Bihar Vidhansabha Session के चौथे दिन की पूरी कहानी
Bihar Vidhansabha Session के चौथे दिन 18वीं बिहार विधानसभा का माहौल उस वक्त अचानक बदल गया, जब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सदन से नदारद पाए गए। उपाध्यक्ष के चयन के बाद राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा जारी थी। पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष प्रेम कुमार ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का नाम पुकारा।
तेजस्वी यादव ने सदन में पहले ही संशोधन प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्हें स्वयं मूव करना था। लेकिन जैसे ही स्पीकर ने उनका नाम लिया, पूरा विपक्ष शांत बैठा रहा और सदन में सन्नाटा छा गया। तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी साफ नजर आई। उनके न होने के कारण उनका संशोधन प्रस्ताव मूव ही नहीं हो सका।
इस स्थिति पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने जमकर ठहाके लगाए। प्रस्ताव देने वाले नेता के ही सदन से गायब रहने को लेकर सत्ता पक्ष ने खुलकर मजाक उड़ाया। विपक्ष की इस स्थिति ने पूरे सदन में उनकी किरकिरी कर दी।
दूसरे दिन से ही सदन से गायब हैं तेजस्वी यादव
जानकारी के मुताबिक, विधानसभा सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही के बाद से ही तेजस्वी यादव सदन में नजर नहीं आ रहे हैं। जब उनके ही प्रस्ताव पर उन्हें बुलाया गया और वे मौजूद नहीं थे, तब यह अनुपस्थिति सियासी चर्चा का बड़ा मुद्दा बन गई।
तेजस्वी के गायब रहने से न सिर्फ उनकी बल्कि पूरे विपक्ष की स्थिति कमजोर नजर आई। सत्ता पक्ष ने इसे विपक्ष की तैयारी और गंभीरता पर सवाल के तौर पर उछाल दिया। सदन में विपक्ष का सिर शर्म से झुका नजर आया।
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जेडीयू का तंज — “160 पुलिसकर्मी सुरक्षा में, फिर भी सदन से गायब”

Bihar Assembly Session के दौरान तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी पर जेडीयू ने बड़ा राजनीतिक हमला बोला। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने तंज कसते हुए कहा कि जिन नेता प्रतिपक्ष की सुरक्षा में 160 पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं, वे खुद सदन में दिखाई नहीं दे रहे।
नीरज कुमार ने सवाल उठाया —
“आखिर कहां चले गए तेजस्वी यादव?”
इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल और गरमा गया और तेजस्वी की अनुपस्थिति पूरी तरह सियासी बहस का केंद्र बन गई।
आरजेडी का पलटवार — “वास्कोडिगामा की तरह खोज में न लगिए”
जेडीयू के हमले के जवाब में देर शाम आरजेडी ने भी तीखा पलटवार किया। आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने नीरज कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि,
“नीरज जी, आपकी पूरी राजनीति तेजस्वी प्रसाद यादव के इर्द-गिर्द घूमती है। वास्कोडिगामा की तरह उनकी खोज में मत लगिए।”
एजाज अहमद ने आगे कहा कि बिहार की जनता के हित में तेजस्वी को बुलडोजर नीति से बचाना चाहिए, खोजी अभियान की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा की गरिमा को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष के सदन में आने की उम्मीद अब भी की जा रही है।
सदन में गरमाया मगध अस्पताल का मुद्दा
तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी के बीच विपक्ष दल के मुख्य सचेतक कुमार सर्वजीत ने सदन में मोर्चा संभाला। उन्होंने मगध अस्पताल की स्थिति को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।
कुमार सर्वजीत ने कहा कि मगध अस्पताल की हालत देखने पर ऐसा लगता है जैसे कोई दलित बस्ती हो। इस टिप्पणी के बाद सत्ता पक्ष के विधायक भड़क उठे और सदन में जोरदार हंगामा शुरू हो गया।
स्पीकर प्रेम कुमार और कुमार सर्वजीत में तीखी बहस
कुमार सर्वजीत ने विधानसभा अध्यक्ष प्रेम कुमार से अपील की कि वे अपने विभाग की एक टीम बनाकर अस्पताल का निरीक्षण करें और खुद वहां की व्यवस्था देखें। उन्होंने कहा कि अस्पताल के बाहर जहां एंबुलेंस खड़ी होती है, वहां की स्थिति नरक से भी बदतर है।
इस पर स्पीकर प्रेम कुमार ने खुद जवाब देते हुए कहा कि वे कुछ दिन पहले ही मगध अस्पताल का निरीक्षण कर चुके हैं और अब वहां काफी व्यवस्था सुधर चुकी है। दीपा मांझी पर हमले के बाद वे स्वयं वहां गए थे और स्थिति अब पहले से बेहतर है।
स्पीकर के इस बयान के बाद विपक्ष और ज्यादा आक्रामक हो गया। कुमार सर्वजीत ने कहा कि वे मुख्यमंत्री से आग्रह करेंगे कि एक संयुक्त टीम बनाई जाए और सभी विधायक एक साथ अस्पताल जाकर हालात देखें।
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Bihar Vidhansabha Session बना सियासी टकराव का मंच
इस पूरे घटनाक्रम ने साफ कर दिया कि Bihar Vidhansabha Session अब सिर्फ विधायी चर्चा का मंच नहीं बल्कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखे राजनीतिक संदेशों का अखाड़ा बन चुका है। तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति, उनका अटका हुआ प्रस्ताव, जेडीयू-आरजेडी की बयानबाजी और मगध अस्पताल पर हुई बहस — इन सबने सत्र के चौथे दिन को पूरी तरह सियासी रंग दे दिया।
निष्कर्ष
Bihar Vidhansabha Session का चौथा दिन सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए सख्त संदेश लेकर आया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी ने विपक्ष की रणनीति पर सवाल खड़े किए, वहीं सत्ता पक्ष ने इसे पूरी तरह राजनीतिक हथियार बना लिया। दूसरी ओर स्वास्थ्य व्यवस्था पर मगध अस्पताल को लेकर उठे सवालों ने सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया। आने वाले दिनों में यह सत्र और ज्यादा तीखा होने के संकेत साफ दिखने लगे हैं।
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