पटना डेस्कः सांसद चौधरी महबूब अली कैसर की स्थिति को देखकर कहा जा सकता है कि न खुदा हीं मिला न बिसाले सनम…एक महीने पहले जब बिहार एनडीए में सीटों का बंटवारा हुआ था और लोजपा (रामविलास) को खगड़िया समेत पांच सीटें मिली थीं तो महबूब अली कैसर तुरंत चिराग से मिलने पहुंच गए। कैसर उनसे खगड़िया की सीट चाह रहे थे। लेकिन चिराग ने यहां से राजेश वर्मा को प्रत्यासी बना कर कैसर का दिल तोड़ दिया।
खगड़िया सीट नहीं मिलने से नाराज महबूब अली ने भी बागी रुख अख्तियार कर लिया है और महबूब अली कैसर के खगड़िया से निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात सामने आ रही थी। अब सूत्रों के अनुसार सांसद चौधरी महबूब अली कैसर राजद का दामन थाम सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि सांसद चौधरी महबूब अली कैसर अब खगड़िया से लोक सभा चुनाव निर्दलीय नहीं लड़ेंगे। महबूब अली कैसर राजद का दामन अगर थामते हैं तो एनडीए के साथ चिराग पासवान की भी मुश्कील बढ़ सकती हैं।
बात महागठबंधन की करें तो यह सीट माकपा के खाते में गई है और यहां से संजय कुमार चुनावी मैदान में हैं। तो दूसरी तरफ एनडीए की तरफ से राजेश वर्मा के साथ कड़ा मुकाबला होने की संभावनाएं जताई जा रही है। अब देखना होगा कि खगड़िया की जनता किसके सर जीत का सेहरा बांधती है। हालांकि महबूब अली कैसर के लिए अब खोनेे के लिए कुछ नहीं बचा हैं। ऐसे में उनका महागठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करना कोई नई बात नहीं होगी।