डॉ. कृष्ण कुमार रत्तू
(पूर्व उप महानिदेशक, दूरदर्शन)
बांग्लादेश में ‘कट्टरपंथ’ की विभीषिका चरम पर है। हिंसा के इस दौर में भारत विरोध और मीडिया हाउस निशाने पर हैं। निष्पक्ष लिखने वाले पत्रकारों पर जानलेवा हमले हो रहे हैं। वहां का हिंदू समुदाय, पत्रकार और मीडिया हाउस भय की स्थिति में हैं। वर्तमान में, बांग्लादेश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति संवेदनशील हो चुकी है। दिसंबर के मध्य में घटित घटनाओं ने इस देश को नए उथल-पुथल की ओर धकेल दिया है। शरीफ उस्मान हादी, जो इंक़लाब मंच के प्रवक्ता और 2024 के छात्र आंदोलन के प्रमुख चेहरे थे, की मौत ने व्यापक विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है। हादी, जो भारत-विरोधी बयानबाजी और शेख हसीना के कट्टर आलोचक के रूप में जाने जाते थे, की हत्या ने न केवल आंतरिक अस्थिरता को बढ़ावा दिया, बल्कि भारत के साथ संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया है।
पिछले दिनों ढाका और अन्य शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए, जिसमें प्रमुख मीडिया हाउस जैसे ‘द डेली स्टार’ और ‘प्रथम आलो बांग्ला’ समाचार पत्र के कार्यालयों पर हमले और आगजनी की घटनाएं घटीं। वहीं, भारत ने सुरक्षा चिंताओं के चलते अपने वीजा केंद्र बंद कर दिए, जो द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट का स्पष्ट संकेत है। इन घटनाओं से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जो नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में है, के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। कट्टरपंथी तत्वों का उदय और भारत-विरोधी भावनाएं क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर ख़तरा पैदा कर रही हैं।इन सब घटनाओं की पृष्ठभूमि में 2024 का छात्र-नेतृत्व वाला आंदोलन एक महत्वपूर्ण मोड़ था। कोटा सिस्टम के खिलाफ शुरू हुआ यह आंदोलन जल्द ही शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हो गया, जिसके परिणामस्वरूप अगस्त, 2024 में हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी। इस आंदोलन में इंक़लाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी जैसे छात्र नेताओं ने प्रमुख भूमिका निभाई थी।
शेख़ हसीना के जाने के बाद मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार बनी, जिसने फरवरी, 2026 तक चुनाव कराने का वादा किया है। हालांकि, इस अवधि में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हमले तथा मीडिया पर दबाव भी पड़े हैं। पिछले दिनों शरीफ उस्मान हादी की मौत हो गई। यूनुस सरकार ने इसे सुनियोजित हमला बताया और जांच का भरोसा दिलाया है। हादी की मौत के चलते ढाका में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। यह प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गया और प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख मीडिया हाउसों को निशाना बनाया। पहले बांग्ला दैनिक ‘प्रथम आलो’ के कार्यालय और उसके बाद ‘द डेली स्टार’ की इमारत पर हमला हुआ। इन दोनों अखबारों के प्रकाशन और ऑनलाइन ऑपरेशंस प्रभावित हुए हैं। प्रदर्शनकारी इन मीडिया हाउसों को ‘भारत समर्थक’ या ‘यूनुस सरकार समर्थक’ मानते थे। कुछ रिपोर्टों में तो प्रदर्शनकारियों ने भारत को हादी की हत्या का जिम्मेदार ठहराया। इससे भारत-विरोधी नारे और बढ़ गए।
इस समय बांग्लादेश में मीडिया पर हमले, प्रेस की स्वतंत्रता पर खतरा और पत्रकारों को निशाना बनाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। बेशक अंतरिम सरकार ने इन हमलों की निंदा की है, जबकि विपक्षी दल इसे सरकार की नाकामी बता रहे हैं।
भारत के लिए चिंता का विषय है कि इन अख़बारों को अक्सर भारत समर्थक माना जाता है। यदि भारत-विरोधी तत्व मीडिया को निशाना बना रहे हैं, तो इससे द्विपक्षीय संबंध और भी तनावपूर्ण हो सकते हैं। भारत ने सुरक्षा कारणों से इन घटनाओं के बीच अपने वीजा आवेदन केंद्र बंद कर दिए हैं। इधर, भारत ने बांग्लादेश के राजदूत को तलब कर चिंता जताई और कट्टर तत्वों की गतिविधियों पर आपत्ति दर्ज की है। भारत का कहना है कि अंतरिम सरकार मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल रही है। हजारों बांग्लादेशी जो मेडिकल, शिक्षा या परिवार से मिलने भारत आते हैं, प्रभावित हुए हैं। हसीना सरकार के जाने के बाद जमात-ए-इस्लामी जैसे समूह सक्रिय हो गए हैं और अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं। भारत ने बार-बार इस पर विरोध जताया है। हादी जैसे भारत-विरोधी नेता, जो कभी ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ जैसे विचारों से जुड़े थे, प्रदर्शनों में भारत को निशाना बनाकर इस भावना को प्रदर्शित करते हैं। इधर यूनुस सरकार इन तत्वों को नियंत्रित नहीं कर पा रही। चुनाव फरवरी, 2026 में हैं, लेकिन अस्थिरता से देरी हो सकती है। अस्थिरता के चलते इस समय भारतीय सीमा पर घुसपैठ, आतंकवाद या शरणार्थी संकट बढ़ सकता है।
बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति ‘उथल-पुथल’ जैसी है। यह एक संक्रमण काल है, जहां छात्र आंदोलन से निकले नेता, कट्टरपंथी तत्व और पुरानी पार्टियां संघर्ष कर रही हैं। इस पर भारत को सतर्क रहकर कूटनीतिक समाधान तलाशना चाहिए। भारत को इस समय हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और प्रेस स्वतंत्रता पर ध्यान देना होगा, साथ ही बांग्लादेश की संवेदनशील स्थिति पर नज़र रखनी होगी।
बांग्लादेश में अराजकता भारत के लिए चिंता की बात

