Bihar Voter Count Fact Check: 7.42 करोड़ से 7.45 करोड़ कैसे हुए? चुनाव आयोग का बड़ा खुलासा

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बिहार में मतदाताओं की संख्या पर वायरल दावा — चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण
Highlights
  • • बिहार में मतदाताओं की संख्या को लेकर वायरल दावे • चुनाव आयोग ने जारी किया विस्तृत स्पष्टीकरण • अंतिम मतदाता सूची और संशोधित सूची का अंतर • 3 लाख नए मतदाताओं के जुड़ने का कारण • सोशल मीडिया पर फैल रही गलत सूचना

Fact Check Bihar Voter Count: जानिए 7.42 करोड़ से 7.45 करोड़ मतदाता संख्या क्यों बढ़ी, पूरा गणित समझें

शुरुआत: सोशल मीडिया पर फैल रही गलत सूचना

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच सोशल मीडिया पर एक बड़ा दावा वायरल हो गया है। कई पोस्ट्स में यह आरोप लगाया जा रहा है कि चुनाव आयोग ने मतदाताओं की संख्या में अचानक 3 लाख की वृद्धि कर दी, जिससे चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े होने लगे।
लोग पूछ रहे हैं —
“अगर 6 अक्टूबर को 7.42 करोड़ मतदाता थे, तो मतदान के बाद जारी प्रेस रिलीज़ में संख्या 7.45 करोड़ कैसे हो गई?”

इसी भ्रम को दूर करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने विस्तृत स्पष्टीकरण जारी किया है।

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चुनाव आयोग ने क्या कहा? पूरा तथ्य देखें

Bihar Voter Count Fact Check: 7.42 करोड़ से 7.45 करोड़ कैसे हुए? चुनाव आयोग का बड़ा खुलासा 1

चुनाव आयोग के अनुसार, यह जानकारी भ्रामक और अधूरी समझ पर आधारित है। वास्तविकता बिल्कुल स्पष्ट है और निर्वाचन नियमों के अनुरूप है।

6 अक्टूबर को बताई गई संख्या — 7.42 करोड़

6 अक्टूबर को जारी प्रेस नोट में बिहार के 7.42 करोड़ निर्वाचक दर्ज किए गए थे।
यह संख्या उस आधिकारिक निर्वाचक सूची पर आधारित थी जो:
• 30 सितंबर को अंतिम रूप से प्रकाशित हुई,
• विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Summary Revision) के बाद तैयार की गई।

यानी 30 सितंबर तक जितने भी वैध नाम जुड़ चुके थे, वही 7.42 करोड़ की सूची में शामिल थे।

नियम क्या कहते हैं? मतदान तक नाम जुड़ सकते हैं

अधिकतर मतदाता नहीं जानते कि:

👉 चुनाव की घोषणा के बाद भी,
👉 नामांकन की अंतिम तिथि से 10 दिन पहले तक,
👉 कोई भी पात्र नागरिक अपने नाम जोड़ने के लिए आवेदन कर सकता है।

अर्थात 30 सितंबर को अंतिम सूची प्रकाशित होने के बाद भी:
• नए मतदाताओं ने आवेदन दिया,
• उनकी पात्रता की जांच की गई,
• योग्य पाए जाने पर नाम कानूनी रूप से जोड़े गए।

यह प्रक्रिया पूरी तरह निर्वाचन नियमों के अनुरूप है।

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3 लाख नाम कहाँ से आए? आंकड़ों का पूरा हिसाब

30 सितंबर के बाद:
• 1 अक्टूबर से दोनों चरणों की नामांकन अंतिम तिथि से 10 दिन पूर्व तक
जो भी आवेदन आए,
• उन्हें सत्यापन कर मतदाता सूची में शामिल किया गया।

ये सभी नाम:

✔ वैध
✔ नियमों के अनुसार
✔ पात्र नागरिकों के थे।

इन्हीं को शामिल करने के बाद कुल मतदाताओं की संख्या 7.42 करोड़ से बढ़कर लगभग 7.45 करोड़ हो गई।

इसी संशोधित संख्या को निर्वाचन आयोग ने मतदान के उपरांत जारी प्रेस रिलीज़ में दर्शाया।

यह वृद्धि क्यों ज़रूरी थी?

चुनाव आयोग कहता है कि:

“कोई भी पात्र नागरिक मतदान से वंचित न रहे — यही लोकतंत्र की आत्मा है।”

इसलिए:
• अंतिम सूची प्रकाशित होने के बाद भी
• पात्र नागरिक का आवेदन आता है
• तो उसे शामिल करना कानूनी दायित्व है।

यहां किसी तरह की अनियमितता, गड़बड़ी या मनमानी नहीं है।
यह प्रत्येक चुनाव में लागू रहने वाला सामान्य नियम है, जिसे लोग सामान्यतः नजरअंदाज कर देते हैं।

वायरल दावों की सच्चाई: आरोप भ्रामक और अधूरे तथ्य पर आधारित

सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे पोस्ट्स:
• अधूरी जानकारी देते हैं,
• नियमों को अनदेखा करते हैं,
• मतदाताओं में भ्रम पैदा करते हैं।

वास्तविकता यह है कि सभी 3 लाख नए नाम वैध और नियमानुसार जोड़े गए हैं।

मतदाताओं की संख्या में बदलाव बिल्कुल नियमों के अनुरूप


• 7.42 करोड़ का आंकड़ा → 30 सितंबर की अंतिम सूची
• 7.45 करोड़ का आंकड़ा → उसके बाद जोड़े गए वैध मतदाता
• वृद्धि → निर्वाचन नियमों के अनुसार
• कोई गड़बड़ी या हेरफेर नहीं

यह एक सामान्य, वैध और पारदर्शी प्रक्रिया है, जिसे चुनाव आयोग नियमित रूप से अपनाता है।

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