रक्सौल(पूर्वी चंपारण): आज के समय में पर्यावरण संरक्षण और हरियाली की ओर ध्यान देना न केवल एक ज़रूरत बन गया है, बल्कि एक प्रेरणादायक कदम भी है। बिहार विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अनिल सिंह और उनकी पत्नी प्रोफेसर किरण बाला ने इस दिशा में एक मिसाल कायम की है।
अपने 1100 स्क्वायर फीट के मकान की छत पर, उन्होंने 600 से अधिक गमलों के माध्यम से एक ऐसा हरित संसार रच दिया है, जो पूरे मोहल्ले और शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस गार्डन में फूल, फल और औषधीय पौधों की बहार है।
प्रोफेसर अनिल सिन्हा के इस टेरेस गार्डन में सजावटी पौधों से लेकर औषधीय और फल देने वाले पौधों तक का अनोखा संग्रह है। इसमें गिलोय, हरसिंगार, आंवला, तुलसी, तेजपत्ता, दालचीनी, अश्वगंधा, नींबू, और लेमन ग्रास जैसे औषधीय पौधे शामिल हैं। वहीं, गुलाब, चमेली, मनी प्लांट और एयर प्यूरीफायर पौधों जैसे स्नेक प्लांट, एरिका प्लांट, और स्पाइडर प्लांट ने गार्डन की खूबसूरती बढ़ाई है।
उनके गार्डन में मौसमी सब्जियां जैसे खरबूजा, करेला, टमाटर, मिर्च, और धनिया भी उगाई जाती हैं, जो न केवल घर के लिए जैविक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराती हैं, बल्कि पर्यावरण के प्रति उनका जुड़ाव भी दर्शाती हैं।
प्रेरणा का स्रोत बने प्रोफेसर अनिल सिन्हा ने अपने अनुभव और सोच से यह साबित किया है कि सीमित स्थान में भी एक हरित दुनिया बनाई जा सकती है। वे नियमित रूप से पौधों की देखभाल करते हैं और उनका कहना है, “पौधे भी बच्चों की तरह होते हैं। जब वे स्वस्थ और खुश रहते हैं, तो पूरे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।”
उनकी पत्नी, प्रोफेसर किरण बाला, इस गार्डन की देखरेख और सिंचाई में पूरा सहयोग देती हैं। उनका समर्पण इस बात का प्रमाण है कि पर्यावरण संरक्षण सामूहिक प्रयास से ही संभव है। इससे समाज में जागरूकता का संदेश भी एक सराहनीय कदम है।
प्रोफेसर अनिल सिन्हा न केवल पौधे उगाते हैं, बल्कि दूसरों को भी पौधे लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। वे अपने गार्डन के पौधों की कटिंग और नए पौधे अपने मित्रों, पड़ोसियों और छात्रों को भेंट करते हैं। उनका उद्देश्य है कि हर घर में हरियाली हो और प्रदूषण को कम करने में सभी अपना योगदान दें।
पर्यावरण संरक्षण की नई परिभाषा के तौर पर छत पर बना यह गार्डन केवल फूलों और फलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रतीक है। यह दिखाता है कि सीमित संसाधनों में भी बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।
प्रोफेसर अनिल सिन्हा और किरण बाला का यह गार्डन पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक आदर्श उदाहरण है। यह न केवल उनके जीवन में सुकून और सकारात्मकता लाता है, बल्कि दूसरों को भी हरियाली और पर्यावरण के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करता है। उनके इस प्रयास को पूरे समाज में सराहा जाना चाहिए।