बिहार के कारखानों में काम करने वाले मजदूर 8 घंटे ही काम करेंगे। यानी कि, एक हफ्ते में 48 घंटे ही उन्हें काम करना है। यदि कारखानों के मालिक मदजूरों से 8 घंटे से ज्यादा काम करवाते हैं, तो उन्हें दोगुना वेतन देना होगा। इसे लेकर श्रम संसाधन विभाग ने नियमावली बना दी है। इस निर्णय का लाभ राज्यभर के निबंधित आठ हजार से अधिक कारखानों के दो लाख से अधिक कामगारों को होगा। पहले ओवरटाइम के नाम पर कामगारों से काम लिया जाता रहा है, लेकिन उस ओवरटाइम का पैसा घंटा के मुताबिक दिया जाता था।
पहले ओवरटाइम के नाम पर मजदूरों से अतिरिक्त काम लिया जाता था, लेकिन भुगतान प्रति घंटे की सामान्य दर पर ही होता था। नई नियमावली में यह स्पष्ट किया गया है कि 8 घंटे से अधिक काम के लिए दोगुना वेतन अनिवार्य होगा। यह नियम कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 59 के प्रावधानों के तहत लागू किया गया है।
नई नियमावली में यह साफ किया गया है कि, आठ घंटे से अधिक काम कराने पर कारखाना मालिक को कामगारों को दोगुना वेतन देना होगा. विभाग ने कामगारों और नियोक्ताओं के बीच बेहतर संबंध बनाने के लिए नियमावली बनाई है. इसके तहत तय किया गया है कि, निबंधित कारखानों में काम करने वाले कामगारों से तय अवधि में ही काम लिया जाए. एक कामगार से ज्यादा से ज्यादा आठ घंटे ही काम लिया जायेगा. इस तरह सप्ताह में एक साप्ताहिक अवकाश को मिलाकर कामगार से अधिकतम 48 घंटे ही काम लिया जा सकेगा।
वहीं, कामगार अब सप्ताह में 48 घंटे के अनुसार एक दिन में आठ घंटे ही काम करेंगे. अगर इससे अधिक काम कराया गया, तो कामगारों को वेतन की साधारण दर की दोगुना दर से वेतन देना होगा. वहीं, जिस फैक्टरी में 500 कामगार होंगे, वहां एक सुरक्षा अधिकारी बहाल किये जायेंगे. इससे अधिक कामगार होने पर अतिरिक्त कामगारों की बहाली की जायेगी. खतरनाक प्रक्रिया वाले कारखानों में 250 कामगारों पर ही एक सुरक्षा अधिकारी बहाल होंगे. साथ ही सुरक्षा समिति गठित की जायेगी, जिसमें नियोक्ता के अलावा कामगारों का प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे।
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