मुजफ्फरपुर जिला अंतर्गत सकरा प्रखंड के बरियारपुर थाना क्षेत्र के रामपुरमणि गांव के दलित टोले में बुधवार सुबह लगी भीषण आग की घटना को गम्भीर प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है। हादसा पूरी तरह से रोके जाने योग्य था, अगर सरकार और बिजली विभाग ने समय रहते अपनी जिम्मेदारी निभाई होती। उक्त बातें आज पोलित ब्यूरो सदस्य तथा ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव का. मीना तिवारी ने घटनास्थल से लौटने के उपरांत कही।
विदित हो कि आज ही का. मीना तिवारी के नेतृत्व में एक 9 सदस्यीय टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और पीड़ितों से मिलकर स्थिति का जायजा लिया। टीम में भाकपा-माले राज्य कमिटी सदस्य जितेन्द्र यादव, सूरज कुमार सिंह, सकरा प्रखंड सचिव राजेश रंजन, किसान नेता प्रेमलाल यादव, जिला कमिटी सदस्य फहद ज़मां, आरवाईए जिला अध्यक्ष विवेक कुमार एवं आइसा के छात्र नेता दीपक कुमार शामिल थे।
दलित टोले के पीड़ितों ने जांच टीम को बताया कि इलाके में बिजली के नंगे तार लटके हुए थे। बुधवार सुबह तेज हवा के कारण तार आपस में टकराए, जिससे जोरदार स्पार्क और शॉर्ट सर्किट हुआ। निकली चिंगारी ने देखते ही देखते पूरे टोले को आग की चपेट में ले लिया। इस हादसे में चार मासूम बच्चों सहित कई जानवरों की दर्दनाक मौत हो गई, और करीब 70 परिवारों के घर व जरूरी सामान जलकर खाक हो गए।

यह बेहद अफसोसनाक है कि जहां एक ओर सरकार स्मार्ट मीटर के नाम पर गरीबों से जबरन पैसे वसूल रही है, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा के बुनियादी मानकों—जैसे ढके हुए बिजली तार या मजबूत पोल—को नजरअंदाज कर रही है। पीड़ितों ने यह भी बताया कि उन्हें आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मकान निर्माण के लिए पूरा लाभ नहीं मिला है। यदि पक्के मकान होते, तो संभवतः इतनी भयावह त्रासदी से बचा जा सकता था।
24 घंटे बाद भी घटनास्थल पर कोई सरकारी मेडिकल टीम या प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचे हैं। एक मात्र चिकित्सकीय सहायता एक निजी डॉक्टर के माध्यम से मिल रही है, जो पूरी तरह से अपर्याप्त है। न पीने के पानी की व्यवस्था है, न भोजन और न ही अस्थायी शरण की कोई ठोस व्यवस्था। यदि समय रहते सरकार संरचनात्मक सुधार नहीं करती तो आने वाले दिनों में ऐसी त्रासदियाँ और भी व्यापक रूप में सामने आ सकती हैं जिसके लिए केवल सरकार जिम्मेवार होगी।
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