गांव का एक फोटोग्राफर: कैमरे के पीछे रहने वाला इंसान जो खुद कभी तस्वीर नहीं बना

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रिलीज़ से पहले चर्चा में फिल्म ‘धुरंधर’
Highlights
  • • त्याग और इंसानियत की अनोखी मिसाल • कैमरे के पीछे छुपी सच्ची कहानी • यादों को सहेजने वाले इंसान की कहानी • समाज को सोचने पर मजबूर करने वाला संदेश

गांव का एक फोटोग्राफर और हर एल्बम की खाली जगह

नॉर्वे का एक छोटा-सा गांव। शांत, सादा और अपनी परंपराओं से जुड़ा हुआ। जब भी गांव में कोई शादी होती, हर बार एल्बम में एक जैसी तस्वीरें होतीं—दूल्हा-दुल्हन, परिवार, दोस्त और मुस्कुराते चेहरे। लेकिन हर एल्बम में एक जगह हमेशा खाली रहती थी।

लोग उस खाली जगह को देखकर कहते—

“शायद कैमरा खराब था।”

“एंगल सही नहीं आया होगा।”

पर कोई यह नहीं पूछता था कि तस्वीर लेने वाला आदमी खुद कभी तस्वीर में क्यों नहीं दिखता।

गांव का एक फोटोग्राफर जिसका नाम था ओले

उस आदमी का नाम ओले था। वह गांव का एकमात्र फोटोग्राफर था। शादी हो या जन्मदिन, अंतिम संस्कार हो या कोई छोटा कार्यक्रम—ओले हर जगह मौजूद रहता था। कैमरा उसके हाथ में होता, पर वह खुद किसी फ्रेम में नहीं होता।

लोग उसे जानते थे, पर असल में कोई उसे समझ नहीं पाया। वह चुपचाप काम करता, मुस्कुराता और फिर कैमरे के पीछे गायब हो जाता।

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हर याद में मौजूद, पर हर तस्वीर से गायब

गांव का एक फोटोग्राफर: कैमरे के पीछे रहने वाला इंसान जो खुद कभी तस्वीर नहीं बना 1

ओले की खींची तस्वीरें लोगों की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी थीं। बच्चों के बड़े होने की यादें, बुज़ुर्गों के अंतिम पल, रिश्तों की शुरुआत—सब कुछ ओले के कैमरे में कैद था।

लेकिन एक अजीब बात थी—

किसी भी एल्बम में ओले नहीं था।

जैसे उसने जानबूझकर खुद को हर याद से अलग रखा हो।

एक डिब्बा जिसने सच खोल दिया

सच तब सामने आया जब गांव की सबसे बुज़ुर्ग महिला का निधन हुआ। उसके कमरे की सफाई के दौरान एक पुराना डिब्बा मिला। जब डिब्बा खोला गया, तो उसमें सैकड़ों तस्वीरें थीं।

और हर तस्वीर में ओले था।

गांव का एक फोटोग्राफर और उसकी छुपी दुनिया

किसी तस्वीर में वह किसी बच्चे के साथ बैठा हंस रहा था।

किसी में वह किसी बूढ़े का हाथ थामे खड़ा था।

किसी में वह शादी में मेहमानों के साथ मुस्कुरा रहा था।

हर तस्वीर के पीछे एक पंक्ति लिखी थी—

“यह वह आदमी है जो सबकी यादों को बचाता रहा, लेकिन खुद को कभी यादगार नहीं बनने दिया।”

उस दिन गांव को पहली बार एहसास हुआ कि ओले कौन था।

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जब कैमरे के पीछे रहने वाला खुद याद बन गया

कुछ समय बाद ओले का भी निधन हो गया। पूरा गांव उसके अंतिम संस्कार में इकट्ठा हुआ। उस दिन पहली बार गांव वालों ने एक फैसला किया।

एक ट्राइपॉड लगाया गया।

कैमरे में टाइमर सेट किया गया।

और पूरी गांव की भीड़ के बीच ओले की तस्वीर ली गई।

यह पहली तस्वीर थी जिसमें ओले सामने था।

गांव का एक फोटोग्राफर और आखिरी संदेश

उस तस्वीर के नीचे लिखा गया—

“कुछ लोग कैमरे के पीछे रहकर पूरी दुनिया को सामने लाते हैं।”

यह कहानी याद दिलाती है कि हर हीरो मंच पर नहीं होता। कुछ लोग पर्दे के पीछे रहकर पूरी ज़िंदगी दूसरों की खुशियों को सहेजते रहते हैं।

गांव का एक फोटोग्राफर ओले ऐसा ही इंसान था—जिसने सबको यादगार बनाया, लेकिन खुद को कभी प्राथमिकता नहीं दी।

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