दो दशकों से बिहार की सत्ता पर काबिज एनडीए की सरकार वास्तव में डबल बुलडोजर, विश्वासघात और अन्याय की सरकार साबित हुई है। जनता की बुनियादी जरूरतें बहुत पीछे छूट गई हैं और बिहार सस्ता श्रम सप्लाई का जोन बनकर रह गया है। इस बदहाल स्थिति के खिलाफ आज बिहार में चौतरफा बदलाव की आवाज गूंज रही है।
करीब 95 लाख गरीब परिवारों को 2 लाख रुपये सहायता राशि, 5 डिसमिल जमीन व 2022 तक स्वच्छ पेयजल व बिजली युक्त पक्का मकान देने के सवाल से शुरू होकर ‘बदलो बिहार न्याय यात्रा’ और प्रमंडलीय समागमों के जरिए स्कीम वर्कर्स, मजदूर-किसानों, छात्र-युवाओं, आदिवासियों व अन्य आंदोलनकारी समूहों-संगठनों की बीच व्यापक एकता का निर्माण करते हुए तथा उन्हीं के बीच हुए गहन विचार मंथन की प्रक्रिया के उपरांत सभी आंदोलनकारी ताकतों को एक मंच पर लाने की कार्ययोजना आज फलीभूत हो रही है. जनता की इस विधानसभा से हम भाजपा-जदयू सरकार को खारिज करते हुए ऐतिहासिक गांधी मैदान से बिहार में बदलाव का बिगुल फूंकने तथा जनमुद्दों को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव का मुद्दा बना देने का संकल्प लेेते हैं।
1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम से लेकर रजवार विद्रोह, जमींदारी राज के खिलाफ जुझारू किसान आंदोलन, त्रिवेणी संघ आंदोलन, समाजवादी और कम्युनिस्ट आंदोलनों की इस धरती से बदलाव की जो आवाज उठी है, वह पूरे देश को एक नई दिशा देगी। जब-जब देश में संकट आया है, बिहार संघर्ष के अग्रिम मोर्चे पर खड़ा रहा है। यह महाजुटान फासीवादी भाजपा द्वारा बिहार को पीछे धकेलने, बिहार की सत्ता हड़पने और यूपी की तरह बिहार को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने की हर साजिश का मुंहतोड़ जवाब देने का आह्वान करता है। हम उसे नाकाम बनाते हुए बिहार की ऐतिहासिक विरासत पर खड़े होकर बिहार को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं।
यह महाजुटान संविधान की प्रस्तावना से भाजपा-आरएसएस द्वारा पंथनिरपेक्षता और समाजवाद को हटाकर मनुस्मृति को देश का विधान बनाने की साजिशों का पुरजोर विरोध करता है। संविधान के 75 वें वर्ष में अमित शाह द्वारा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के उपहास उड़ाने और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा राम मंदिर स्थापना को असली आजादी का प्रतीक बताना यह दर्शाता है कि भाजपा-आरएसएस की कोशिश देश के धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी मूल्यों को नष्ट करने की है। हम आज संकल्प लेते हैं कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान की रक्षा करेंगे और उसके मूल्यों के आधार पर एक समतामूलक समाज बनाने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे, जहां हर व्यक्ति को सम्मान, अधिकार और समान अवसर की गारंटी हो सकेगी।
अमेरिका द्वारा प्रवासी भारतीयों के साथ की गई क्रूरता और उस पर मोदी सरकार की चुप्पी देश के आर्थिक हित, स्वाभिमान और संप्रभुता पर एक गहरा आघात है। प्रवासी भारतीयों को जिस तरह से अपमानित और प्रताड़ित किया गया, वह न केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह भारत की विदेश नीति और देश की प्रतिष्ठा के लिए गंभीर चिंता का विषय है। अमेरिका के समक्ष मोदी सरकार की इस घुटनाटेक नीति ने पूरे देश का मान गिराया है। हम भारत सरकार की इस चुप्पी की कड़ी निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि वह अमेरिका से सभी प्रवासी भारतीयों की सम्मानजनक वापसी सुनिश्चित करे। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी भी भारतीय नागरिक के साथ किसी भी विदेशी भूमि पर किसी भी प्रकार का अपमानजनक या अन्यायपूर्ण व्यवहार न हो।
बिहार में सत्ता संरक्षित सामंती-अपराधियों द्वारा दलित-महिलाओं पर हिंसा, बीपीएसएसी अभ्यर्थियों से लेकर मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहंुचाने की कोशिश कर रहे नागरिकों पर बर्बर पुलिसिया दमन, राज्य प्रायोजित हिंसा, बेलगाम अफसरशाही और संस्थागत भ्रष्टाचार के खिलाफ महाजुटान न्यायपूर्ण नए बिहार के निर्माण के लिए संघर्ष की सभी ताकतों के बीच और भी व्यापक एकता बनाने तथा आगामी चुनाव में बिहार में सरकार को बदल देने का आह्वान करता है।