आने से यह मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अब यह मुकाबला केवल सीट जीतने का नहीं, बल्कि सियासी वर्चस्व साबित करने का है।

भूमिहार मतदाताओं पर असर और अनंत सिंह की लोकप्रिय छवि

बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं। मोकामा और आसपास के इलाके में भूमिहार मतदाता बड़ी संख्या में हैं।
कई वर्षों से राजनीतिक दल अनंत सिंह जैसे प्रभावशाली नेताओं पर इस वर्ग को साधने के लिए निर्भर रहे हैं।

अनंत सिंह की छवि एक “स्थानीय संरक्षक” यानी गॉडफादर जैसी रही है, जो अपने समर्थकों के लिए किसी भी हद तक खड़े होते हैं।
इसी छवि के कारण वे अपने समुदाय में बेहद लोकप्रिय रहे हैं। उनके समर्थक उन्हें “छोटे सरकार” के नाम से बुलाते हैं।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दुलारचंद हत्याकांड और अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने मोकामा की जंग को और दिलचस्प बना दिया है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से भावनात्मक सहानुभूति अब अनंत सिंह के पक्ष में जाती दिख रही है।

तेजस्वी यादव और राजद के लिए झटका

विश्लेषकों के मुताबिक, मोकामा की स्थिति अब तेजस्वी यादव के लिए मुश्किल बन गई है।
अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बावजूद, जदयू के रणनीतिक फैसले और ललन सिंह की एंट्री ने विपक्ष को बैकफुट पर ला दिया है।

अनंत सिंह पहले भी जेल में रहते हुए निर्दलीय चुनाव जीत चुके हैं, और इस बार भी उनका जनाधार कमजोर नहीं हुआ है।
अब मोकामा का मुकाबला ललन सिंह की रणनीति और सूरजभान सिंह के प्रभाव के बीच की जंग बन चुका है।

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मोकामा की सियासत में नया अध्याय

Bihar Election 2025 के इस दौर में मोकामा सीट ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बिहार की राजनीति में कोई भी समीकरण स्थायी नहीं होता।
दुलारचंद यादव की मौत, अनंत सिंह की गिरफ्तारी और ललन सिंह की एंट्री ने इस चुनाव को एक भावनात्मक और ताकतवर मोड़ दे दिया है।

6 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले मोकामा में सियासी तापमान चरम पर है।
अब देखना यह होगा कि क्या ललन सिंह की “धमाकेदार एंट्री” एनडीए को यह सीट जिता पाती है या फिर विपक्ष आखिरी समय में कोई पलटवार करता है।

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