S-Siddharth
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पटना: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की जिम्मेवारी संभालने के बाद से डॉ. एस. सिद्धार्थ पूरी तरह एक्शन में हैं। वह बिहार में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए लगातार नये-नये फरमान जारी कर रहे हैं। यही नहीं वह लगातार स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने अब 8 पन्नों का नया दिशा-निर्देश जारी किया है। इसके साथ ही उन्होंने डेडलाइन भी तय कर दी है। डॉ. सिद्धार्थ ने बिहार के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को लिखा है कि राज्य के विद्यालयों में आधारभूत संरचनाओं पर विशेष रूप से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

लिहाजा आप सभी से यह अपेक्षा की जाती है कि राज्य में सभी विद्यालयों को अपना भवन सही रूप से रंग-रोगन किया हुआ हो, भवनों की छत न टपकती हो, फर्श टूटा नहीं हो, दरवाजे एवं खिड़कियां सही रूप से लगी हों और छात्र के अनुपात में विद्यालय भवन में कमरे की उपलब्धता हो।इसके साथ ही विद्यालय भवन के किसी भी कमरे का शैक्षणिक कार्य को छोड़ अनावश्यक रूप से अन्य कार्य यथा गोदाम, भंडार आदि में इस्तेमाल न हो रहा हो, इसे सुनिश्चित किया जाए। प्रत्येक वर्ग के लिए अलग-अलग कमरे निर्धारित किए जाएं। कमरों में साफ सफाई हो। अगर वर्ग कक्ष वर्तमान में निर्माणाधीन हो या कक्षा के अनुपात में कमरे न हों तो निकटतम सामुदायिक भवन या अन्य सरकारी भवनों पर भी कक्ष संचालन की व्यवस्था की जा सकती है। इसमें यह ध्यान रखा जाए कि संबंधित सरकारी भवन विद्यालय से 500 मीटर के दायरे में ही हों।

इसके साथ नये पक्के भवन के निर्माण हेतु प्रस्ताव और सभी अतिरिक्त भवन के निर्माण का प्रस्ताव संकलित कर जिला पदाधिकारी शिक्षा विभाग को सौंपेंगे। इसके साथ ही बेंच डेस्क की व्यवस्था प्रत्येक विद्यालय में व्यवस्था भी आवश्यकतानुसार सुनिश्चित करायी जाए। बेंच डेस्क के अधिष्ठापन में सरकार द्वारा निर्धारित गुणवत्ता पर पूरा ध्यान दिया जाए और निर्धारित मापदण्ड के अनुसार नहीं है तो आपूर्तिकर्ता को बदलने का आदेश दिया जाए। निम्न गुणवत्ता के उपस्करों को नहीं बदले जाने की स्थिति में आपूर्तिकर्ता के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई किया जाए। इन उपस्करों को सुरक्षित रखना प्रधानाध्यापक की जवाबदेही है। साथ ही स्कूल में पीने के पानी की व्यवस्था प्रत्येक विद्यालय में सुनिश्चित की जाए। यह ध्यान रखा जाए कि चापाकल या समरसेबल पंप जिसके माध्यम से पीने के पानी की व्यवस्था की गई है, वे सुचारू रूप से संचालित हो, इसकी भी जांच होनी चाहिए।

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