बिहार के गयाजी में 5 शानदार पिकनिक स्पॉट, आप फुर्सत में आकर तो देखिए..फैमिली और कपल के लिए तो..

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बिहार के लोग अकसर परिवार और दोस्तों के साथ सैर करना चाहते हैं तो बहुत सारे स्थान आपका इंतजार कर रहा है। खास करके गयाजी जिले में शानदार स्पॉट आपको आनंदित कर सकता है। यहां पर आप अपने परिवार और दोस्त के साथ फुर्सत के वक्त गुजार सकते हैं। इसके साथ ही आपक अपनी धार्मिक आस्था को भी पूरा कर सकते हैं।

गयाजी जिले के गहलौर गांव के दशरथ मांझी की प्रेम कहानी की एक मिसाल है। जिस तरह शाहजहां ने अपनी बेगम के लिए ताजमहल बनवाया था, वैसे ही दशरथ मांझी ने अपने हाथों से 22 सालों तक उस पहाड़ की चट्टानों को काटते रहे, जहां उनकी पत्नी की मौत हुई थी। यहां दशरथ मांझी का स्मारक स्थल और द्वार भी बनाया गया है, जो लोगों को खूब आकर्षित करती है।

इसी तरह से गयाजी जिले में फल्गु नदी पर बना रबर डैम लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। बिहार सरकार की पहल से अब फल्गु नदी में सालोंभर पानी रहता है। इससे स्‍नान, पिंडदान और तर्पण में लोगों को सुविधा होती है। रात में यहां का नजारा और भी मनोरम हो जाता है। रंग-बिरंगी लाइटें बेहद शानदार लगतीं हैं। बड़ी संख्या में लोग यहां घूमने के लिए पहुंचते हैं। इसके साथ ही यहां से कुछ ही दूरी पर विष्णुपद मंदिर भी है, जहां लोग पूजा कर सकते हैं।

गयाजी जिले में डायवर्सिटी पार्क अपनी हरियाली के लिए लोगों के बीच पसंदीदा जगह बना हुआ है। यह लगभग 64 हेक्टेयर में फैला हुआ है और गयाजी से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर है। पार्क में 250 से अधिक प्रजाति के दुर्लभ, विलुप्त और महंगे पौधे, औषधीय पौधे और फूलों के प्रजाति को संरक्षित किया गया है। पार्क की खूबसूरती लोगों को आकर्षित करती है। जगह-जगह लोगों के बैठने के लिए शेड और बच्चों के लिए खेलने को लेकर पार्क भी बनाए गए हैं।

गयाजी जिले का सीता कुंड भी बेहद प्रसिद्ध है। मां सीता ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था। इस जगह पर न केवल सीता, बल्कि भगवान राम और लक्ष्मण ने भी अपने चरण कमल रखे थे। हालांकि, बिहार के मुंगेर के साथ अन्य जगहों पर भी सीता कुंड हैं, लेकिन गयाजी स्थित सीता कुंड की अपनी एक अलग ही पहचान है। कहा जाता है कि यहां फल्गु नदी के किनारे रेत के नीचे गुप्त गंगा नदी बहती है। बड़ी संख्या में लोग यहां घूमने के लिए पहुंचते हैं।

डुंगेश्वरी पहाड़ी बौद्धिस्ट सर्किट के साथ हिंदु सर्किट से भी जुड़ा है। इस पहाड़ी की चोटी पर एक प्राचीन गुफा है, जिसमें एक मंदिर है। इस गुफा को महाकाल गुफा और प्राग बोधी गुफा भी कहा जाता है। बड़ी संख्या में यहां बौद्ध भिक्षुओं के साथ-साथ हिंदु समुदाय के लोग भी दर्शन और पूजा करने के लिए आते हैं। यह जगह गयाजी शहर से 12 किलोमीटर दूर है।

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