भावनात्मक बयान से मोकामा में बढ़ा सियासी तापमान
Dularchand Murder Case: मोकामा से जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के बाद अब यह मामला पूरी तरह भावनात्मक और सियासी रूप ले चुका है। दिवंगत दुलारचंद यादव के पोते ने मीडिया के सामने बयान देते हुए कहा कि जब तक हत्याकांड के पांचों मुख्य आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल नहीं भेजा जाता, तब तक परिवार ‘ब्रह्मभोज’ नहीं करेगा।
उन्होंने भावुक होकर कहा, “मेरे दादा की हत्या उनके विरोधियों ने स्थानीय प्रशासन के कुछ लोगों की मदद से की है। जब तक सभी पांच आरोपियों को जेल नहीं भेजा जाता, हम कोई भी धार्मिक अनुष्ठान नहीं करेंगे।”
इस बयान ने न केवल प्रशासन पर सवाल उठाए हैं, बल्कि बिहार की सियासत में भी उबाल ला दिया है।
पुलिस जांच में तेजी, 3 गिरफ्तार और 2 आरोपी अभी भी फरार
दुलारचंद यादव की हत्या 30 अक्टूबर को हुई थी, जिसके बाद बिहार पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए तीन प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
• पहला नाम है अनंत सिंह, जो जदयू के पूर्व विधायक और बाहुबली नेता माने जाते हैं।
• दूसरा नाम है मणिकांत ठाकुर,
• और तीसरा है रंजीत राम।
इन तीनों को 1 नवंबर की देर रात बाढ़ अनुमंडल के बेढ़ना स्थित करगिल मार्केट से पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
हालांकि, अभी भी दो अन्य मुख्य आरोपी फरार बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश पुलिस लगातार कर रही है। हत्या के इस संगीन मामले ने बिहार की कानून व्यवस्था पर कड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
अनंत सिंह की गिरफ्तारी से मचा सियासी भूचाल

पूर्व विधायक अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने बिहार की राजनीति में भूचाल मचा दिया है। मोकामा विधानसभा क्षेत्र में उनका प्रभाव काफी गहरा माना जाता है। हत्या के मामले में नाम आने के बाद उन्हें बेऊर जेल भेजा गया, जहां उन्हें हाई-सिक्योरिटी डिविजन वार्ड में रखा गया है।
जेल प्रशासन ने बताया कि अनंत सिंह की सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया गया है।
• उनके वार्ड के चारों ओर अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।
• किसी बाहरी व्यक्ति को मिलने की अनुमति नहीं दी गई है।
• सोमवार को उनका मेडिकल चेकअप कराया गया, जिसमें सभी पैरामीटर सामान्य पाए गए।
सूत्रों के मुताबिक, यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि जेल में उनके कई विरोधी कैदी भी मौजूद हैं। प्रशासन नहीं चाहता कि जेल के अंदर कोई अप्रिय स्थिति बने।
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चुनाव के बाद अनंत सिंह से होगी पूछताछ, रिमांड की तैयारी पूरी
पटना पुलिस ने साफ किया है कि विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद अनंत सिंह को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार,
“रिमांड की प्रक्रिया पहले शुरू की जानी थी, लेकिन चुनाव आचार संहिता और चुनावी व्यस्तताओं के चलते इसे टाल दिया गया। अब 6 नवंबर के बाद उन्हें रिमांड पर लिया जाएगा।”
पुलिस उनसे न केवल हत्या की पूरी साजिश का खुलासा करवाने की कोशिश करेगी, बल्कि उनके दो नामजद भतीजों और अन्य आरोपितों की भूमिका पर भी सवाल-जवाब किए जाएंगे।
गौरतलब है कि गिरफ्तारी की रात से लेकर जेल भेजे जाने तक कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने उनसे प्रारंभिक पूछताछ की थी, जिससे यह साफ होता है कि जांच एजेंसियां इस केस को गंभीरता से ले रही हैं।
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पोते के बयान से बढ़ा दबाव, प्रशासन के सामने चुनौती
दुलारचंद यादव के पोते के इस बयान के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस दोनों पर दबाव बढ़ गया है। परिवार ने साफ कहा है कि जब तक सभी पांच आरोपी जेल नहीं जाएंगे, ‘ब्रह्मभोज’ नहीं किया जाएगा।
यह बयान भावनात्मक और निर्णायक दोनों है, क्योंकि यह न केवल परिवार की पीड़ा को दर्शाता है बल्कि न्याय की मांग को भी मजबूत करता है।
न्याय की उम्मीद और सियासी असर
इस हत्याकांड ने बिहार के सियासी माहौल में नई हलचल पैदा कर दी है। दुलारचंद यादव जनसुराज से जुड़े थे, और उनकी हत्या ने मोकामा क्षेत्र में सियासी समीकरणों को बदलने का काम किया है।
साथ ही, इस केस में बाहुबली नेताओं का नाम आने से राजनीतिक बहस और तेज हो गई है।
परिवार के इस कदम ने यह संदेश दिया है कि वे न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रखेंगे।
Dularchand Murder Case अब केवल एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि न्याय और सियासत के टकराव की कहानी बन चुका है।
तीन गिरफ्तारियां, दो फरार आरोपी, और एक दर्द से भरा परिवार — यह पूरा घटनाक्रम बिहार की राजनीति में गूंज रहा है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि 6 नवंबर के बाद पुलिस और प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी से न्याय की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।
इन तीनों को 1 नवंबर की देर रात बाढ़ अनुमंडल के बेढ़ना स्थित करगिल मार्केट से पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
हालांकि, अभी भी दो अन्य मुख्य आरोपी फरार बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश पुलिस लगातार कर रही है। हत्या के इस संगीन मामले ने बिहार की कानून व्यवस्था पर कड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
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