गोवा अपनी छवि का विस्तार करने का संकल्प ले चुका है। उसकी चाहत है कि उसे उसके समुद्री तटों, गिरिजाघरों के अलावा भी उसके समृद्ध अतीत के रूप में भी जाना जाए। गोवा को लेकर एक ऐसी धारणा बना दी गई है, जबकि सच्चाई यह है कि गोवा सनातन भूमि है। चूंकि गोवा पर लम्बे समय तक पुर्तगाली शासन रहा है, तो इसका असर यहां पर अब भी गिरिजाघरों, घरों और दूसरी इमारतों के आर्किटेक्चर को देखकर समझ आने लगता है। पुर्तगालियों ने गोवा पर लगभग 450 सालों तक शासन किया। पुर्तगालियों ने यहाँ के संस्कृति का नामोनिशान मिटाने के लिए बहुत प्रयास किए, लेकिन यहाँ की मूल संस्कृति इतनी मजबूत थी की धर्मांतरण के बाद भी वो मिट नहीं पाई।
गोवा के मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत ने पर्यटन संग आध्यात्मिक राष्ट्रवाद से गोवा को विकसित बनाने का दृढ़ संकल्प लिया है। मुख्यमंत्री खुद कई बार यह कह चुके हैं कि गोवा को लेकर एक खास तरह की इमेज बना दी गई है।, यह संत सोहिरोबनाथ आंबिये, आद्य नाटककार कृष्णभट्ट बांदकर, सुरश्री केसरबाई केरकर, आचार्य धर्मानंद कोसंबी और पद्म विभूषण रघुनाथ माशेलकर जैसी विभूतियों की धरती है। गोवा का जुझारूपन, संघर्ष इतिहास की किताबों में भी परिलक्षित होता है। अंग्रेजों ने भारत पर करीब दो सौ साल शासन किया, लेकिन गोवा के लोगों ने साढ़े चार सौ साल तक पुर्तगालियों को सहा। जिसकी वजह से यह कहा जाए कि सबसे बड़ा कन्वर्जन गोवा में हुआ तो गलत नहीं होगा। इतना सबकुछ होने के बावजूद गोवा वह राज्य है जिसने मंदिरों का पुनर्निमाण कराया। 16वीं शताब्दी में जो मंदिर पुर्तगालियों ने नष्ट किया था, उस सप्त कोटेश्वर मंदिर को छत्रपति शिवाजी जी ने बनवाया था। प्रमोद सावंत सरकार ने छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनवाए गए इस मंदिर को भी री-डवलप करने का बीड़ा उठाया है।
आध्यात्मिक राष्ट्रवाद की यह कवायद गोवा की सूर्य, रेल और समुद्र या ‘सन, सेंड और सी’ की पहचान को नया आयाम देने वाली साबित होगी। गोवा के लोग सरकार के इस कदम से कितने उत्साहित है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्थानीय निवासी खुद मंदिरों की प्रतिष्ठा कर रहे हैं। राज्य सरकार ने इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए एक कमेटी गठित की थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पुर्तगालियों के 450 साल के शासन में गोवा में लगभग 900 से अधिक मंदिर तोड़े गए।
आध्यात्मिकता की राह पर आगे बढ़ता गोवा आज विकास के विभिन्न पैमानों पर बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। स्वयंपूर्ण गोवा मिशन जमीनी स्तर पर जन सामान्य को सशक्त कर रहा है। जन सशक्तता के लिहाज से प्रमोद सावंत ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई योजनाएं शुरू कर दी थी, जिसमें से स्वयंपूर्ण गोवा मिसाल है। प्रमोद सावंत ने पहले कार्यकाल में हाउसिंग फॉर ऑल, इलेक्ट्रीसिटी फॉर आल, फाइनेंशियल सिक्योरिटी फॉर आल, हेल्थ फॉर आल, इक्यूवमेंट फॉर दिव्यांग, किसान क्रेडिट कार्ड फॉर आल समेत कुल दस लक्ष्य निर्धारित किए थे। इन लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में उठाए गए सकारात्मक कदमों के सुखद नतीजे अब आने लगे हैं। गोवा सौ प्रतिशत घरों में नल से जल और बिजली आपूर्ति करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
इतना ही नहीं भारत वर्ष में गोवा पहला राज्य है, जहां प्रत्येक गांव में सड़कें हैं। केंद्र सरकार की योजनाएं लागू करने के मामले में भी गोवा बाकियों के लिए एक नजीर है। पूरे राज्य में उज्ज्वला योजना सौ प्रतिशत लागू हो गई है । गोवा अब किरोसीन मुक्त राज्य है। गोवा, शत प्रतिशत शौचालय निर्माण वाला भी देश का पहला राज्य है। ऐसी योजनाओं की संख्या एक दो नहीं बल्कि 13 हैं, जिन्हें लागू करने में गोवा अग्रणी है। कभी दूध से लेकर कृषि उत्पादों तक के लिए पड़ोसी राज्यों पर निर्भर रहने वाला गोवा आज आत्मनिर्भरता की राह पर सतत आगे बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने 2047 तक विकसित गोवा का आह्वान किया है। गोवा सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और ह्रयूमन रिसोर्स डेवलपमेंट पर लगातार कार्य कर रही है। आईटी, आईआईटी सेक्टर के लिए ह्यूमन रिसोर्स तैयार करने के लिए विशद योजनाएं बनाई जा रही है। गोवा को साफ्टवेयर पॉवर के तौर पर भी विकसित किया जा रहा है।
आज गोवा मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने वाले प्रमुख राज्यों में शामिल है। गोवा की एंटी नारकोटिक्स सेल बहुतही सक्रिय है। गोवा आध्यात्मिकता के साथ वेलनेस टूरिज्म को भी बढ़ावा दे रहा है। राज्य सरकार को केंद्र सरकार की ओर से भी सबसे ज्यादा मदद मिल रही है। इसका भी फायदा राज्य के आर्थिक विकास में मददगार बना है। गोवा क्षेत्रफल के लिहाज से छोटा राज्य होने पर भी कई मामलों में बड़े-बड़े राज्यों से बहुत आगे है।गोवा क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से चौथा सबसे छोटा राज्य है। गोवा का क्षेत्रफल मात्र 3702 वर्ग किलोमीटर है।गोवा की प्राकृतिक सुंदरता के अलावा यहाँ के प्रसिद्ध तट और सूर्य की धूप पर्यटकों को गोवा की ओर खींचती है। यहां के स्थानीय लोगों का पर्यटकों के प्रति व्यवहार भी वास्तव में बहुत दोस्ताना रहता है।
इस बीच, प्रमोद सावंत का अपनी कैबिनेट के साथ बीती 15 फरवरी को अयोध्या में रामलला के दरबार में हाजिरी लगाना भी महत्वपूर्ण रहा। गोवा कैबिनेट के ईसाई मंत्री भी राम लला के मंदिर में पूजा के लिए गए थे। गोवा कैबिनेट के सभी सदस्यों ने जय श्री राम का उद्घोष किया। वहां पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि अयोध्या का नाम “मुख्यमंत्री देव दर्शन योजना” में शामिल किया जाएगा। “मुख्यमंत्री देव दर्शन योजना” के तहत गोवा अब सरकार रामलला का दर्शन मुफ्त कराएगी। तो बहुत साफ है कि गोवा अपनी उस छवि से बाहर निकलना चाहता है जिसमें मात्र पुर्तगाली संस्कृति, गिरिजाघरों और पर्य़टन की ही चर्चा होती है।
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के पितृ पुरूष दीनदयाल उपाध्याय ने अंतिम व्यक्ति के आंसू पोंछने और उसका दुखदर्द दूर करने के लिए अंत्योदय की परिकल्पना प्रस्तुत की थी। दीनदयाल उपाध्याय ने गोवा मुक्ति आंदोलन को दिशा और दशा दी थी। आज आर्थिक मोर्चे पर जिस तरह गोवा की राज्य सरकार काम कर रही है, उससे साफ है कि वह अपने पितृ पुरूष की परिकल्पना को यर्थार्थ के धरातल पर शिद्दत से साकार करने की कोशिश कर रही है।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)