बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक बयानबाजी और रणनीतिक हलचलें तेज होती जा रही हैं। पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने आज एक बार फिर अपनी स्पष्टवादिता और राजनीतिक दृष्टिकोण से सुर्खियां बटोरीं। उन्होंने महागठबंधन (Mahagathbandhan) के भीतर चल रही हलचल पर खुलकर टिप्पणी करते हुए कहा कि 12 सीटों पर जहां महागठबंधन के उम्मीदवार आमने-सामने हैं, वहां घटक दलों को अपने प्रत्याशी वापस लेने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बड़ा सुझाव दिया — महागठबंधन को राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ना चाहिए।
12 सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार आमने-सामने

पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव से जब बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन की सीटों पर दोहरी लड़ाई के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने इसे एक बड़ी रणनीतिक गलती बताया। उन्होंने कहा —
“घटक दलों को अपनी गलतियों को सुधारना चाहिए। जिन सीटों पर महागठबंधन के दो प्रत्याशी आमने-सामने हैं, वहां से किसी एक को वापस लेना चाहिए।”
पप्पू यादव ने इस बयान के ज़रिए यह संकेत देने की कोशिश की कि अगर महागठबंधन को एनडीए जैसी मज़बूत गठबंधन का विकल्प पेश करना है, तो आंतरिक एकजुटता दिखानी होगी। उन्होंने आगे कहा कि जनता भ्रम में नहीं रहना चाहती, इसलिए गठबंधन को “एकजुट चेहरा” दिखाना आवश्यक है।
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राहुल गांधी के नेतृत्व की जरूरत – पप्पू यादव
पत्रकारों से बातचीत में पप्पू यादव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर भी अपनी राय स्पष्ट रखी। उन्होंने कहा कि
“बिहार में दलित हों या ऊंची जातियों के लोग, सभी राहुल गांधी के संघर्ष में विश्वास रखते हैं। महागठबंधन को राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ना चाहिए।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब महागठबंधन के भीतर मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं। पप्पू यादव ने इस पर भी साफ किया कि महागठबंधन को बिना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किए चुनाव में उतरना चाहिए ताकि कांग्रेस और अन्य दलों की एकता बनी रहे।
पप्पू यादव ने दी ‘कुर्बानी’ की बात
पप्पू यादव ने कहा कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक हो जाएगा। उन्होंने भरोसा जताया कि
“हमारे नेता हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। 23 अक्टूबर को होने वाली महागठबंधन की ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में सारी बातें साफ हो जाएंगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि “हर परिस्थिति में बिहार बचे” — यह सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं बल्कि उनके संदेश का मूल था कि चुनाव का मकसद सत्ता नहीं बल्कि बिहार की दिशा और दशा को बदलना होना चाहिए।
नीतीश कुमार पर भी साधा निशाना
पप्पू यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि एनडीए में मुख्यमंत्री का चेहरा नीतीश कुमार नहीं हैं, और जनता अब इस बात को समझ चुकी है। उन्होंने दावा किया कि
“बिहार की जनता अब एनडीए को वोट नहीं देना चाहती। महागठबंधन ही जनता की पहली पसंद बनेगा।”
उन्होंने एक बार फिर अपने पुराने बयान को दोहराया —
“अकेला पप्पू यादव एनडीए पर भारी है, घबराइये नहीं, बिहार एकजुट है।”
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नीतीश कुमार को दिया था ‘खुला ऑफर’
इससे पहले भी पप्पू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर नीतीश कुमार चाहें तो चुनाव के बाद महागठबंधन में उनका स्वागत किया जाएगा। यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया था क्योंकि उन्होंने साफ कहा था —
“कांग्रेस ही उनका सम्मान करेगी और स्वागत भी करेगी।”
हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि क्या नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनेंगे, तो उन्होंने स्पष्ट कहा — “बिलकुल नहीं।”
महागठबंधन में एकता पर जनता की नजर
बिहार के मतदाता इस चुनाव में बारीकी से देख रहे हैं कि महागठबंधन किस हद तक एकजुट और संगठित रहता है। पप्पू यादव के हालिया बयान से यह साफ है कि वे एक संगठित और स्पष्ट नेतृत्व की वकालत कर रहे हैं।
उनका मानना है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में महागठबंधन एक मजबूत विकल्प बन सकता है, जो बिहार की जनता को नई दिशा देगा।
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