Bihar Elections 2025: पहले चरण में रिकॉर्ड वोटिंग के साथ बना ‘आचार संहिता उल्लंघन’ का नया रिकॉर्ड | Election Commission सख्त, 428 केस दर्ज

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में रिकॉर्ड वोटिंग के साथ आचार संहिता उल्लंघन के भी रिकॉर्ड दर्ज हुए।
Highlights
  • • बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण में 428 आचार संहिता उल्लंघन के केस दर्ज। • सबसे ज्यादा मामले दीघा विधानसभा क्षेत्र (9 केस) से सामने आए। • दानापुर, मोकामा, बाढ़ में भी कई केस दर्ज हुए। • जनसुराज पार्टी पर सबसे ज्यादा 9 केस दर्ज। • चुनाव आयोग ने कहा — “किसी भी उम्मीदवार को नियम तोड़ने की छूट नहीं।” • सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल सक्रिय, फेक न्यूज पर निगरानी। • अगले चरणों में आयोग की सख्ती और बढ़ेगी।

Bihar Elections 2025: पहले चरण में रिकॉर्ड वोटिंग के साथ बना ‘आचार संहिता उल्लंघन’ का नया रिकॉर्ड

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का पहला चरण अब इतिहास में दर्ज हो चुका है। जहां एक ओर मतदाताओं ने भारी संख्या में मतदान कर लोकतंत्र के उत्सव में भागीदारी की, वहीं दूसरी ओर चुनावी अनुशासन पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। इस बार सिर्फ वोटिंग का रिकॉर्ड नहीं टूटा बल्कि आचार संहिता उल्लंघन के मामलों ने भी नया रिकॉर्ड बना दिया है।

पहले चरण की वोटिंग में दिखा अनुशासन और उल्लंघन का विरोधाभास

Bihar Elections 2025: पहले चरण में रिकॉर्ड वोटिंग के साथ बना ‘आचार संहिता उल्लंघन’ का नया रिकॉर्ड | Election Commission सख्त, 428 केस दर्ज 1

चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण में कुल 35 आचार संहिता उल्लंघन के मामले दर्ज हुए हैं। वहीं, पुलिस मुख्यालय के अनुसार 6 अक्टूबर से अब तक 428 केस दर्ज किए गए हैं। यह आंकड़ा इस बात की ओर इशारा करता है कि लोकतंत्र का यह पर्व जितना उत्साह से भरा था, उतना ही अनुशासन की कसौटी पर चुनौतीपूर्ण भी रहा।

सबसे अधिक मामले राजधानी पटना की दीघा विधानसभा सीट से सामने आए हैं, जिसे इस बार ‘हाई प्रोफाइल सीट’ कहा जा रहा है। प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, दीघा में कुल नौ उल्लंघन के मामले दर्ज हुए, जहां एनडीए, राजद और जनसुराज के प्रत्याशी जांच के दायरे में हैं।

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दीघा में सबसे ज्यादा उल्लंघन: हाई प्रोफाइल सीट पर सबसे बड़ी सियासी गर्मी

राजधानी पटना के दीघा विधानसभा क्षेत्र में इस बार सियासत का तापमान बाकी सभी सीटों से ज्यादा रहा। 9 आचार संहिता उल्लंघन के मामलों के साथ यह क्षेत्र प्रशासन की निगरानी में सबसे ऊपर है। रिपोर्ट में सामने आया कि कई उम्मीदवारों ने प्रचार सीमाओं को पार किया, सोशल मीडिया पर बिना अनुमति प्रचार सामग्री साझा की, और जुलूसों में भीड़ नियंत्रण नियमों की अनदेखी की।

यहां तक कि कुछ उम्मीदवारों ने वाहनों पर अनधिकृत पार्टी प्रतीक चिह्न लगाए और अनुमति से अधिक लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया, जो सीधे तौर पर नियमों का उल्लंघन है।

दानापुर, मोकामा और बाढ़ भी लिस्ट में शामिल

दीघा के बाद दानापुर विधानसभा क्षेत्र में पांच केस दर्ज हुए हैं। इनमें राजद प्रत्याशी रीतलाल यादव को समर्थन देने वाली कुछ आंगनबाड़ी सेविकाएं और शिक्षिकाएं भी नामजद हुई हैं। प्रशासन ने साफ कहा है कि सरकारी कर्मियों द्वारा किसी दल विशेष का समर्थन आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है।

इसी तरह, मोकामा और बाढ़ विधानसभा क्षेत्रों से चार-चार मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें अवैध बैनर-पोस्टर लगाना, वाहन पर प्रतीक चिह्न लगाना और अनुमति से अधिक ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग शामिल है।

कौन-कौन आया जांच के दायरे में?

प्रशासनिक रिपोर्ट बताती है कि जनसुराज पार्टी के खिलाफ 9 मामले, राजद पर 8, भाजपा और जदयू पर 4-4, कांग्रेस पर 2, एलजेपी (रामविलास) पर 2 और सीपीआई (एमएल) पर 1 मामला दर्ज किया गया है।
इनमें कई चर्चित उम्मीदवारों के नाम भी हैं — जनसुराज के पीयूष प्रियदर्शी, जदयू के अनंत सिंह, राजद के भाई वीरेंद्र, भाजपा के सियाराम सिंह, कांग्रेस के सतीश कुमार, और स्वतंत्र उम्मीदवार शैलेश कुमार के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई है।

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Election Commission की सख्ती और कार्रवाई की तैयारी

चुनाव आयोग ने साफ संकेत दिए हैं कि किसी भी उम्मीदवार या दल को नियम तोड़ने की छूट नहीं दी जाएगी। आयोग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,

“लोकतंत्र का यह उत्सव तभी सार्थक होगा जब सभी दल और प्रत्याशी नियमों का सम्मान करें। प्रचार की आजादी लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन अनुशासन की सीमाएं सबके लिए समान हैं।”

पटना पुलिस ने भी सभी थानों को निर्देश दिया है कि वे चुनावी गतिविधियों पर 24 घंटे निगरानी रखें और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल को और सक्रिय करें ताकि अफवाहों और भ्रामक खबरों पर त्वरित कार्रवाई हो सके।

जनता का संदेश: वोट का सम्मान, नियमों का पालन

इस बार बिहार के मतदाताओं ने जिस जोश से मतदान किया, वह लोकतंत्र की जीत है, लेकिन साथ ही यह याद दिलाता है कि वोट का सम्मान तभी होगा जब नियमों का पालन किया जाए।
पहले चरण के बाद जैसे-जैसे दूसरे और तीसरे चरण की ओर बढ़ा जा रहा है, आयोग की सख्ती और प्रशासन की निगरानी और भी तेज होने वाली है।

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