डिजिटल युग में शिक्षक की बदलती भूमिका, राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर विशेष आलेख

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गणेश दत्त पाठक (वरिष्ठ स्तंभकार)
समाज में सकारात्मकता का संचार करने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। शिक्षक छात्रों को ज्ञान, नैतिक मूल्यों और कौशलों के साथ तैयार करते हैं, जो उनके भविष्य के लिए आवश्यक और हितकारी रहता है। आज के डिजिटल और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के युग में शिक्षक की भूमिका में और भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब शिक्षक का दायित्व महज परम्परागत तरीके से ज्ञान प्रदान और उन्हें चरित्रवान बनाना ही नहीं रहा अपितु आज के डिजिटल दौर के शिक्षक को प्रेरक, मार्गदर्शक के तौर पर भी बड़ी भूमिका का निर्वहन करना है। आज के शिक्षकों को डिजिटल टूल्स और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर छात्रों को 21 वीं सदी के कौशलों के साथ तैयार करने की आवश्यकता भी है। डिजिटल युग में छात्रों के भटकाव और भ्रम के लिए तमाम अवसर आसानी से उपलब्ध है। ऐसे में शिक्षकों की भूमिका कहीं ज्यादा बढ़ती नजर आती है। आवश्यकता इस बात की भी है कि शिक्षक समय के साथ अपने को अपडेट करें और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को सहजता से अंगीकार भी करें। अभी की अनिवार्यता शिक्षक के नवाचारी बनने और छात्रों की सृजनात्मकता को बृहद स्तर पर प्रेरित करने की है।

भारतीय ज्ञान परंपरा की बात हो या अन्य सभ्यताओं की। शिक्षक को जीवन में रौशनी का संचार करने वाला माना जाता रहा है। शिक्षक उस मोमबत्ती के समान होता है, जो स्वयं जल कर अपने प्रकाश से शिष्यों के जीवन को आलोकित करता है। शिक्षकों का प्रारंभिक दायित्व ज्ञान और संस्कृतियों को पीढ़ियों तक पहुंचाना और छात्रों को नैतिक और बौद्धिक तौर पर विकसित करना होता है। वैसे शिक्षक का मुख्य दायित्व ज्ञान का प्रसार करना ही रहा है, जिससे छात्रों को विभिन्न विषयों में महारत हासिल हो सके। नैतिक मूल्यों का विकास, छात्रों का चरित्र निर्माण और पुरातन संस्कृति का संरक्षण भी शिक्षक के ही दायित्व रहे हैं। शिक्षक परम्परागत तौर से छात्रों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं को ध्यान में भी रखते रहे हैं ताकि छात्र अपनी पूरी क्षमता से अपने व्यक्तित्व का विकास कर सके। शिक्षा के व्यवसायीकरण के दौर में वैसे भी कई प्रश्न उठते रहे हैं? आज के डिजिटल युग में तो शिक्षक की बदलती भूमिका को समझना एक अनिवार्य तथ्य हो चला है।

यह तथ्य भी महत्वपूर्ण है कि आज के डिजिटल युग में छात्र स्वयं के स्तर पर कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। डिजिटल ओवरलोड और एडिक्शन, बढ़ता स्क्रीन टाइम, पर्याप्त डिजिटल बुनियादी संरचना का अभाव आदि चुनौतियां छात्रों को दिग्भ्रमित कर रही है। साथ ही साइबर अपराध मसलन फिशिंग, हैकिंग, मैलवेयर आदि डाटा चोरी, ऑनलाइन धोखाधड़ी, साइबर आतंकवाद जैसे खतरे भी छात्रों के समक्ष बड़ी चुनौतियों के तौर पर सामने आ रहे हैं। ऐसे में उनके नैतिक विचलन, सांस्कृतिक पतन और कैरियर निर्माण से भटकाव की आशंकाएं ज्यादा उत्पन्न हो रही है। जब इन तथ्यों पर गौर करते हैं तो यह विदित होता है कि परिवार के साथ अभी शिक्षकों की भूमिका ज्यादा बढ़ती दिखाई देती है। जहां गूगल पर तो भरपूर ज्ञान उपलब्ध है लेकिन उसको कैसे उपयोग करें, कितना उपयोग करें? आदि सवाल उठते दिखाई देते हैं। अभी शिक्षक को केवल ज्ञान प्रदाता से अलग छात्रों के लिए प्रेरक, मित्र और मार्गदर्शक बनने की आवश्यकता ज्यादा रेखांकित होती है।

डिजिटल युग में शिक्षकों की भूमिका में बदलाव को हर स्तर पर महसूस किया जा रहा है। इस दौर में शिक्षकों की भूमिका मार्गदर्शक और सुविधाप्रदाता की दिख रही है जो छात्रों को सीखने के संसाधनों और अवसरों तक पहुंच प्रदान करते हैं। शिक्षकों द्वारा छात्रों में डिजिटल साक्षरता के विकास के लिए प्रयास और प्रोत्साहन की आवश्यकता है। जिसमें शिक्षक परम्परागत ज्ञान के साथ ऑनलाइन सुरक्षा, सूचना साक्षरता के बारे में भी जानकारी प्रदान कर सकते हैं। शिक्षकों के लिए यह भी आवश्यक प्रतीत हो रहा है कि वे नवीनतम तकनीकों और डिजिटल टूल्स का उपयोग करके शिक्षण पद्धतियों को और आकर्षक और आसान बनाएं। जरूरत इस बात की भी है कि शिक्षक छात्रों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं और सीखने की शैलियों को ध्यान में रखते हुए शिक्षण पद्धतियों को उनके अनुकूल बनाए। डिजिटल उपकरणों के सावधानीपूर्वक उपयोग के संदर्भ में भी शिक्षकों का सहयोग अब एक अनिवार्य तथ्य है।

ऐसे में जब डिजिटल युग में शिक्षकों की भूमिका में बदलाव के तथ्य को समझा जा रहा है तो शिक्षकों को भी अपने में बदलाव लाने की आवश्यकता है। उन्हें डिजिटल टूल्स और प्रौद्योगिकी के उपयोग के प्रति सक्षमता को प्राप्त करने और नई नई तकनीकों को सीखने पर फोकस बढ़ाना चाहिए। उन्हें नवीनतम तकनीकों और डिजिटल टूल्स के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी रखने के लिए सदैव प्रयासरत रहना चाहिए। शिक्षकों को छात्रों अभिभावकों और अन्य हितधारकों के साथ संवाद और समन्वय की भूमिका के निर्वहन की आवश्यकता भी है ताकि वे छात्रों को सही मार्गदर्शन देने में सक्षम हो पाएं। आज के डिजिटल युग में शिक्षकों द्वारा निरंतर सीखने और अपने कौशलों को अद्यतन रखने की इच्छा को रखना बेहद जरूरी है।

डिजिटल युग में शिक्षकों के लिए अगर बड़ी चुनौती मौजूद है तो कई अवसर भी उपलब्ध है। आज के शिक्षकों को नवीनतम तकनीक और डिजिटल्स टूल्स का उपयोग करके शिक्षण पद्धतियों को आकर्षक और प्रभावी बनाने के अवसर भी उपलब्ध है। शिक्षकों के लिए ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म एक बड़ा अवसर है जो उन्हें अपने शिक्षण कौशल को बढ़ाने और छात्रों तक पहुंचने में मदद कर सकता है। शिक्षकों के लिए डिजिटल संसाधनों का उपयोग करना भी एक बड़ा अवसर है, जो उन्हें अपने शिक्षण कार्य को अधिक प्रभावी और आकर्षक बनाने में मदद कर सकता है। वर्तमान डिजिटल युग में शिक्षकों के पास वैश्विक स्तर तक पहुंच का अवसर उपलब्ध है, जो उन्हें दुनियाभर के छात्रों के साथ जुड़ने और अपने शिक्षण कौशल को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

जिटल दौर में शिक्षकों के पास निरंतर सीखने और स्वयं को अद्यतन करने का अवसर भी उपलब्ध है। शिक्षकों के पास यह अवसर उपलब्ध है कि वे छात्रों से आसानी से जुड़ सकें और अपने शिक्षण कार्य को प्रभावी बना सके। वर्तमान डिजिटल युग में यह अवसर भी उपलब्ध है कि शिक्षक नवाचार करें और अपने छात्रों को सृजनात्मक कार्य के प्रति प्रेरक बन सकें। निश्चित तौर पर डिजिटल दौर में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए उन्हें डिजिटल साक्षर, ऑनलाइन शिक्षण और संचार कौशल से युक्त होने की आवश्यकता अवश्य है।

शिक्षकों को व्यक्तिगत स्तर पर सीखने के अनुभव बनाने, डिजिटल उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने और छात्रों को महत्वपूर्ण सोच और विश्वसनीय स्रोतों का मूल्यांकन करना सिखाने के लिए अपनी भूमिकाओं और दक्षताओं को निरंतर बढ़ाना होगा। उन्हें छात्रों के साथ मानवीय जुड़ाव बनाए रखना होता है, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और लचीलापन जैसे कौशल विकसित करने में मदद करनी होती है, और निश्चित तौर पर शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए नई तकनीकों को अपनाना होता है।

निश्चित तौर पर आज के डिजिटल युग में कुछ चुनौतियां भी ऐसी है, जो शिक्षकों की आवश्यक भूमिका निभाने के संदर्भ में बाधाएं भी उत्पन्न कर रही है। जैसे डिजिटल साक्षरता की कमी। कई शिक्षक अभी भी नवीनतम डिजिटल टूल्स के उपयोग में सक्षम नहीं है। शिक्षकों को उस स्तर का विशेष प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है जिसकी आवश्यकता है। कई स्कूलों में अभी भी डिजिटल बुनियादी ढांचे की अनुपलब्धता है। ऑनलाइन सुरक्षा संबंधी चुनौतियां भी बड़ी है।

समय डिजिटल क्रांति का है। हर क्षेत्र में बदलाव देखा जा रहा है। शिक्षकों की भूमिका में बदलाव समय की मांग है। परंपरागत शिक्षण पद्धति के शिक्षक की तुलना में आज के शिक्षक को कहीं ज्यादा बड़ी भूमिका निभानी है। आज के शिक्षक सिर्फ ज्ञान प्रदाता और चरित्र निर्माता ही नहीं अपितु मित्र, मार्गदर्शक और प्रेरक के तौर पर ज्यादा दिखाई दे रहे हैं।

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