पूर्णिया: फंड व जगह की कमी के कारण से दिव्यांगों को नयी जिंदगी देने के लिए बनाया गया जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र आज खुद निशक्तता का शिकार बना हुआ हुआ है। केंद्र प्रायोजित योजना के तहत साल 2011 में तत्कालीन सदर अस्पताल में इस केंद्र को शुरू किया गया था। जब मेडिकल कॉलेज का निर्माण शुरू हुआ तो उसे रेड क्रॉस भवन के ऊपरी तल पर शिफ्ट कर दिया गया। जीएमसीएच से लेकर बाहर अन्य कई सरकारी भवनों में खाली जगह पड़ा हुआ है, लेकिन अधिकारियों की इच्छा शक्ति के अभाव में दिव्यांग केंद्र जगह और फंड के लिए दर-दर भटक रहा है।
जगह और फंड की कमी के कारण उपकरण का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। बताया जाता है कि रेड क्रास भवन में जगह के अभाव के बाद भी कुछ समय तक केंद्र का संचालन हुआ भी लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण केंद्र बंद हो चुका है और केंद्र के बाहर ताला लटका हुआ है।
बताया जाता है कि केंद्र के संचालन के लिए कम से कम 700 वर्ग स्क्वायर फीट की जगह चाहिए थी। रेड क्रॉस में उपयुक्त जगह नहीं मिलने से केंद्र में कई महंगे उपकरण धूल फांक रहे हैं। इसके अधिकांश उपकरण कमरे में महज शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। केंद्र के अंदर महंगे और महत्वपूर्ण उपकरणों पर धूल जमा है और अंदर चूहे ने अपना बसेरा बना लिया है।देखभाल के अभाव में उपकरण में तो जंग भी लग गई है। जिम्मेदार जिम्मेदारी से बच रहे हैं।