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कोरोना महामारी के कई सारे प्रवासी मजदूर दूसरे शहरों से घर वापस लौटे लेकिन अबजब लॉकडाउन में धीरे- धीरे ढ़ील मिलने लगी हैं और सबकुछ खुल गया है. ऐसे में बाहर काम करनेवाले मजदूर फिर से बिहार से बाहर जाने को तैयार हैं लेकिन इसी दौरान उन्हें ठगी का शिकार भी होना पड़ रहा है. ताजा मामला सहरसा जिले का है यहां रेल टिकटों की कालाबाजारी का धंधा जोरों पर है. बाहर जा रहे मजदूरों से टिकट के दलाल ठगी कर उनसे पैसे ऐंठ रहे हैं.

हाल में सहरसा जंक्शन से नई दिल्ली जाने वाली वैशाली एक्सप्रेस के नाम पर तीन ग्रामीण यात्रियों से एजेंट द्वारा 1065 की जगह 5600 रुपए वसूलने का मामला सामने आया है. एजेंट ने सिर्फ पैसे ही नहीं वसूले बल्कि इन यात्रियों को एक ही पीएनआर पर तीन टिकट जारी कर वेटिंग काउंटर का टिकट थमा दिया. दरअसल, इस मामले का खुलासा तब हुआ जब गुरुवार सुबह जब तीनों यात्री ट्रेन पकड़ने प्लेटफार्म पर पहुंचे, तो चेकिंग के दौरान वेटिंग काउंटर टिकट पकड़ा गया. सूचना पर पहुंची पुलिस ने तीनों यात्रियों से पूछताछ की, जिसमें एजेंट के नाम का खुलासा हुआ. दलाल का शिकार बने राजकुमार महतो की माने तो प्रशांत रोड स्थित रेलवे आरक्षण केंद्र टिकट लिये थे उसने निर्धारित शुल्क से ज्यादा वसूल कर टिकट कंफर्म करवाने बात कही पर यहां टिकट चेकिंग के दौरान टिकट दलाल फरार हो गया फिर हमलोगों ने आरपीएफ के पास शिकायत किये.

वहीं आरपीएफ सहायक इंस्पेक्टर श्रीनिवास ने बताया कि तीनों पीड़ित यात्रियों के नाम राजकुमार महतो, चंदन महतो और विजय महतो हैं. जो दिल्ली जाने के लिये प्रशांत सिनेमा रोड में चंदन भगत जो रेल टिकट एजेंट है. रेलवे आरक्षण केंद्र के नाम से उसकी दुकान है. उसी जगह से इनलोगों ने टिकट खरीदा था जिसे टिकट दलाल चंदन भगत ने ज्यादा पैसा लेकर वेटिंग टिकट थमा दिया. जिसका ट्रेन पकड़ने स्टेशन पहुंचे यात्रियों का टिकट चेकिंग के दौरान पकड़ाने पर खुलासा हुआ.

तत्काल इनलोगों ने रेलवे सुरक्षा पोस्ट पर लिखित शिकायत की. जिसके शिकायत पर आरपीएफ द्वारा तत्काल तफ्तीश शुरू कर दी है. सच मायने में एक तरफ कोरोना संकट दूसरी तरफ गरीबी बेरोजगारी से जूझ रहे प्रवासी मजदूर जो रोजी रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों की ओर पलायन करने को मजबूर है. उसे भी रेलवे टिकट दलाल चुना लगाने से बाज नही आ रहे है. जरूरत है ऐसे दलालों पर सख्त कार्रवाई की.

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