Bihar News: बिहार में न्याय की रफ्तार दोगुनी! 100 फास्ट ट्रैक अदालतों के फैसले से 18 लाख लंबित मामलों पर सीधा असर

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बिहार में न्याय की रफ्तार तेज करने की तैयारी

बिहार की न्याय व्यवस्था इस समय ऐतिहासिक दबाव के दौर से गुजर रही है। राज्यभर की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 18 लाख के पार पहुंच चुकी है। यह आंकड़ा सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि लाखों परिवारों की उम्मीद, इंतजार और संघर्ष की कहानी भी है। ऐसे हालात में डिप्टी सीएम सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी द्वारा 100 फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना का फैसला न्यायिक इतिहास में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है। यह कदम न सिर्फ केसों के निपटारे की गति बढ़ाएगा, बल्कि आम जनता के भरोसे को भी मजबूत करेगा।

Bihar News: 18 लाख लंबित केस: बिहार की न्याय प्रणाली पर भारी बोझ

राज्य की अदालतों में लंबित मामलों का आंकड़ा 18 लाख के पार निकल चुका है। इस भारी संख्या ने न्यायिक प्रणाली की कार्यक्षमता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वर्षों तक केस लटके रहने से पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी होती है और आरोपियों का भविष्य भी अनिश्चितता में फंसा रहता है। सीमित संख्या में जज, कर्मचारियों का अभाव और लगातार बढ़ते मुकदमों ने पूरे सिस्टम पर दबाव बना दिया है। ऐसे में सरकार का यह मानना है कि मौजूदा ढांचे के सहारे बढ़ते मामलों का निस्तारण संभव नहीं है।

100 फास्ट ट्रैक अदालतों का फैसला: सम्राट चौधरी का बड़ा कदम

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डिप्टी सीएम सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने इस चुनौती को स्वीकारते हुए 100 फास्ट ट्रैक अदालतें स्थापित करने की घोषणा की। उनका स्पष्ट कहना है कि बढ़ते मामलों से निपटने के लिए तेज रफ्तार न्यायिक तंत्र की जरूरत है। इन अदालतों का उद्देश्य विशेष रूप से गंभीर और तेजी से निस्तारित किए जाने वाले मामलों पर फोकस करना होगा। सरकार को भरोसा है कि इस फैसले से न्याय की प्रक्रिया में तेजी आएगी और आम लोगों का भरोसा मजबूत होगा।

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Bihar News: 900 नए पदों पर बहाली: न्यायिक तंत्र को मिलेगा नया सहारा

इन फास्ट ट्रैक अदालतों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए सरकार ने मानव संसाधन की भी विस्तृत योजना बनाई है। बेंच क्लर्क से लेकर चपरासी तक लगभग 900 नए पदों पर बहाली की जाएगी। यह कदम सिर्फ न्यायिक ढांचे के विस्तार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे रोजगार सृजन के बड़े अवसर के रूप में भी देखा जा रहा है। इससे न सिर्फ न्याय व्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि युवाओं के लिए नए अवसर भी पैदा होंगे।

पटना में 8, बड़े जिलों में 4-4 फास्ट ट्रैक अदालतें

राजधानी पटना, जहां सबसे ज्यादा मामले लंबित रहते हैं, वहां 8 फास्ट ट्रैक अदालतें स्थापित की जाएंगी। इसके अलावा गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और भागलपुर जैसे बड़े जिलों में 4-4 अदालतों का प्रस्ताव रखा गया है। इन जिलों में अपराध और मुकदमों की संख्या अधिक होने के कारण सरकार ने यहां विशेष ध्यान दिया है ताकि न्याय तेजी से मिल सके।

मध्यम श्रेणी के जिलों में 3-3 अदालतों की व्यवस्था

नालंदा, रोहतास, सारण, बेगूसराय, वैशाली, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर और मधुबनी जैसे जिलों में 3-3 फास्ट ट्रैक अदालतें बनाई जाएंगी। इन जिलों में शस्त्र अधिनियम से जुड़े मामलों सहित गंभीर अपराधों की संख्या अधिक पाई जाती है। सरकार को उम्मीद है कि इन अदालतों के जरिए तेजी से फैसले होंगे और अपराध नियंत्रण पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।

Bihar News: छोटे लेकिन प्रभावी जिलों में 2-2 फास्ट ट्रैक अदालतें

पश्चिम चंपारण, सहरसा, पूर्णिया, मुंगेर, नवादा, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, कैमूर, बक्सर, भोजपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, सीवान, गोपालगंज, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, कटिहार, बांका, जमुई, शेखपुरा, लखीसराय और खगड़िया में 2-2 फास्ट ट्रैक अदालतें स्थापित की जाएंगी। इसका मकसद यह है कि छोटे जिलों में भी न्याय के लिए लोगों को लंबा इंतजार न करना पड़े।

नौगछिया और बगहा को भी मिलेगा न्याय का तेज रास्ता

दूर-दराज और उप-विभागीय इलाकों को ध्यान में रखते हुए नौगछिया और बगहा में भी एक-एक अतिरिक्त फास्ट ट्रैक अदालत देने का प्रस्ताव रखा गया है। इससे इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को जिला मुख्यालयों के चक्कर काटने से राहत मिलेगी और न्याय तक सीधी पहुंच सुनिश्चित होगी।

79 अदालतें शस्त्र अधिनियम मामलों के लिए विशेष

सम्राट चौधरी ने यह भी स्पष्ट किया है कि शस्त्र अधिनियम से जुड़े मामलों को प्राथमिकता देने के लिए 79 अदालतों को विशेष ‘अधिनियम अदालत’ के रूप में नामित किया गया है। सरकार का मानना है कि गंभीर अपराधों पर त्वरित फैसले से न सिर्फ लंबित मामलों में कमी आएगी, बल्कि अपराधियों में कानून का डर भी बढ़ेगा।

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Bihar News: न्याय व्यवस्था में विश्वास बहाली का प्रयास

सरकार का मानना है कि जब न्याय समय पर मिलेगा तभी आम जनता का भरोसा मजबूत होगा। वर्षों तक चलने वाले मुकदमे लोगों को न्याय व्यवस्था से दूर कर देते हैं। फास्ट ट्रैक अदालतों के जरिए सरकार यह संदेश देना चाहती है कि कानून सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीन पर भी असरदार तरीके से लागू होगा।

बिहार में न्यायिक इतिहास का नया अध्याय

100 फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना को बिहार के न्यायिक इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है। यह फैसला सिर्फ केसों के आंकड़ों को कम करने का प्रयास नहीं है, बल्कि सिस्टम में भरोसे को दोबारा मजबूत करने का संकल्प भी है। यदि यह योजना प्रभावी ढंग से लागू होती है, तो आने वाले वर्षों में बिहार की न्याय प्रणाली एक नई पहचान बना सकती है।

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