बिहार चुनाव 2025: लालू परिवार की ‘दो राहें’ — राघोपुर बनाम महुआ में तेजस्वी और तेज प्रताप की जंग ने मचाया सियासी तूफान

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बिहार चुनाव 2025 में राघोपुर और महुआ से आमने-सामने लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे, तेजस्वी और तेज प्रताप।
Highlights
  • • बिहार चुनाव 2025 का सबसे हाई-प्रोफाइल मुकाबला — राघोपुर बनाम महुआ • लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे आमने-सामने: तेजस्वी बनाम तेज प्रताप • राघोपुर से तीसरी बार चुनाव मैदान में तेजस्वी यादव • महुआ में नई पार्टी के साथ तेज प्रताप की भावनात्मक वापसी • सतीश कुमार ने तेजस्वी पर विकास को लेकर उठाए सवाल • राजद ने महुआ से मुकेश रौशन को मैदान में उतारा • लालू परिवार की विचारधारा दो दिशाओं में बंटी — आधुनिक बनाम पारंपरिक • जनता के दिल और दिमाग की लड़ाई: नाम या आशीर्वाद?

राघोपुर — मुख्यमंत्री की धरती पर तीसरी बार तेजस्वी यादव की परीक्षा

बिहार की राजनीति एक बार फिर लालू परिवार के दो बेटों के बीच सियासी मुकाबले की गवाही दे रही है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के छोटे बेटे तेजस्वी यादव वैशाली जिले की प्रतिष्ठित राघोपुर सीट से तीसरी बार मैदान में हैं। यह वही सीट है जिसने कभी लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी दोनों को सत्ता के शीर्ष पर पहुँचाया था।
अब तेजस्वी उसी धरती से अपनी तीसरी राजनीतिक पारी खेलने उतरे हैं— और इस बार केवल एक उम्मीदवार के रूप में नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में।

बिहार चुनाव 2025: लालू परिवार की ‘दो राहें’ — राघोपुर बनाम महुआ में तेजस्वी और तेज प्रताप की जंग ने मचाया सियासी तूफान 1

राघोपुर के 3.4 लाख से अधिक मतदाता जानते हैं कि उनका फैसला केवल एक विधानसभा सीट का नहीं, बल्कि बिहार की सत्ता की दिशा तय करेगा। तेजस्वी यादव का पूरा प्रचार अभियान “परिवर्तन की राजनीति” पर आधारित है। वे अपने हर भाषण में यही कहते हैं कि यह चुनाव केवल सरकार बदलने का नहीं, बल्कि बिहार को दिशा देने का अवसर है।

राजद के पारंपरिक यादव मतदाताओं के साथ-साथ इस बार कांग्रेस और वामदलों का भी मजबूत गठबंधन है। इसके अलावा, मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी भी महागठबंधन का हिस्सा है। लेकिन इस हाई-प्रोफाइल सीट पर बीजेपी के सतीश कुमार सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आए हैं। याद दिला दें कि 2010 में इन्हीं सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को हराया था, जिससे इस सीट का इतिहास ही बदल गया था।

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तेजस्वी बनाम सतीश — विकास बनाम अनुभव की बहस

सतीश कुमार का सीधा आरोप है कि दो बार उपमुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव अपने क्षेत्र में कोई बड़ा विकास कार्य नहीं करा सके। उनका कहना है कि जब राघोपुर में कॉलेज या अस्पताल तक नहीं खुल सका, तो बिहार के विकास की बातें महज वादे ही लगती हैं।
दूसरी ओर, तेजस्वी यादव अपनी रैलियों में यह दलील देते हैं कि अगर उन्हें स्पष्ट जनादेश मिला, तो राघोपुर बिहार के विकास का मॉडल बनेगा।

राघोपुर का यादव वोट बैंक इस बार उलझन में है। वे तेजस्वी में “अपना लड़का” देखते हैं, लेकिन बीते 20 वर्षों की सत्ता-विहीनता की कसक भी महसूस कर रहे हैं। यह वही भावनात्मक टकराव है जो बिहार की राजनीति की पहचान बन चुका है।

महुआ — तेज प्रताप की वापसी, लेकिन इस बार बिना राजद के झंडे के

राघोपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर है महुआ, जहाँ तेज प्रताप यादव की कहानी चल रही है— उतनी ही नाटकीय, जितनी भावनात्मक। यह वही सीट है जहाँ 2015 में तेज प्रताप ने पहली जीत दर्ज की थी, लेकिन अब वे वापस आए हैं अपने जनशक्ति जनता दल (JJD) के बैनर तले।
इस बार वह सिर्फ राजद से बाहर नहीं हैं, बल्कि अपने परिवार की राजनीतिक धारा के विपरीत खड़े हैं।

महुआ के स्थानीय लोग कहते हैं — “घी दाल में ही गिरता है।” यानी चाहे तेज प्रताप को वोट दो या राजद को, लाभ अंततः लालू परिवार को ही मिलेगा। यही रिश्ता आज भी यादव मतदाताओं के दिल में ज़िंदा है।
राजद ने यहाँ से मौजूदा विधायक मुकेश रौशन को टिकट दिया है, जो संगठन के वफादार माने जाते हैं। उनके लिए असली चुनौती तेज प्रताप नहीं, बल्कि जनता की भावनाएं हैं जो अब भी “लालू परिवार” को जोड़ती हैं।

लालू परिवार की राजनीति — विचारधारा दो दिशाओं में बंटी

लालू प्रसाद यादव की विचारधारा अब दो दिशाओं में बंटी दिख रही है।
• तेजस्वी यादव उस विचारधारा को आधुनिक चेहरा देना चाहते हैं — रोजगार, शिक्षा, और सुशासन पर जोर।
• वहीं तेज प्रताप यादव उस विचारधारा को भावनात्मक लोकलुभावन रंग में पेश कर रहे हैं — धर्म, गौरव, और परंपरा के प्रतीक बनकर।

एक ओर तेजस्वी ‘विकल्प’ बनने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं तेज प्रताप ‘विरासत’ का प्रतिनिधित्व करते हैं। यही कारण है कि यह चुनाव केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि परिवार के भीतर विचारों की लड़ाई भी है।

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जनता का मन — दिल और दिमाग की जंग

महुआ का मतदाता आज दिल और दिमाग के बीच झूल रहा है। एक ओर तेज प्रताप का भावनात्मक आकर्षण है, तो दूसरी ओर तेजस्वी का “नया बिहार” वाला विज़न। तेज प्रताप के वादे, जैसे— “महुआ में इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम बनाऊँगा, जहाँ भारत-पाकिस्तान मैच होगा”— जनता को रोमांचित करते हैं, पर जमीनी हकीकत अब भी अधूरी है।

लालू परिवार की जंग में बिहार की जनता का फैसला सबसे बड़ा

इस चुनाव में सवाल सिर्फ इतना नहीं कि राघोपुर से तेजस्वी जीतते हैं या महुआ से तेज प्रताप, बल्कि यह कि बिहार किस विचारधारा को चुनेगा — आधुनिकता या परंपरा।
कहा जा सकता है कि बिहार में राजनीति केवल गणित नहीं है — यह तंत्र और नाट्यशास्त्र का संगम है।
अब सबकी निगाहें मतगणना के दिन पर होंगी, जब तय होगा कि “घी दाल में गिरता है या हांडी में”।

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