रक्सौल: भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय सह प्रभारी ई. जितेंद्र कुमार बिहार को विशेष राज्य की दर्जा के मांग पर टिप्पणी को लेकर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि योजना सहायता के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा पहले राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा उन राज्यों को दिया जाता था जो विशिष्ट चुनौतियों का सामना करते थे। उन चुनौतियों में पहाड़ी राज्य और कठिन भूभाग, कम जनसंख्या घनत्व या आदिवासी आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा, पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान, आर्थिक और बुनियादी ढांचे का पिछड़ापन और राज्य के वित की अव्यवहारिक प्रकृति शामिल थी। एनडीसी विशेष राज्य का दर्जा देने का फैसला इन सभी कारकों के व्यापक मूल्यांकन के आधार पर लेती थी।
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के अनुरोध पर यूपीए-2 के दौरान 2012 में एक अंतर मंत्रालयी समूह द्वारा मूल्यांकन किया था। तब कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार ने निष्कर्ष निकाला कि मौजूदा एनडीसी मानदंडों के आधार पर बिहार इस दर्जे के लिए योग्य नहीं है। लालू यादव बतायें कि 2004 से 2009 के अपने रेलमंत्रित्व काल में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिलाया?
जब 2014 में अन्तर मंत्रालयी समूह ने बिहार के अनुरोध को खारिज कर दिया तो लालू यादव जो उस समय भी यूपीए 2 सरकार को कंधा दे रहे थे चुप क्यों रहें? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो 2014 में प्रधानमंत्री बनने के अगले साल यानी 2015 में ही 1.40 लाख करोड़ का स्पेशल आर्थिक पैकेज देकर बिहार के विकास को गति दी है।
उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 तक के 10 साल के कार्यकाल में यूपीए सरकार ने बिहार को सिर्फ 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये दिए थे। 2014 से 2024 के 10 वर्षों में नरेन्द्र मोदी की सरकार ने 14 लाख 23 हजार करोड़ रुपये बिहार के विकास के लिए दिए हैं। यह राशि यूपीए सरकार की तुलना में 5 गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के 10 साल में बिहार में मात्र 53 केंद्रीय परियोजनाएं कार्यन्वित की गई, जबकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के 10 वर्षों में बिहार में 318 केंद्रीय परियोजनाएं पूर्ण की गई है। उन्होंने कहा कि विकसित बिहार के संकल्प की गारंटी है डबल इंजन की मोदी-नीतीश की सरकार।