PM मोदी के बिहार आगमन पर माले ने उठाया विशेष राज्य के दर्जे का सवाल, पूछा-स्कीम वर्कर्स के लिए क्या न्यूनतम मानदेय की घोषणा करेंगे प्रधानमंत्री?

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भाकपा-माले के मिथिलांचल प्रभारी धीरेंद्र झा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे के मौके पर राज्य की जनता की ओर से एक खुली चिट्ठी जारी की है, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। धीरेंद्र झा ने बताया कि प्रधानमंत्री बार-बार बिहार आते हैं, लेकिन राज्य की जनता की प्रमुख मांग, विशेष राज्य के दर्जे पर कोई चर्चा नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने कुर्सी के लिए अपने वादों को भुला दिया है, लेकिन बिहार की जनता इस मांग को नहीं भूली है। विशेष राज्य का दर्जा बिहार का सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा है, क्योंकि राज्य के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है।

पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा न देने के निर्णय पर भी उन्होंने सवाल उठाया, यह बताते हुए कि यह एक पुराना विश्वविद्यालय है जिसे यह दर्जा नहीं मिला। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की योजनाओं में आशा, रसोइया, आंगनबाड़ी आदि कार्यकर्ताओं को उचित पारिश्रमिक नहीं मिलता, जबकि उन्होंने कोरोना काल में महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान की हैं। क्या प्रधानमंत्री इस दौरे पर इन कार्यकर्ताओं के लिए न्यूनतम मानदेय की घोषणा करेंगे?

उन्होंने बिहार में हालात को लेकर भी चिंता व्यक्त की। भोजपुर में सामंती मानसिकता के लोगों द्वारा की गई गोलीबारी की घटना को उन्होंने गंभीर बताया, जिसमें कई युवाओं की जान गई। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार में अपराधी बेखौफ हो गए हैं, और यह स्थिति चिंताजनक है। भोजपुर में उन्मादियों ने सामंती अकड़न में कुशवाहा जाति के बारात पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर जनसंहार रचाया है जिसमें यादव समुदाय के चार नौजवानों की मौत हो गई है और कुशवाहा समाज के 3 लोग घायल हैं। डबल इंजन की सरकार में अपराधी इतने बेखौफ हैं कि यात्री बस को सरेआम बाजार में रोक कर गोलियां चलाई गई. काजल मंडल, कोमल पासवान, स्नेहा कुशवाहा, सिवान के राजभर समुदाय की बच्चियों के साथ अन्याय पर आपके नेताओं की जुबान नहीं खुलती क्योंकि इनके तार अपराध्यिों से जुड़े हैं।

प्रधानमंत्री मिथिला आ रहे हैं लेकिन मिथिलांचल की अर्थव्यवस्था लगातार चौपट हुई है। 60-70 दशक से यह ढलान जारी है क्योंकि कृषि आधरित सारे उद्योग ध्वस्त हो गए। चीनी, जूट, कागज, सूता मिलें एक-एक करके बंद हो गए। बाढ़ और सुखाड़ यहां की नियति बन गई है। ले देकर पलायन ही रोजगार है। यह इलाका दरिद्रता और विद्वता दोनों के लिए जाना जाता है, लेकिन आपकी डबल इंजन की सरकार और आपकी केंद्र की 11वर्षों की सरकार ने इस मामले में कुछ नहीं किया है। केंद्रीय विश्वविद्यालय के अधिकार को नकारा गया और बंद पड़े उद्योगों को खोलने से मना किया गया।

आपके लोग कहेंगे कि मखाना पर बोलिए, लेकिन मखाना की कथा और भी दुखद है. इस खेती से 0.01 प्रतिशत किसान भी नहीं जुड़े हैं, और फिर दरभंगा-मधुबनी में इसकी खेती का रकबा घटा है क्योंकि स्थाई जल जमाव का एरिया कम हुआ है और मखाना अनुसंधन परिषद जो चतुरानन मिश्र के दौर में स्थापित हुए था वह आज धूल फांक रहा है। उम्मीद है कि मक्का प्रोसेसिंग प्लांट की कोई बात होगी क्योंकि पिछले तीन दशकों में इसकी खेती बिहार में बढ़ी है।

एक जरूरी बात की ओर ध्यान और आकृष्ट करते हुए कहा कि अडानी-अंबानी के हाथों आपकी सरकार ने देश के संसाधनो को लुटाया है, और यहां आपकी सरकार राज्य के बाहर के ठेकेदारों पर मेहरबान है क्योंकि एकमुश्त कमीशन मिल जाता है। आवास योजना के लाभार्थियों के चयन में लूट मची है, इसकी जानकारी आप अपने एजेंसी से ले सकते हैं।

अंतिम और जरूरी बात! बिहार गंगा-जमुनी संस्कृति का प्रदेश रहा है। हमने मिलकर साझे संघर्ष के जरिए इस मुकाम को हासिल किया है, कृपया इस जज्बात से मत खेलिएगा। अंत में उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि वे बिहार के मुद्दों पर ध्यान दें और जनता की आवाज को सुनें।

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