पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी के बीच एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार, जदयू और BJP को 101-101 सीटें मिलने का प्रस्ताव है, जबकि LJP (चिराग पासवान) को 28, HAM को 7 और Upendra Kushwaha को 7 सीटों का ऐलान किया गया है। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे मंजूर नहीं किया है।
एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर पिछले 24 घंटे से चल रही चर्चाओं और द्वंद्व के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि नीतीश कुमार अपने परंपरागत क्षेत्रों पर किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे।
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नीतीश कुमार का तेवर और जदयू का रुतबा
सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार की नाराजगी का मुख्य कारण यह है कि कुछ सीटों पर चिराग पासवान के प्रत्याशी उतारने की योजना बनाई गई थी। राजगीर, हिसुआ, मटिहानी, कदवा, सिमरी बख्तियारपुर और साहेबपुर कमाल जैसी परंपरागत जदयू सीटों पर किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा।
इस कदम से यह स्पष्ट हो गया कि जदयू अब एनडीए में अपने बड़े भाई का रुतबा बनाए रखना चाहता है, और भाजपा के बराबर आने से सत्ता संतुलन में बदलाव देखने को मिल सकता है। जदयू की कोशिश है कि पार्टी अपने स्थानीय प्रभाव और चुनावी ताकत को कायम रखे।
सीट बंटवारे का नया फार्मूला और संभावित आंकड़े

वर्तमान समीकरण के अनुसार:
• जदयू – 101 सीटें
• BJP – 100 सीटें
• चिराग पासवान (LJP) – 28 सीटें
• HAM – 7 सीटें
• Upendra Kushwaha – 7 सीटें
हालांकि, अंतिम फैसला भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा के बाद तय होगा। सूत्रों के अनुसार मंगलवार शाम तक एनडीए में सीटों के बंटवारे और पहले चरण के उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी जाएगी।
विशेषज्ञ मानते हैं कि सीट बंटवारे में यह संतुलन भविष्य की चुनावी रणनीति और गठबंधन की ताकत निर्धारित करेगा।
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बिहार सियासत पर असर और चुनावी हलचल
इस सीट बंटवारे को लेकर सियासी गलियारों में कई बातें हो रही हैं:
• एनडीए में सदस्यों के बीच संतुलन की चुनौती
• जदयू के परंपरागत क्षेत्रीय प्रभाव को बनाए रखने की कोशिश
• भाजपा और अन्य घटक दलों के लिए नीतीश कुमार के तेवर से चिंता
• आगामी विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार चयन और रणनीति पर असर
विश्लेषक मानते हैं कि यह प्रक्रिया बिहार चुनाव 2025 की राजनीतिक दिशा तय करने में निर्णायक साबित होगी।
इसके अलावा, पार्टी कार्यकर्ताओं में भी जबरदस्त चर्चा और हलचल देखने को मिल रही है। इससे आगामी चुनाव के पहले ही एनडीए में अंदरूनी तनाव बढ़ गया है।
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