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सिवान: बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण के फैसले पर पटना हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद बीपीएससी ने प्रधानाध्यापक भर्ती के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण के अनुसार नया विज्ञापन जारी किया और परीक्षा के बाद रिजल्ट भी जारी कर दिया गया है।
इससे पहले बिहार सरकार के जातिगत सर्वे के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाते हुए मार्च 2024 में 65 प्रतिशत आरक्षण के तहत बीपीएससी ने विज्ञापन जारी किया था, जिसमें 6061 पदों के लिए रिक्तियां थीं, जिनमें से 2014 पद महिलाओं के लिए आरक्षित थे।

पटना हाईकोर्ट ने 65 प्रतिशत आरक्षण को रद्द कर दिया। पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया, जहां मामला लंबित है। इधर बीपीएससी ने पिछले विज्ञापन को रद्द करते हुए नया विज्ञापन जारी कर अनारक्षित सीटों में वृद्धि की और आरक्षित वर्गों की सीटें कम कर दीं।
इस पर कांग्रेस सेवा दल के प्रदेश अध्यक्ष आदित्य कुमार पासवान ने राज्य सरकार और बीपीएससी पर आरोप लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद भर्ती प्रक्रिया में जल्दबाजी की गई। आदित्य पासवान ने आशंका जताई कि अगर सुप्रीम कोर्ट 65 प्रतिशत आरक्षण को फिर से बहाल करता है, तो अनारक्षित वर्ग के चयनित अभ्यर्थियों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी और आरक्षित कोटे की सीटें भी प्रभावित होंगी।

उन्होंने बीपीएससी से इस भर्ती पर रोक लगाने और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की मांग की है। साथ ही, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाया कि उनके इशारे पर बीपीएससी ने यह कदम उठाया, जिससे शिक्षकों का करियर दांव पर लग रहा है।

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