बिहार में अब लोगों को उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ेगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, पटना के अनुसार अगले दो-तीन दिनों तक बारिश की संभावना बेहद कम है। इससे तापमान में बढ़ोतरी हो सकती है। अधिकतम तापमान और न्यूतम तापमान में ज्यादा का अंतर नहीं रहने वाला है। हालांकि 12 जिलों पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सिवान, सारण, गया, नवादा, जमुई, बांका, मुंगेर, भागलपुर, और खगड़िया में हल्की बारिश और बादल छाए रहने की संभावना है।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में कोई मजबूत निम्न दबाव का क्षेत्र नहीं बन रहा है और अरब सागर से आने वाली पश्चिमी हवाओं का बंगाल की खाड़ी से आने वाली दक्षिण-पूर्वी हवाओं के साथ टकराव नहीं हो रहा। इसके अलावा मानसूनी ट्रफ लाइन का दक्षिण की ओर झुका होना भी बारिश की कमी का कारण है।
परिणामस्वरूप, झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में अधिक बारिश हो रही है, जबकि बिहार में सूखे जैसे हालात बन गए हैं। IMD के आंकड़ों के अनुसार इस साल जुलाई में अब तक सामान्य से 42% कम बारिश हुई है और पटना, बक्सर, जहानाबाद, भोजपुर, अरवल, वैशाली, औरंगाबाद और छपरा जैसे 20 जिलों में 50% तक कम वर्षा दर्ज की गई है।
पिछले चार वर्षों से जुलाई और सावन के महीनों में बारिश का पैटर्न कमजोर हो रहा है। 2020 के बाद से बिहार में मानसून की अनियमितता ने किसानों को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि धान और अन्य खरीफ फसलों की बुआई प्रभावित हो रही है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 16 जुलाई तक मानसून की स्थिति में कोई खास बदलाव की उम्मीद नहीं है। हालांकि, 20 जुलाई के बाद बंगाल की खाड़ी में नया सिस्टम बनने की संभावना है, जिससे मानसून फिर से सक्रिय हो सकता है और बारिश का दौर शुरू हो सकता है। तब तक उमस और गर्मी से राहत की उम्मीद कम ही है।
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