महेश खरे
यह सक्षम भारत की सशक्त तस्वीर ही है कि पाकिस्तान चार दिन में ही घुटनों पर आ गया। दस मई को पाकिस्तान के 11 हवाई अड्डे धुआं-धुआं हो जाने के बाद उसे समझ में आ गया कि अब ‘सरेंडर’ करने में ही उसकी भलाई है। दुश्मन सीजफायर के लिए गिड़गिड़ा उठा। कुछ समय के लिए ड्रोन जरूर कश्मीर और अन्य सीमावर्ती इलाकों पर दिखे लेकिन भारत के सुरक्षा कवच के आगे सभी बेदम कर दिए गए। रात 11 बजे से शांति कायम हो गई। झूठी कहानियां गढ़ते रहे पाकिस्तान के सामने सोमवार को 12 बजे तक सुधरने का समय है। अब शर्तें भारत की होंगी और मानने के लिए मजबूर होगा पाकिस्तान। भारत का दो टूक फैसला उसके सामने है और वह यह कि ‘भविष्य में अगर आतंकी हमला हुआ तो वह ‘एक्ट ऑफ वार’ माना जाएगा। उसका इलाज भी उसी भाषा में किया जाएगा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की लगातार कामयाबी के लिए भारतीय सेना और नरेन्द्र मोदी सरकार की तारीफ देश भर में हो रही है। ऐसा शौर्य, ऐसा रण कौशल, ऐसी तकनीक और ऐसा समन्वय कि जिसने हर भारतीय का दिल जीता, गौरव बढ़ाया और सुरक्षा का भरोसा भी दिया। पहलगाम की वीरांगनाओं को भारत की कार्रवाई से पूरा संतोष मिला है। इन परिवारों ने जो कुछ खोया है उसकी भरपाई तो नहीं हो सकती लेकिन आतंकियों को करारा सबक सिखाकर यह संदेश तो सेना ने दे ही दिया है कि उनके परिजनों का बलिदान व्यर्थ नहीं गया। पहलगाम के ही नहीं कंधार विमान अपहरण, संसद पर हमला और 26/11 सेक्टर पुलवामा, बालाकोट तक के सभी छोटे-बड़े पुराने हिसाब चुकता कर दिए गए। बदला मुकम्मल लिया… आतंकियों और उनके आकाओं की कल्पना से परे लिया। जैसा देश चाहता था उससे कहीं आगे बढ़कर लिया।
आखिर कैसे घुटनों पर आया दुश्मन
सवाल यही है कि न्यूक्लियर बम का राग अलाप रहा दुश्मन अपनी हरकतों से बाज कैसे आया? पाकिस्तान भी यह समझ गया है कि यह बदला हुआ भारत है। उसे अपने हवाई अड्डों पर बड़ा गुमान था। लेकिन अब बहावलपुर, नूरखान, जैकोबाबाद, सरगोधा, मुरीदके, सुक्कूर और पेशावर समेत 11 हवाई अड्डे मिट्टी में मिला दिए गए हैं। इस बर्बादी से पाकिस्तान बुरी तरह बिलबिलाकर झुकने को मजबूर हो गया। वह समझ गया कि कहां आतंकी हैं और कहां उसके हथियारों का जखीरा है, भारत को सब कुछ पता है। यह पहली बार है जब शहबाज शरीफ को खुद स्वीकार करना पड़ा कि भारतीय हमलों में पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ है। हथियारों के जखीरे नष्ट हुए हैं। बड़ी संख्या में सैनिक भी हताहत हुए हैं। भारतीय वायुसेना ने भी एक बयान में कहा है कि हमें देशहित में जो टास्क दिया गया था वह सफलता पूर्वक हासिल कर लिया गया है। हमारा ऑपरेशन अभी जारी है।
चीन का समर्थन भी काम नहीं आया
दुश्मन की अकड़ बनाए रखने में चीन का खुला समर्थन भी काम नहीं आया। जनरल मुनीर से जैसे ही अमेरिका की बात हुई वैसे ही चीन खुलकर पाकिस्तान के समर्थन में आ गया। चीन 68 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश पाकिस्तान में कर चुका है। 35 से अधिक हाइड्रो प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इकॉनोमिक कोरिडोर को लेकर भी उसकी गतिविधियां दुनिया से छुपी हुई नहीं हैं। ड्रेगन पाकिस्तान को पहले से हथियारों की सप्लाई करता रहा है। यह अलग बात है कि उसका एक भी हथियार ऑपरेशन सिंदूर के आगे ठहर नहीं सका। जिन हथियारों का पाकिस्तानी सेना को बड़ा गुमान था वो पटाखे से ज्यादा आवाज भी नहीं कर सके।
आबादी को ढाल नहीं बना पाया दुश्मन
ड्रोन और मिसाइल हमलों में पूरी तरह नाकाम रहे पाकिस्तान के लिए विमान यात्रियों को ढाल बनाना भी उसी के लिए भारी पड़ा। उसके लगभग एक दर्जन एयर बेस पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। अब ज्यादातर बड़े और महत्वपूर्ण हवाई अड्डों पर उड़ानें शुरू होने में महीनों लग जाएंगे। सीमापार से जहां उसने भारत की नागरिक आबादी पर नापाक हमले किए वहीं भारत की जवाबी कार्रवाई से बचने के लिए नागरिक विमान सेवा को चालू रखा था। पाकिस्तान यह जानता है कि विमान यात्रियों को भारत निशाना नहीं बनाएगा। इसी का फायदा उठाने की मक्कारी उसी के लिए उल्टी पड़ी। पाकिस्तानी फौज भी पीओके की रिहायशी बस्तियों में डेरा डाले रही। ताकि जरूरत पड़ने पर पीओके की जनता को अपने बचाव की ढाल बनाकर इस्तेमाल किया जा सके।
मुसलमान आबादी पर हमले
पाकिस्तान भारतीय सेना के ठिकानों को तो छू भी नहीं पाया। इसी हताशा में आबादी वाले इलाकों को निशाना बनाने लगा। पुंछ में गुरुद्वारे पर गोले दागने में भी पाकिस्तानी सेना को शर्म नहीं आई। मुनीर और शहबाज दुनिया को अपना मुस्लिम हितैषी चेहरा दिखाते रहते हैं। लेकिन, भारत के सीमावर्ती गांव में मुसलमानों के घरों पर मिसाइलें दागते हुए उनके हाथ जरा भी नहीं कांपे। भारत और पाकिस्तान की सोच में मूल फर्क यही है। भारत की प्राथमिकता में सैनिक कार्रवाई की कामयाबी के साथ-साथ दोनों देशों की जनता की सुरक्षा और सलामती रही। पहलगाम हमले का बदला लेने में 15 दिन लगने का कारण भी यही है। भारतीय मिसाइलों ने पाकिस्तान में केवल आतंकी अड्डों को निशाना बनाया है। ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन की जनता को कोई नुकसान नहीं पहुंचे इस बात को सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास हुआ। अपनी जनता को भी मिसाइल अटैक में सुरक्षित रखने के लिए भारत के गांव शहर में मॉक ड्रिल कराई गई।
चीन तुर्की की मिसाइलें फेल
भारत की तीनों सेनाओं ने यह दिखा दिया कि आज हम दुनिया की श्रेष्ठतम सेना में से एक हैं। जहां तक हथियारों और उनकी मारक क्षमता का सवाल है जितना बताया उससे कहीं ज्यादा करके दिखा दिया। हमारी रक्षा प्रणाली के आगे ना तो चीन और तुर्की की मिसाइलें ठहर सकीं, ना ही ड्रोन। लड़ाकू विमान तो सूखे पत्तों की तरह जमीन पर आ गिरे। सांझ ढलने के साथ ही बौखलाहट में दुश्मन ढेर-ढेर ड्रोन भेजता रहा। भारत के कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और गुजरात के 38 से ज्यादा शहरी आबादी वाले इलाके इनके निशाने पर रहे। दुश्मन के सभी ड्रोन हमारे इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम से टकराकर मिट्टी में मिलते गए। भारत की स्वदेशी आकाश मिसाइल ने तो दुश्मन पर कहर बरपाने का काम किया।
अमेरिका का भी सपना पूरा
तीनों सेनाओं ने वो कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। सैकड़ों निर्दोषों की हत्या पर अट्टहास करने और आंखें दिखाने वाले मसूद अजहर को दुनिया ने पहली बार फूट-फूट कर रोते हुए देखा। बहावलपुर धमाके की धमक आतंकियों की पीढ़ियां भूल नहीं पाएंगीं। मसूद ने अपने परिवार के दस लोगों को खोया। अजहर मसूद बच गया लेकिन वह जब तक जिएगा तब तक उसे जिंदा बच जाने का दर्द और भारतीय सेना का खौफ रुलाता रहेगा। बेचैन करता रहेगा। उसे सबसे बड़ा घाव छोटे भाई अब्दुल रऊफ अजहर की मौत का लगा है। अमेरिका का मोस्ट वांटेड रऊफ जैश ए मोहम्मद का सरगना था और मरकज सुभानल्लाह मस्जिद में अस्पताल और मदरसे की आड़ लेकर आतंकियों को तैयार करता था। रऊफ के सफाए के साथ भारतीय सेना ने अमेरिका का सपना भी पूरा कर दिया। रऊफ अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या का भी मास्टर माइंड था।
बिलख पड़ा आतंकी सरगना
अपनों को खोने का दर्द कैसा होता है यह मसूद को शायद पहली बार भारतीय सेना के हाथों मिला। मस्जिद के मलवे में दबकर जैश का आतंकी नेटवर्क पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। ऑपरेशन सिंदूर की ज्वाला में आतंक का चेहरा भयभीत होकर रह गया। बिलखते आतंकी सरगना के लाचार शब्द ‘अच्छा होता अगर मैं भी मर जाता’ दुनिया में बड़े सुकून के साथ सुने गए। जनरल मुनीर ने फौज के हाथों जनाजे में फूल भेज कर यह बता दिया कि आतंक से उसका भी गहरा रिश्ता है। पहली ही रात में आतंकियों के कुल 9 ठिकाने ध्वस्त हुए। जो बचे हैं अब अपनी बारी आने की दहशत में हैं। भारत की कार्रवाई का आनंद यह रहा कि पाकिस्तान की ओर से सैन्य और महत्वपूर्ण ठिकानों पर जितने भी हमले किए गए, सभी विफल रहे। वहीं भारत का हर निशाना अचूक और बर्बादी लाने वाला रहा। यह तो दुनिया जानती है कि भारत के आगे पाकिस्तान की कोई बिसात ही नहीं है। इन चंद दिनों में भारत ने यह प्रमाणित भी कर दिया।