नालंदा: गेहूं की बुआई के मौसम में किसानों पर एक नया संकट मंडरा रहा है। जिले में डीएपी उर्वरक की कालाबाजारी ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है, जबकि प्रशासन के दावे पूरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं।
स्थानीय कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जिले में डीएपी के 1244 टन स्टॉक मौजूद हैं, फिर भी स्थानीय व्यापारी किसानों से अनैतिक तरीके से 1700 से 1800 रुपए प्रति बैग की दर से उर्वरक बेच रहे हैं। सरकार की ओर से निर्धारित मूल्य 1350 रुपए प्रति बैग है, लेकिन व्यापारी इसकी अवहेलना कर रहे हैं।
स्थानीय किसानों ने बताया कि दुकानदार पहले स्टॉक की कमी का बहाना बनाते हैं और फिर मनमाने दाम वसूलते हैं। महलपर के किसान जनार्दन पासवान का कहना है, “हमें मजबूरन महंगे दामों पर डीएपी खरीदना पड़ता है। हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।”
परिस्थितियों से निपटने के लिए कई किसान वैकल्पिक उर्वरकों जैसे एसएसपी और यूरिया का उपयोग कर रहे हैं। जिला कृषि अधिकारी राजीव कुमार ने किसानों को राहत देते हुए कहा है कि वे 06112-231143 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।यह स्थिति न केवल किसानों के आर्थिक बोझ को बढ़ाती है, बल्कि कृषि क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण है। स्थानीय प्रशासन और व्यापारी मिलीभगत से किसानों का शोषण कर रहे हैं।