Dhurandhar Movie Controversy: फिल्म ने क्यों छेड़ दिया पुराना दर्द?
Dhurandhar Movie Controversy इस समय इंडिया में बड़े स्तर पर चर्चा में है। फिल्म ने जैसे ही कराची के काले सच, गैंगवार, पाकिस्तान की हिंसा और आईएसआई की भूमिका को यथार्थ के साथ दिखाया, तुरंत तथाकथित लिबरल और कम्युनिस्ट समूहों में बेचैनी बढ़ गई।
फिल्मकार आदित्य धार ने इस फिल्म के माध्यम से एक ऐसे सच को सामने रखा है, जिसे वर्षों तक अनदेखा किया गया—और यही बात लेफ्ट-लिबरल वर्ग को चुभ रही है।
- Dhurandhar Movie Controversy: फिल्म ने क्यों छेड़ दिया पुराना दर्द?
- Dhurandhar Movie Controversy: कराची के ल्यारी गैंगवार की भयावह कहानी
- Dhurandhar Movie Controversy: क्यों टूट गया लिबरल-कम्युनिस्टों का दिल?
- Dhurandhar Movie Controversy: पाकिस्तान की सच्चाई—एक पत्रकार की आंखों देखी
- Dhurandhar Movie Controversy: पाकिस्तान के गैंग—उज्जैर, लाडला, रहमान
- Dhurandhar Movie Controversy: भारतीय राजनीति और फिल्म का सच
- Dhurandhar Movie Controversy: पाक पत्रकारों का प्रमाण
उनकी तर्कहीन शिकायत यही है कि फिल्म “पुराने जख्म कुरेदती है” और “पाकिस्तान को बैड लाइट” में दिखाती है—लेकिन सवाल यही है कि सच अगर कड़वा हो तो क्या उसे दिखाना गलत है?
Dhurandhar Movie Controversy: कराची के ल्यारी गैंगवार की भयावह कहानी

फिल्म Dhurandhar Movie Controversy का मूल प्लॉट कराची के ल्यारी इलाके पर आधारित है—वह क्षेत्र जहाँ दशकों तक गैंगवार, खून, सत्ता और हिंसा का आतंक कायम रहा।
यहां का खूंखार डॉन बाबू बलोच, जिसे “बाबू डकैत” कहा जाता था, लोगों के दिलों में खौफ का दूसरा नाम था। बाद में रहमान नाम के बलोच ने उसे मार गिराया और खुद कराची का बेताज बादशाह बन बैठा।
इसी गैंग में भारतीय एजेंट “धुरंधर” हमजा बलोच बनकर घुसता है और वहीं से कहानी जासूसी, गैंगवार और पाकिस्तान के अंदरूनी हालातों को सामने लाती है।
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Dhurandhar Movie Controversy: क्यों टूट गया लिबरल-कम्युनिस्टों का दिल?
लेफ्ट-लिबरल गुट की सबसे बड़ी आपत्ति फिल्म के उन दृश्यों पर है जहाँ—
• कराची के मुसलमानों के चरमपंथ को दिखाया गया,
• हिंदुओं को “डरपोक” समझे जाने की मानसिकता दिखाई गई,
• पाकिस्तान के भ्रष्ट सिस्टम और आईएसआई की हकीकत उजागर हुई।
लेकिन फिल्म के निर्देशक ने कुछ भी काल्पनिक नहीं दिखाया। यही कारण है कि Dhurandhar Movie Controversy ने वामपंथी और लिबरल सर्किल के उस “कंफर्ट नैरेटिव” को तोड़ दिया है, जिसमें पाकिस्तान को पीड़ित और भारत को दोषी दिखाना आदत बन चुकी है।
Dhurandhar Movie Controversy: पाकिस्तान की सच्चाई—एक पत्रकार की आंखों देखी
फिल्म में दिखाया गया बहुत कुछ मेरे अपने पाकिस्तान के अनुभवों से मेल खाता है। भारत-पाक क्रिकेट सीरीज के दौरान जब मैं लाहौर और कराची गया—
• इमिग्रेशन और कस्टम पर “रिश्वत देना” आम रिवाज था,
• डॉलर बदलने के मामूली विवाद में हिंसा की नौबत आ गई,
• एक दुकानदार ने मेरे साथी को देखकर कहा—“हिंदू डरपोक होते हैं”—यह मेरे कानों से सुनी बात है,
• कराची के पुराने इलाकों में स्थानीय पत्रकारों ने जाने से मना किया क्योंकि वहाँ कई गैंग एक्टिव थे।
फिल्म बिल्कुल वही दिखाती है जो पाकिस्तान में दशकों से होता रहा है।
इसलिए Dhurandhar Movie Controversy बेबुनियाद नहीं—बल्कि सच्चाई का आईना है।
Dhurandhar Movie Controversy: पाकिस्तान के गैंग—उज्जैर, लाडला, रहमान
ल्यारी गैंगवार की कहानियाँ सिर्फ फिल्मों का मसाला नहीं हैं।
• लाडला—सबसे खूंखार गैंगस्टर,
• उज्जैर बलोच—कराची का नया डॉन, जिसने कमांडर कुलभूषण जाधव को पकड़कर आईएसआई को बेच दिया,
• रहमान डकैत—क्रूरता का प्रतीक।
ये सब असल किरदार हैं जिनकी हिंसा ने कराची की पीढ़ियों को तबाह किया। फिल्म इन्हें तथ्यात्मक रूप में दिखाती है—इसीलिए लिबरल वर्ग परेशान है।
Dhurandhar Movie Controversy: भारतीय राजनीति और फिल्म का सच
फिल्म किसी सरकार को दोषी नहीं ठहराती—
• कंधार हाईजैकिंग के लिए जिस सरकार पर प्रश्न उठे—वह एक अलग तथ्य है।
• मुंबई हमलों के लिए जवाबी कार्रवाई न करने पर भी आलोचना होती है।
फिल्म केवल “सच” कहती है—और सच हमेशा सबसे ज्यादा चुभता है।
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Dhurandhar Movie Controversy: पाक पत्रकारों का प्रमाण
पाकिस्तानी पत्रकार आरिफ अज़ाकिया खुद अपने यूट्यूब चैनल पर बताते हैं—
• कराची दुनिया का सबसे खतरनाक शहर क्यों है,
• गैंगवार कैसे संरक्षित हैं,
• आईएसआई किस तरह देश को अंधकार में रखती है।
उनकी बातें फिल्म के हर फ्रेम को प्रमाणित करती हैं।
Dhurandhar Movie Controversy: फिल्म एक आईना है—और आईना हमेशा चुभता है
फिल्म Dhurandhar Movie Controversy सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक सच्चाई की दस्तावेज़ है।
इसने वही दिखाया है जो पाकिस्तान में दशकों से होता आया है।
असल वजह यह है कि
जिन्हें सच पसंद नहीं, वही इस फिल्म से सबसे ज़्यादा नाराज़ हैं।
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